कांग्रेस के महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश कर्नाटक के रहने वाले हैं। लेकिन कर्नाटक के चुनाव और उसके बाद चले राजनीतिक नाटक में उनकी कोई खास भूमिका नहीं रही। उनसे ज्यादा महत्वपूर्ण और प्रभावी भूमिका पार्टी के महासचिव और राज्य के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने निभाई। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक दोनों के बीच काफी समय से शीतयुद्ध के हालात है क्योंकि रणदीप को हटा कर ही रमेश को कांग्रेस संचार विभाग का प्रभारी बनाया गया था। उसके बाद से लगातार यह प्रचार हुआ कि रणदीप सुरजेवाला सिर्फ अपना प्रचार करते थे, जबकि रमेश पार्टी की छवि बना रहे हैं और राहुल का प्रचार कर रहे हैं। इससे सुरजेवाला उनकी टीम के सदस्य आहत थे।
बहरहाल, संचार विभाग से हटने के बाद सुरजेवाला ने कर्नाटक में अपना ध्यान केंद्रित किया और पिछले करीब एक साल उन्होंने वहां बड़ी मेहनत की। चुनाव के समय कांग्रेस के संचार विभाग की टीम बेंगलुरू में बैठी थी और मीडिया रणनीति संभाल रही थी लेकिन सुरजेवाला की अपनी टीम काम कर रही थी। उनके संचार विभाग के प्रभारी रहते एआईसीसी की मीडिया टीम के सचिव रहे प्रणब झा अब राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ कोऑर्डिनेटर हैं। वे भी वहां डेरा डाले हुए थे। उनके साथ खड़गे की टीम के दूसरे समन्वयक गुरदीप सप्पल और सैयद नासिर हुसैन भी अपनी टीम के साथ काम कर रहे थे। सो, प्रचार के दौरान भी सुरजेवाला की पुरानी और खड़गे की नई टीम ज्यादा काम कर रही थी।
चुनाव के बाद जब दिल्ली में सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार के बीच तनातनी शुरू हुई और मुख्यमंत्री तय करने का फैसला अटका तब भी दिल्ली में रणदीप सुरजेवाला ज्यादा सक्रिय दिखे। इस पूरे प्रकरण में जयराम रमेश की कोई भूमिका नहीं दिखी। चुनाव से पहले उम्मीदवारों की टिकट तय करने से लेकर प्रचर की रणनीति तक में रमेश कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे। हो सकता है कि वे परदे के पीछे से काम कर रहे हों लेकिन रणदीप सुरजेवाला ज्यादा सक्रिय और प्रभावी रहे।