ऐसा लग रहा है कि बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे हफ्ते में संसद में कामकाज शुरू कराने का गंभीर प्रयास हो रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद पहल की है। उन्होंने कहा है कि दोनों पक्षों को स्पीकर के साथ बैठ कर मामले को सुलझाना चाहिए ताकि संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके। सवाल है कि जब पहले हफ्ते में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के अपने कार्यालय में बैठ कर अपने संसदीय नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के साथ रणनीति बनाई और भाजपा ने संसद ठप्प की तो दूसरे हफ्ते में पार्टी कैसे अपने स्टैंड से पीछे हटेगी? क्या भाजपा उम्मीद कर रही है कि कांग्रेस अपनी जिद छोड़ देगी? अगर दोनों पक्ष स्पीकर के साथ बैठते हैं तो सहमति का बिंदु क्या होगा?
सरकार की तरफ से कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ऊपर तीन तरह के दबाव हैं। पहला, लंदन में दिए अपने भाषण में उन्होंने देश का अपमान किया है और इसके लिए संसद में माफी मांगे। इस मामले में भाजपा की ओर से विशेष कमेटी बना कर जांच करने और राहुल को निलंबित करने या उनकी सदस्यता खत्म करने की भी मांग हो रही है। लेकिन यह कोई बहुत गंभीर मांग नहीं है। दूसरा, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान राहुल ने अदानी समूह के साथ प्रधानमंत्री के संबंधों की बात कही थी, जिसे लेकर विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है। और तीसरा, श्रीनगर में महिलाओं के साथ बलात्कार पर दिए बयान को लेकर दिल्ली पुलिस ने राहुल को नोटिस जारी किया है।
विपक्ष की तरफ से दबाव का एक ही मुख्य मुद्दा है और वह है अदानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी का गठन करना। इसके अलावा कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से राज्यसभा में प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है। पता नहीं इतनी देर से कांग्रेस की नींद कैसे खुली? बजट सत्र के पहले चरण में प्रधानमंत्री ने नेहरू गांधी परिवार पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि वे नेहरू सरनेम क्यों नहीं लगाते हैं। अगर यह अपमानजनक था तो उसी समय नोटिस दिया जाना चाहिए था।
बहरहाल, यह तय है कि बजट सत्र के दूसरे चरण में पहले हफ्ते कामकाज न हो यह भाजपा की रणनीति थी और उसने राहुल की माफी का मामला उठा कर हंगाम किया। सब कुछ पहले से तय था। तभी दोनों सदनों में पीठासीन अधिकारियों ने सदन चलाने का प्रयास नहीं किया। एक दिन तो एक सदन की कार्यवाही सिर्फ तीन मिनट में दिन के भर के लिए स्थगित हो गई थी। एक हफ्ते के शोर से भाजपा ने राहुल गांधी के देश विरोधी होने की धारणा बनाई। अब अगर भाजपा पीछे हट जाए तो स्पीकर और सभापति के पास कोई न कोई रास्ता निकल जाएगा। अगर भाजपा राष्ट्रवाद का मुद्दा बनाने पर अड़ी रही तो गतिरोध बना रहेगा और सत्र की कार्यवाही जल्दी समाप्त होगी।