कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की टिकट के लिए वैसा ही झगड़ा चल रहा है, जैसा हिमाचल प्रदेश में हुआ था। पार्टी कई खेमे में बंटी है और हर खेमा ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलाने की कोशिश में है। अगर हिमाचल जैसी राजनीति आगे बढ़ी तो हर खेमे के नेता दूसरे खेमे के उम्मीदवार को हरवाने की कोशिश करेंगे। असल में सबको संतुष्ट करने के लिए भाजपा ने कर्नाटक में इतने नेताओं को आगे कर दिया है कि सब टिकट बांटने लगे हैं। इससे पार्टी के अंदर बहुत खींचतान शुरू हो गई है। इसका नतीजा यह हुआ है कि पार्टी के महासचिव और राज्य के प्रभारी सीटी रवि के सामने पार्टी के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए और उनकी मौजूदगी में बीएस येदियुरप्पा को अपनी यात्रा स्थगित करनी पड़ी।
येदियुरप्पा की विजय संकल्प यात्रा चिकमगलूर के मुदिगेरे इलाके से गुजर रही थी, जब कार्यकर्ताओं ने यात्रा रूकवा दी। पार्टी के कार्यकर्ता इस इलाके से तीन बार विधायक रहे एमपी कुमारस्वामी का विरोध कर रहे थे। एक तरफ कुमारस्वामी दावा कर रहे हैं कि उनकी टिकट पक्की है तो दूसरी ओर जिले के कार्यकर्ता उनकी टिकट काटने की मांग कर रहे हैं। तभी दावनगेरे के सांसद जीएम सिद्धेश्वरा को कहना पड़ा कि अभी किसी की टिकट तय नहीं है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाने के लिए यहां तक कहा कि मुख्यमंत्री बसबराम बोम्मई तक की टिकट तय नहीं है। इससे पहले जब यह मैसेज बन रहा था कि बीएस येदियुरप्पा सबसे पावरफुल हैं और वे टिकट तय करेंगे तब प्रभारी महासचिव सीटी रवि ने कहा था कि किसी की किचेन में टिकट तय नहीं होगी। पार्टी ने मुख्यमंत्री बोम्मई को चुनाव अभियान समिति का जिम्मा दिया है तो टिकट बांटने में उनकी बड़ी भूमिका मानी जा रही है और ऊपर से भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की सक्रियता भी राज्य की राजनीति में कम नहीं है।