विदेश जाने वाले सांसदों और पूर्व सांसदों के डेलिगेशन का नाम चुनने में राजनीति तो हुई है। भले सरकार देश के नाम पर प्रतिनिधिमंडल भेज रही है और कहा जा रहा है कि उसने सभी दलों को मौका दिया है लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस के साथ उसने राजनीति कर दी।
कांग्रेस ने जिन चार लोगों के नाम सरकार को दिए उनमें से सिर्फ एक आनंद शर्मा को एक डेलिगेशन में शामिल किया गया। बाकी तीन नाम, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और राजा अमरिंदर वारिंग को किसी कमेटी में शामिल नहीं किया गया। ऊपर से कांग्रेस के विरोध के बावजूद शशि थरूर को न सिर्फ शामिल किया गया, बल्कि एक डेलिगेशन का नेतृत्व उनको सौंपा गया।
थरूर का डेलिगेशन अमेरिका जाएगा। इससे कांग्रेस के नेता काफी नाराज हुए हैं। कहा जा रहा है कि गौरव गोगोई के नाम का असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विरोध किया था। वे उनके ऊपर पाकिस्तानियों से जुड़े होने के आरोप लगाते रहे हैं।
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डेलिगेशन चयन में कांग्रेस राजनीति
कांग्रेस से जिन पांच लोगों को चुना गया उसमें भी राजनीति का खास ख्याल रखा गया है। इनमें से तीन तो ऐसे हैं, जो जी 23 के सदस्य हैं। कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी आलाकमान को चिट्ठी लिख कर एक बार संगठन से जुड़े सवाल उठाए थे। उन नेताओं में शशि थरूर, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी शामिल थे। इन तीनों को विदेश जाने वाले डेलिगेशन में शामिल किया गया है। कभी न कभी इन तीनों के भाजपा में जाने की चर्चा हो चुकी है। इनके अलावा सलमान खुर्शीद और डॉक्टर अमर सिंह को शामिल किया गया। सबको पता है कि खुर्शीद का राजनीतिक करियर अब लगभग समाप्त हो चुका है।
जहां तक अमर सिंह का सवाल है तो वे पूर्व नौकरशाह हैं और पंजाब के सांसद हैं। वे दूसरी बार जीते हैं लेकिन पंजाब की राजनीति में कोई बड़ी पहचान नहीं है। इस तरह बड़ी सावधानी से कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व के भरोसेमंद नेताओं की अनदेखी कर दी गई।