दिल्ली प्रदेश के पूर्व भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता जो कह कर गए हैं वह लगता है पूरा होकर रहेगा। उनके अध्यक्ष रहते भाजपा दिल्ली नगर का चुनाव हार गई थी। लेकिन उन्होंने उसी समय ऐलान किया था कि दिल्ली का मेयर तो भाजपा का ही बनेगा। हालांकि दिल्ली विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता रामवीर सिंह विधूड़ी ने अपनी ओर से कह दिया था कि भाजपा मेयर का चुनाव नहीं लड़ेगी। उन्होंने कहा था कि आम आदमी पार्टी जीती है तो वह अपना मेयर बनाएगी और भाजपा निगम के कामकाज में सहयोग करेगी। लेकिन लगता है कि यह उनका बयान था, जो उन्होंने लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हुए दे दिया था। असल में चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ने ठान लिया है कि मेयर उसी का होगा।
सोमवार को तीसरी बार जब मेयर का चुनाव टला तब भी दिल्ली से भाजपा के सांसद हंसराज हंस ने ट्विट करके कहा कि मेयर भाजपा का ही बनेगा। अब ऐसा लग रहा है कि भले भाजपा हारी है, भले उसके पास संख्या नहीं है पर मेयर उसी का बनेगा। अगर भाजपा को मेयर नहीं बनाना होता है और वह प्रतीकात्मक रूप से चुनाव लड़ रही होती तो अब तक चुनाव हो चुका होगा। छह जनवरी, 24 जनवरी और छह फरवरी को तीन बार सदन की बैठक हुई और हंगामे की वजह से मेयर का चुनाव नहीं हो सका तो इसका मतलब है कि भाजपा अपना मेयर बनाने को लेकर सीरियस है। पहले भाजपा और आप के वोट में बहुत अंतर था। परंतु अब अंतर कम हो गया है।
भाजपा के 104 पार्षदों के साथ साथ सात लोकसभा सांसद और 10 मनोनीत सदस्यों को जोड़ कर संख्या 121 पहुंच गई है। हालांकि ढाई सौ पार्षदों के अलावा लोकसभा व राज्यसभा के 10 सांसद, विधानसभा अध्यक्ष की ओर से मनोनीत 13 विधायक और उप राज्यपाल के मनोनीत 10 पार्षद वोट करेंगे तो कुल वोट 283 पहुंच जाएगा, जिसमें से मेयर के लिए 142 वोट की जरूरत होगी। भाजपा के पास 121 वोट हैं, जबकि आप के पास 150 वोट हैं। कांग्रेस के नौ वोट हैं। अब देखना है कि भाजपा के वोट कैसे बढ़ते हैं और आप के वोट कैसे घटते हैं। दो आप विधायकों को तो अयोग्य कराने का दांव भाजपा ने चल दिया है।