चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के लिए आईपीएल 2025 का सीजन अब तक निराशाजनक रहा है। एक समय पांच बार की चैंपियन रही यह टीम, इस बार अपने प्रदर्शन से फैंस की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई है।
अभी तक खेले गए 8 मुकाबलों में चेन्नई को 6 बार हार का सामना करना पड़ा है और टीम अंक तालिका में सबसे निचले पायदान पर है, जो CSK जैसे प्रतिष्ठित फ्रेंचाइज़ी के लिए बेहद असामान्य स्थिति है।
जहां एक ओर CSK के घरेलू मैदान चेपॉक स्टेडियम को हमेशा टीम का किला माना जाता रहा है, वहीं इस बार वह अभेद्य किला भी ढहता नजर आया। वर्षों से चेपॉक में CSK का दबदबा रहा है, और यहां किसी भी टीम के लिए चेन्नई को हराना आसान नहीं रहा
लेकिन इस सीजन में कई विपक्षी टीमों ने चेन्नई के ही मैदान में उन्हें मात दी है। यह नतीजे न केवल टीम के मनोबल को प्रभावित करते हैं, बल्कि फैंस के लिए भी एक बड़ा झटका हैं जो हमेशा अपने घरेलू मैदान पर टीम की जीत के आदी रहे हैं।
टीम की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। सलामी बल्लेबाज और भरोसेमंद रन स्कोरर ऋतुराज गायकवाड़ की चोट ने टीम की बल्लेबाज़ी क्रम को और भी असंतुलित कर दिया है। उनकी गैरमौजूदगी में बल्लेबाज़ी में स्थिरता की कमी देखी जा रही है और टीम नियमित रूप से बड़े स्कोर खड़ा करने में असफल हो रही है।
also read: काली पट्टी बांधकर उतरेंगी मुंबई-बेंगलुरु की टीमें, IPL में आज सन्नाटा, कोई जश्न नहीं…
हालांकि, इन तमाम नकारात्मकताओं के बीच चेन्नई सुपर किंग्स के सीईओ कासी विश्वनाथन ने टीम को लेकर आशावादी बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि टीम अभी भी वापसी कर सकती है
वह 2010 की याद दिलाते हैं जब CSK ने शुरुआती संघर्षों के बावजूद टूर्नामेंट जीतकर सबको चौंका दिया था। विश्वनाथन का मानना है कि टीम के पास अनुभव, कौशल और जज़्बा है जो उसे एक बार फिर से खिताब की दौड़ में ला सकता है।
इस बयान से यह स्पष्ट है कि टीम के भीतर विश्वास की कमी नहीं है। खिलाड़ियों को एकजुट होकर फिर से मैदान पर वही जुझारू रवैया दिखाना होगा जिसके लिए CSK जानी जाती है।
क्या महेन्द्र सिंह धोनी की विरासत वाली यह टीम एक बार फिर से चमत्कारी वापसी करेगी? ये आने वाले मुकाबले तय करेंगे। फिलहाल, टीम को हर मैच को “करो या मरो” की भावना से खेलना होगा और अपने प्रशंसकों का विश्वास फिर से जीतना होगा।
इस सीजन में आईपीएल का प्रदर्शन
इस सीजन के आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स (CSK) का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। सीज़न की शुरुआत टीम ने शानदार अंदाज़ में की थी, जब उन्होंने अपना पहला मैच जीतकर एक मजबूत संकेत दिया था कि वे इस बार भी ख़िताब की दौड़ में रहेंगे।
मगर यह जोश ज्यादा समय तक कायम नहीं रह पाया। इसके बाद चेन्नई को लगातार पाँच मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा, जिसने टीम के मनोबल को गहरी चोट पहुंचाई।
हालांकि सातवें मुकाबले में चेन्नई के लिए उम्मीद की किरण तब जगी जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने अनुभव और शानदार खेल का परिचय देते हुए टीम को एक अहम जीत दिलाई।
धोनी का प्रदर्शन फैंस के लिए भी भावुक कर देने वाला रहा, क्योंकि उन्होंने दबाव की स्थिति में अपनी पुरानी चमक दिखाई। लेकिन इस जीत के बाद भी टीम की किस्मत पलटी नहीं और अगला मैच फिर हार के साथ खत्म हुआ।
अब तक खेले गए कुल 8 मैचों में चेन्नई सुपरकिंग्स केवल दो मुकाबले ही जीत पाई है। इस निराशाजनक प्रदर्शन की वजह से टीम अंक तालिका में सबसे नीचे, यानी दसवें स्थान पर है।
यह स्थिति निश्चित रूप से टीम के लिए चिंता का विषय है, खासकर इसलिए क्योंकि चेन्नई जैसी टीम, जो आईपीएल इतिहास की सबसे सफल टीमों में से एक रही है, पहले भी ऐसे कठिन दौर से गुजर चुकी है।
टीम को अब न सिर्फ अपने खेल में बदलाव लाने की जरूरत है, बल्कि आत्मविश्वास, रणनीति और टीम संयोजन पर भी गहराई से काम करना होगा।
यदि खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने में सफल होते हैं और कप्तान धोनी के अनुभव का सही इस्तेमाल किया जाता है, तो टीम आने वाले मैचों में वापसी कर सकती है। मगर फिलहाल के हालात यह दर्शा रहे हैं कि चेन्नई सुपरकिंग्स को इस सीज़न में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
2010 में भी मुश्किल हालात से बाहर निकली थी CSK
साल 2010 का आईपीएल चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के लिए एक बेहद उतार-चढ़ाव भरा सीजन साबित हुआ था। शुरुआत से ही टीम को संघर्ष का सामना करना पड़ा।
अपने पहले सात मुकाबलों में CSK केवल दो ही मैच जीत सकी थी, जिससे लगने लगा था कि शायद इस बार टीम प्लेऑफ तक भी न पहुंच पाए।
पहले मुकाबले में हार के बाद, धोनी की अगुवाई में टीम ने दो शानदार जीत दर्ज कीं, जिससे उम्मीद जगी। लेकिन इसके बाद चेन्नई को लगातार चार मुकाबलों में हार का मुंह देखना पड़ा, और टीम एक बार फिर दबाव में आ गई।
इस मुश्किल दौर में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने अनुभव, धैर्य और नेतृत्व क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने टीम को एकजुट रखा और हर खिलाड़ी से बेस्ट प्रदर्शन निकलवाने की कोशिश की।
धीरे-धीरे टीम ने वापसी करनी शुरू की और सीजन के अंत तक कुल 14 मैचों में से 7 मैच जीतकर 14 अंकों के साथ अंक तालिका में तीसरे स्थान पर पहुंच गई। इस तरह चेन्नई ने प्लेऑफ में अपनी जगह बनाई और साबित किया कि असली विजेता वही होता है जो मुश्किलों से घबराता नहीं, बल्कि डटकर मुकाबला करता है।
प्लेऑफ में प्रवेश के बाद CSK ने अपना दबदबा कायम रखा और फाइनल तक का सफर शानदार अंदाज़ में तय किया। फाइनल में उसका सामना मुंबई इंडियंस जैसी मजबूत टीम से हुआ। लेकिन उस मुकाबले में भी चेन्नई ने दमदार प्रदर्शन करते हुए 22 रनों से जीत दर्ज की और 2010 का आईपीएल खिताब अपने नाम किया।
यह सीजन CSK के इतिहास में न केवल एक खिताबी जीत के रूप में दर्ज हुआ, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि यह टीम कठिन समय में भी हार नहीं मानती।
2010 की यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं थी, बल्कि संघर्ष, आत्मविश्वास और टीम स्पिरिट की जीत थी – जिसने चेन्नई सुपर किंग्स को IPL की सबसे भरोसेमंद और चैंपियन टीमों में शुमार कर दिया।