All Party Delegation

  • जो जाहिर है, उसे बताने की मुहिम!

    सरकार के पास अगर ठोस सूचना और साक्ष्य (संचार संबंधी, आदि) हैं, तो और प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तानी हाथ के सबूत के साथ जा रहे हैं, तो इनका जरूर असर होगा। प्रतिनिधिमंडल ठोस साक्ष्यों को संबंधित संदर्भ के साथ वहां रखते हैं, तो भारतीय कूटनीति की ये पहल कारगर साबित होगी। लेकिन इस सिलसिले में यह अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि ऐसी अंतरराष्ट्रीय एवं कूटनीतिक पहल में “परिस्थितिजन्य साक्ष्य” पर्याप्त नहीं होते। सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को 30 से ज्यादा देशों में भेजने का फैसला (https://x।com/moneycontrolcom/status/1923954852633215362) क्या सरकारी स्तर पर परोक्ष रूप से इस बात की स्वीकृति है कि ऑपरेशन सिंदूर के...

  • दुनिया सुन है पर कह क्या रही?

    भारत में पिछले 11 साल में जो सबसे ज्यादा बोला या सुना गया जुमला है उसमें एक है कि दुनिया अब भारत की बात पहले से ज्यादा गंभीरता से सुन रही है। हालांकि किसी ने न पूछा और न किसी ने बताया कि दुनिया सुन तो रही है पर कह क्या रही है? क्या दुनिया वही बात कह रही है, जो भारत कह रहा है या भारत कुछ भी कहे दुनिया वही कह रही है, जो उसके नैरेटिव में फिट बैठे? अभी फिर भारत के सांसद, पूर्व सासंद और अधिकारी दुनिया को अपनी बात सुनाने निकले हैं। कह सकते हैं...

  • यूएई ने भी भारत की जुंबा नहीं बोली

    इसी तरह शिव सेना नेता श्रीकांत शिंदे की अध्यक्षता में संयुक्त अरब अमीरात के दौरे पर गया डेलिगेशन वहां के सहिष्णुता मंत्री यानी टॉलरेंस मिनिस्टर से मिला। भारत के डेलिगेशन से मिलने के लिए टॉलरेंस मिनिस्टर को अधिकृत करना ही अपने आप में बहुत कुछ कहता है। बहरहाल, यूएई के टॉलरेंस मिनिस्टर शेख नाह्यान बिन मुबारक अल नाह्यान ने शिंदे की कमेटी से कहा कि आतंकवाद सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि हम सब लोगों को अंतरराष्ट्रीय समुदा के रूप एक साथ आना चाहिए और मानवता के बेहतर भविष्य की योजना बनानी...

  • मुस्लिम प्रतिनिधि भेजने की कैसी मजबूरी?

    भारत सरकार दुनिया भर के देशों को पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों और उसके खिलाफ हुई सैन्य कार्रवाई यानी ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताने के लिए सात डेलिगेशन भेज रही है। इनमें से दो प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता भाजपा के सांसद कर रहे हैं और दो का नेतृत्व उसकी सहयोगी पार्टियों जनता दल यू और शिव सेना के सांसद कर रहे हैं। बाकी तीन का नेतृत्व विपक्षी पार्टियों के सांसदों के हाथ में है। कांग्रेस के शशि थरूर, शरद पवार की एनसीपी की सुप्रिया सुले और डीएमके से कनिमोझी इनका नेतृत्व कर रहे हैं। डेलिगेशन को लेकर कांग्रेस की ओर से...

  • एक अवांछित कड़वाहट

    जिस पहल का संबंध राष्ट्रीय आम सहमति और संकल्प जताने से है, क्या उसकी शुरुआत से पहले कड़वाहट पैदा होनी चाहिए? क्या यह उचित नहीं होता कि पार्टी व्यवस्था के आम चलन का ख्याल किया जाता? आतंकवाद से संघर्ष पर भारत का पक्ष रखने के लिए विदेश जा रहे सात प्रतिनिधिमंडलों में सदस्य चयन को लेकर सरकार और कांग्रेस के बीच अवांछित कड़वाहट पैदा हुई है। वैसे शिव सेना का उद्धव ठाकरे गुट भी इस प्रक्रिया को लेकर नाराज है। इस हद तक कि उसने कहा है कि विपक्ष को इन प्रतिनिधिमंडलों का बहिष्कार कर देना चाहिए था। कांग्रेस के...

  • नाम चुनने में राजनीति तो हुई है

    विदेश जाने वाले सांसदों और पूर्व सांसदों के डेलिगेशन का नाम चुनने में राजनीति तो हुई है। भले सरकार देश के नाम पर प्रतिनिधिमंडल भेज रही है और कहा जा रहा है कि उसने सभी दलों को मौका दिया है लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस के साथ उसने राजनीति कर दी। कांग्रेस ने जिन चार लोगों के नाम सरकार को दिए उनमें से सिर्फ एक आनंद शर्मा को एक डेलिगेशन में शामिल किया गया। बाकी तीन नाम, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और राजा अमरिंदर वारिंग को किसी कमेटी में शामिल नहीं किया गया। ऊपर से कांग्रेस के विरोध...

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