कांग्रेस पार्टी का हर छोटा बड़ा नेता अब बता रहा है कि कैसे सूरत की अदालत में दर्ज मुकदमे का राजनीतिक इस्तेमाल हुआ। कांग्रेस के प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने अपने ट्विटर पर एक टाइम लाइन शेयर की। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे राहुल पर मुकदमा करने वाले भाजपा विधायक ने अपने ही मुकदमे पर हाई कोर्ट से रोक लगवाई थी और सात फरवरी को संसद में राहुल गांधी का भाषण होने के बाद 16 फरवरी को रोक हटवाई, जिसके बाद 17 मार्च को उस पर सुनवाई होकर फैसला सुरक्षित रख लिया गया और 23 फरवरी को फैसले का ऐलान हो गया।
सवाल है कि यह बात कांग्रेस के किसी नेता के दिमाग में पहले क्यों नहीं आई कि एक साल से लगी रोक हटवाई जा रही है तो उसके पीछे कोई कारण हो सकता है? कांग्रेस के इतने वकील नेता हैं, जिनमें सिंघवी से लेकर पी चिदंबरम, विवेक तन्खा, केटीएस तुलसी आदि राज्यसभा में हैं। गुजरात में भी कांग्रेस के किसी न किसी नेता की जिम्मेदारी होगी, जो स्थानीय वकील के साथ अदालत में जाता होगा। लेकिन न तो गुजरात प्रदेश कमेटी के किसी नेता के कान खड़े हुए और न दिल्ली में किसी नेता को समझ में आया कि सूरत में क्या होने जा रहा है। यहां तक कि 23 फरवरी को जिस दिन फैसला आना था उस दिन भी प्रदेश कांग्रेस के सारे नेता पटाखे और ढोल नगाड़े लेकर अदालत पहुंचे थे। उन्होंने सोचा ही नहीं था कि सजा भी हो सकती है। सोचें, किसी नेता के पास दूरदृष्टि तो छोड़िए सामान्य दृष्टि भी नहीं है, जो दिवार पर लिखी इबारत को भी पढ़ सके। अगर कांग्रेस ने पहले से इसे भांप लिया होता तो फैसले के दिन ही बड़े प्रदर्शन की तैयारी होती और उसी दिन से स्वंयस्फूर्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो जाता।