nayaindia power of media मीडिया के पावर को क्या हुआ?

मीडिया के पावर को क्या हुआ?

पिछले आठ-नौ साल में मीडिया का महत्व कम हुआ है, मीडिया मालिकों और पत्रकारों की हैसियत घटी है और लोगों की नजर में उनकी ताकत भी कम हुई है। यह बात सांस्थायिक रूप से भी जाहिर होने लगी है। अंग्रेजी के अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ हर साल की तरह इस साल भी देश के सबसे ताकतवर एक सौ लोगों की सूची प्रकाशित की है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इधर उधर के सारे छोटे बड़े नेता इस सूची में जगह पा गए हैं लेकिन देश की मीडिया से जुड़े किसी व्यक्ति को इसमें जगह नहीं मिली है। सोचें, कितने चैनलों और मीडिया समूहों के मालिक दिन भर गला फाड़ कर सरकार की जय जयकार करते रहते हैं फिर भी ताकतवर लोगों की सूची में जगह नहीं हासिल कर पाए हैं।

एक जमाना था, जब मीडिया समूहों की ओर से बनाई जाने वाली एक सौ ताकतवर लोगों की सूची में कई मीडिया समूह के लोगों को जगह मिलती थी। टाइम्स समूह के विनीत-पुनीत जैन, दैनिक भास्कर समूह के रमेश और सुधीर अग्रवाल, हिंदुस्तान टाइम्स समूह की शोभना भरतिया के अलावा प्रणय व राधिका रॉय, अविक सरकार, सुभाष गोयल, मारन बंधु आदि तक इन सूची में जगह हासिल करते रहे हैं। लेकिन अब न किसी मालिक को जगह मिलती है और न किसी पत्रकार को। सोचें, हिंदी फिल्मों की आधा दर्जन हस्तियां सूची में हैं। आलिया भट्ट से लेकर रणवीर सिंह तको जगह मिली है लेकिन किसी मीडिया समूह के मालिक या पत्रकार को जगह नहीं मिली है।

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