nayaindia Maharashtra Politics उद्धव के कारण सावरकर पर चुप्पी!

उद्धव के कारण सावरकर पर चुप्पी!

विपक्षी पार्टियों ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार किया। विपक्षी की 20 पार्टियों के सांसदों और नेताओं ने निमंत्रण के बावजूद उद्घाटन समारोह में हिस्सा नहीं लिया। हालांकि 25 से ज्यादा पार्टियों के प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए, जिनमें कई पार्टियां भाजपा विरोधी भी हैं। सबसे दिलचस्प बात यह रही कि एकाध छिटपुट बयान के अलावा किसी विपक्षी पार्टी ने इस बात को मुद्दा नहीं बनाया कि संसद की नई इमारत का उद्घाटन 28 मई को विनायक दामोदर सावरकर की जयंती के दिन हो रहा है। बिना बात भी सावरकर का नाम घसीट कर उन पर हमला करने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार भी इसका जिक्र नहीं किया।

सोशल मीडिया में जरूर इस बात की खूब चर्चा हुई और भाजपा विरोधी बौद्धिक जमात ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन नहीं कराने के साथ साथ सावरकर की जयंती के दिन उद्घाटन करने के लिए भी सरकार की आलोचना की। इसमें कोई संदेह नहीं है कि 28 मई का चयन एक खास मकसद से किया गया। पहले सरकार के जानकार सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबर आई थी कि 30 मई को उद्घाटन होगा। दो कारणों से 30 मई का महत्व है। पहला, उस दिन नरेंद्र मोदी की दूसरी सरकार की चौथी सालगिरह है और दूसरा, उस दिन गंगा दशहरा है, जिस दिन पतित पावनी गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। सो, 30 मई का दिन चुनने का कारण समझ में आया था। परंतु इस खबर के दो दिन बाद ही बताया गया कि उद्घाटन 28 मई को होगा। उसके बाद ही यह विवाद उठा कि उस दिन सावरकर की जयंती है।

बहरहाल, राहुल गांधी ने एक बार भी सावरकर का नाम नहीं लिया। उन्होंने 21 मई को पहली बार इस मसले पर ट्विट किया और एक लाइन में सिर्फ इतना लिखा की राष्ट्रपति को संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं। उसके बाद राहुल ने 24 मई को दूसरा ट्विट किया और उसमें उन्होंने लिखा- राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन नहीं करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना-यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।

सवाल है कि राहुल गांधी ने सावरकर का नाम क्यों नहीं लिया? इसका कारण यह नहीं हो सकता है कि सावरकर के परिजनों ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया है। इसका कारण शिव सेना के नेता उद्धव ठाकरे का विरोध और महाराष्ट्र की राजनीतिक मजबूरी है। असल में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा उम्मीद महाराष्ट्र से है और वह उद्धव ठाकरे को नाराज नहीं करना चाहती है। इससे पहले जब राहुल ने सावरकर पर हमला किया था तब उद्धव ने तालमेल समाप्त करने का ऐलान कर दिया था। उसके बाद शरद पवार ने बीच बचाव करके मामला सुलझाया था और सोनिया व राहुल गांधी दोनों से यह वादा लिया था कि वे सावरकर को निशाना नहीं बनाएंगे।

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