भारतीय क्रिकेट टीम एक नए युग की दहलीज पर खड़ी है, जहां अनुभवी सितारों के विदा लेने के बाद युवा खिलाड़ियों को कमान संभालनी है। हाल ही में टीम के अनुभवी सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, वहीं ऐसी अटकलें भी तेज़ हो रही हैं कि विराट कोहली भी जल्द ही इस फॉर्मेट को अलविदा कह सकते हैं।
इन दोनों दिग्गजों (रोहित शर्मा और विराट कोहली) की गैरमौजूदगी में भारतीय टीम के सामने एक कठिन परीक्षा खड़ी है, खासकर आगामी इंग्लैंड दौरे को देखते हुए। भारत की बल्लेबाजी हमेशा से ही इंग्लैंड जैसी परिस्थितियों में संघर्ष करती आई है, जहां गेंदबाज़ों को भरपूर स्विंग मिलती है।
साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया (SENA) जैसे देशों में भारतीय बल्लेबाजों को अक्सर परेशानी का सामना करना पड़ा है, और रोहित शर्मा व कोहली जैसे अनुभवी खिलाड़ी ही इन मुश्किल हालात में टीम की नैया पार लगाने का काम करते थे। आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि इन दोनों खिलाड़ियों की मौजूदगी भारतीय बल्लेबाजी को स्थायित्व और आत्मविश्वास देती थी।
इंग्लैंड दौरा अनुभव और युवा जोश की अग्निपरीक्षा
विराट कोहली का इंग्लैंड में प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा है, और वे इंग्लैंड में सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने वाले भारतीय बल्लेबाजों की सूची में चौथे स्थान पर हैं। वहीं रोहित शर्मा, जो शुरुआती ओवरों में तेज़ शुरुआत देने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने भी इंग्लैंड के खिलाफ अच्छा औसत बनाए रखा है। उनकी तकनीक और अनुशासन ने कई बार इंग्लिश पिचों पर भारतीय पारी को मजबूत आधार दिया है।
हालांकि भारत के लिए थोड़ी राहत की बात यह है कि इंग्लैंड के दो दिग्गज गेंदबाज — जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड — अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं।
फिर भी इंग्लैंड की गेंदबाजी में स्विंग और सीम मूवमेंट की कमी नहीं है। वहां के युवा तेज गेंदबाज भी बेहतरीन लाइन और लेंथ से गेंदबाज़ी कर सकते हैं और भारतीय बल्लेबाजों की तकनीक की कड़ी परीक्षा ले सकते हैं।
युवाओं से सजी इस भारतीय टीम के (रोहित शर्मा) लिए यह दौरा न केवल क्रिकेट कौशल की परीक्षा होगी, बल्कि मानसिक दृढ़ता और रणनीतिक सोच का भी इम्तिहान होगा। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-से युवा खिलाड़ी इन जिम्मेदारियों को निभाते हैं और खुद को अगली पीढ़ी के लीडर के रूप में स्थापित करते हैं।
SENA में लड़खड़ाई भारतीय बल्लेबाजी
भारतीय बल्लेबाजी SENA देशों (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में एक बार फिर से चुनौतियों के दौर से गुजर रही है। विराट कोहली और रोहित शर्मा के बाद अब टीम इंडिया की जिम्मेदारी सबसे अनुभवी बल्लेबाजों ऋषभ पंत और केएल राहुल पर आ गई है।
इन दोनों से उम्मीदें काफी होंगी, खासकर तब जब टीम इंडिया 20 जून से इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने जा रही है। अगर 2020 के बाद SENA देशों में भारतीय बल्लेबाजों के प्रदर्शन पर नजर डालें, तो ऋषभ पंत सबसे आगे हैं।
उन्होंने विदेशी धरती पर 36.58 की औसत से 1317 रन बनाए हैं। उनके बाद विराट कोहली का नाम आता है, जिन्होंने 31.25 की औसत से 1250 रन बनाए हैं। तीसरे स्थान पर हैं टीम से बाहर चल रहे चेतेश्वर पुजारा, जिनके नाम 31.97 की औसत से 1087 रन हैं।
केएल राहुल ने भी 32.90 की औसत से 987 रन बनाए हैं, जबकि अजिंक्य रहाणे ने 27.13 की औसत से 814 रन बनाए। भले ही रोहित शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया हो, लेकिन उन्होंने भी 36.53 की औसत से 950 रन बनाए हैं।
अब देखना होगा कि पंत और राहुल विदेशी परिस्थितियों में टीम इंडिया को मजबूती देने में कितने कामयाब होते हैं।
इंग्लैंड में भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन
इंग्लैंड की परिस्थितियाँ हमेशा से भारतीय बल्लेबाजों के लिए चुनौतीपूर्ण रही हैं। स्विंग करती गेंद, बादलों से ढके आसमान, और हर वक़्त बदलते मौसम ने कई दिग्गज बल्लेबाज़ों की परीक्षा ली है।
इन हालातों में अनुभव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अगर विराट कोहली जैसे अनुभवी खिलाड़ी इंग्लैंड दौरे पर नहीं जाते हैं, तो भारतीय बल्लेबाजी क्रम में अनुभव की स्पष्ट कमी देखने को मिलेगी।
विराट कोहली ने इंग्लैंड में अब तक 17 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें उन्होंने 33.00 की औसत से 1096 रन बनाए हैं। इसमें दो शतक और पांच अर्धशतक शामिल हैं। कोहली का अनुभव न केवल रन बनाने तक सीमित है, बल्कि दबाव में खेल की दिशा बदलने की उनकी क्षमता टीम इंडिया के लिए अनमोल साबित होती रही है।
ऋषभ पंत, जो आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने 9 टेस्ट में 32 की औसत से 556 रन बनाए हैं, जिसमें दो शतक शामिल हैं। हालांकि उन्होंने कुछ यादगार पारियां खेली हैं, लेकिन उनकी निरंतरता और अनुभव की अभी भी कमी है।
चेतेश्वर पुजारा, जो कभी भारतीय टेस्ट टीम की रीढ़ माने जाते थे, उनका इंग्लैंड में रिकॉर्ड काफी निराशाजनक रहा है। उन्होंने 16 टेस्ट में सिर्फ 29.00 की औसत से 870 रन बनाए हैं। उनके नाम कोई विशेष यादगार पारी नहीं रही, और यही वजह है कि वे अब टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं।
विराट कोहली की गैरमौजूदगी से बढ़ी चुनौतियां
केएल राहुल की बात करें तो उन्होंने 9 टेस्ट में 34.00 की औसत से 614 रन बनाए हैं। उन्होंने कुछ अहम पारियां जरूर खेली हैं और दो शतक भी लगाए हैं, लेकिन उनकी बल्लेबाजी में स्थिरता की कमी रही है।
अजिंक्य रहाणे, जो कभी विदेशी दौरों पर भारत की उम्मीद माने जाते थे, इंग्लैंड में बेहद असफल रहे हैं। 16 टेस्ट मैचों में उन्होंने केवल 28.80 की औसत से 864 रन बनाए हैं, जो उनकी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं है।
वहीं अगर रोहित शर्मा की बात की जाए, तो उन्होंने अब तक इंग्लैंड में सिर्फ 7 टेस्ट खेले हैं, लेकिन 40.00 की औसत से 524 रन बनाए हैं। यह औसत बताता है कि रोहित शर्मा ने विदेशी परिस्थितियों में अपने खेल को अच्छी तरह से ढाल लिया है और वे एकमात्र बल्लेबाज हैं जिनका प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है।
इन आँकड़ों से यह साफ़ ज़ाहिर होता है कि भारतीय बल्लेबाजी (रोहित शर्मा) क्रम में अनुभव की कमी एक गंभीर मुद्दा बन सकती है, खासकर तब जब टीम को इंग्लैंड जैसे चुनौतीपूर्ण माहौल में खेलना हो।
युवा बल्लेबाजों को आगे आने और खुद को साबित करने का मौका जरूर मिलेगा, लेकिन विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे अनुभवी और दमदार खिलाड़ी की गैरमौजूदगी टीम इंडिया को भारी पड़ सकती है।
ऐसे में चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट को संतुलन बनाए रखने के लिए सोच-समझकर फैसले लेने होंगे, क्योंकि इंग्लैंड में जीतना केवल तकनीकी कुशलता नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता की भी मांग करता है।
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