बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या मानसिक रूप से बीमार हैं? बिहार सरकार को इस सवाल का जवाब देना चाहिए। इसमें छिपाने या शर्माने शरमाने वाली कोई बात नहीं है। पूरी दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अवरनेस के लिए अभियान चल रहा है। अगर उनको किसी किस्म की मानसिक बीमारी है, जिसका इलाज चल रहा है तो वह बात लोगों को बताई जानी चाहिए। और अगर नहीं है तो यह बताया जाना चाहिए कि वह क्यों हर किसी के पैर छूते चल रहे हैं? ध्यान रहे नीतीश कुमार करीब तीन दशक से सत्ता में हैं। वे 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बने थे और उसके बाद एकाध साल को छोड़ कर केंद्र में मंत्री या बिहार के मुख्यमंत्री रहे। लेकिन कभी उनको भी वाजपेयी, आडवाणी या डॉक्टर जोशी के पैर छूते नहीं देखा गया। उनको नेता बनाने वाले कैलाशपति मिश्र के भी कभी उन्होंने पैर नहीं छुए। छह महीने पहले तक उन्होंने नरेंद्र मोदी के भी कभी पैर नहीं छुए थे।
उलटे 2010 में नरेंद्र मोदी के साथ एक तस्वीर की फोटो पटना के अखबारों में छप गई थी तो नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं को दिया गया रात्रि भोज रद्द कर दिया था। उन्होंने संबंध तोड़ लेने की धमकी दी थी। लेकिन अब पिछले छह महीने में उन्होंने दो बार नरेंद्र मोदी के पैर छुए हैं। पहले आठ जून को एनडीए की बैठक में दिल्ली में और फिर 13 नवंबर को दरभंगा के कार्यक्रम में। जनता दल यू के नेता और बिहार सरकार के मंत्री बताएं कि नीतीश के मन में अचानक ऐसी क्या श्रद्धा उमड़ पड़ी है, जो वे प्रधानमंत्री के बार बार पैर छू रहे हैं? इससे पहले एक कार्यक्रम में वे बच्चों की तरह प्रधानमंत्री को छू रहे थे। असल में इस तरह के आचरण से नीतीश अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ साथ राज्य के 14 करोड़ लोगों को शर्मिंदा कर रहे हैं।
सोचें, देश के 13 राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्री हैं। सारे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कृपा से बने हैं और सब के सब नीतीश कुमार से कम उम्र के हैं लेकिन उनमें से कोई भी मुख्यमंत्री सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के पैर नहीं छूता है। क्या उनके मन में मोदी के लिए कम श्रद्धा है? दरभंगा के मंच पर भी भाजपा के अनेक नेता थे लेकिन किसी ने मोदी के पैर नहीं छुए! वैसे भी मोदी के लिए नीतीश के मन में क्या श्रद्धा हो सकती है? पटना विश्वविद्यालय के सौ साल पूरे होने के कार्यक्रम में नीतीश हाथ जोड़ कर इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग करते रहे और मोदी ने ध्यान नहीं दिया। वे भूल गए कि मोदी ने उनके डीएनए में खराबी बताई थी? जाहिर अपनी मानसिक हालत की वजह से नीतीश इस तरह के काम कर रहे हैं। वे सिर्फ मोदी के नहीं, बल्कि किसी के भी पैर छूने लग रहे हैं। पिछले दिनों चित्रगुप्त पूजा के दिन तीन नवंबर को उन्होंने भाजपा के पूर्व सांसद आरके सिन्हा के पैर छू लिए। उससे पहले एक सार्वजनिक कार्यक्रम में एक इंजीनियर के पैर छूने बढ़ गए थे। एक बार उन्होंने अपनी पार्टी के नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के पैर छू लिए। जदयू नेताओं और सरकार के लोगों को हकीकत पता है लेकिन सबके अपने स्वार्थ हैं, जिसके लिए वे नीतीश को इस तरह से अपमानित होने दे रहे हैं। उनको पता है कि नीतीश हटे तो सबकी सत्ता जाएगी। इसलिए वे उनको शो पीस की तरह दिखाते हैं। इसे बंद करना चाहिए।