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23-05-2025 Vol 19

महाराष्ट्र में राज ठाकरे और शिवपाल यादव की कहानी

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पता नहीं नेता राजनीतिक इतिहास से सबक क्यों नहीं लेते हैं? अगर अजित पवार ने राज ठाकरे और शिवपाल यादव प्रकरण से कुछ भी सबक लिया होता तो अंदाजा होता कि उनको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। जो गलती राज ठाकरे और शिवपाल यादव ने की वही गलती अजित पवार भी कर रहे हैं। हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अजित पवार इन दोनों नेताओं से ज्यादा होशियार हैं और अपनी गलतियों से भी उन्होंने कुछ न कुछ फायदा उठाया है लेकिन वे अपने को राजनीतिक रूप से लगातार कमजोर करते गए हैं और अब यह स्थिति हो गई है कि एनसीपी की राजनीति में वे हाशिए पर रहेंगे या अगर बाहर निकलेंगे तो राज ठाकरे और शिवपाल यादव की गति को प्राप्त होंगे।

सबसे पहले तो उनको यह ध्यान रखना चाहिए था कि पार्टियों के संस्थापक नेता अपने बेटे या बेटियों को ही उत्तराधिकार सौंपते हैं। इसमें कोई संशय नहीं रखना चाहिए। भाई भतीजावाद चाहे जितना करें और भाई या भतीजे चाहे जितने काबिल हों पर उत्तराधिकारी बेटा या बेटी ही बनेगा। प्रकाश सिंह बादल ने अंततः सुखबीर को ही उत्तराधिकारी बनाया भतीजे मनप्रीत को नहीं या बाल ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को उत्तराधिकारी बनाया भतीजे राज ठाकरे को नहीं या मुलायम सिंह ने तमाम ड्रामे के बाद बेटे अखिलेश यादव को ही कमान सौंपी, भाई शिवपाल यादव को नहीं। उसी तरह यह तय मानना चाहिए कि शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को ही उत्तराधिकारी बनाएंगे, अजित पवार को नहीं। अगर इस स्थिति को स्वीकार करके अजित पवार राजनीति करेंगे तो उनकी अजितदादा वाली हैसियत बनी रहेगी, अन्यथा पार्टी से बाहर होकर वे राज ठाकरे बनेंगे या वापसी करके शिवपाल यादव वाली हैसियत प्राप्त करेंगे। वे सफल तभी हो सकते हैं, जब वे शरद पवार को परास्त करने की स्थिति में हों।

NI Political Desk

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