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08-07-2025 Vol 19

दुनिया सुन है पर कह क्या रही?

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भारत में पिछले 11 साल में जो सबसे ज्यादा बोला या सुना गया जुमला है उसमें एक है कि दुनिया अब भारत की बात पहले से ज्यादा गंभीरता से सुन रही है। हालांकि किसी ने न पूछा और न किसी ने बताया कि दुनिया सुन तो रही है पर कह क्या रही है? क्या दुनिया वही बात कह रही है, जो भारत कह रहा है या भारत कुछ भी कहे दुनिया वही कह रही है, जो उसके नैरेटिव में फिट बैठे? अभी फिर भारत के सांसद, पूर्व सासंद और अधिकारी दुनिया को अपनी बात सुनाने निकले हैं।

कह सकते हैं कि भारत ने बड़ा कूटनीतिक अभियान छेड़ा है। 51 सांसद और पूर्व सांसद और आठ राजदूत दुनिया के 33 देशों की यात्रा पर निकले हैं। इसी बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर यूरोप की यात्रा पर हैं और विदेश सचिव विक्रम मिस्री जापान की यात्रा पर हैं। ये सारे लोग दुनिया के देशों को आतंकवाद के बारे में बता रहे हैं, आतंकवाद को मिलने वाली पाकिस्तानी प्रश्रय और मदद के बारे में बता रहे हैं। साथ ही आतंकवाद के खिलाफ भारत के सैन्य अभियान यानी ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बता रहे हैं।

भारत के नेता और अधिकारी कोई ऐसी बात नहीं बता रहे हैं, जो पहले से सार्वजनिक नहीं है। पहले सैन्य अधिकारियों के साथ विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए, फिर लगातार दो दिन तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस, फिर सेना की ओर से हर दिन जारी हो रहे नए वीडियोज के जरिए और स्वंय प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री के भाषणों के जरिए दुनिया को पता है कि छह और सात मई की रात को भारत ने कैसे आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया, उसके बाद कैसे पाकिस्तान ने प्रतिक्रिया दी और फिर कैसे भारत ने जवाबी कार्रवाई की।

विश्व प्रतिक्रिया भारत की चुनौती

ये सारी बातें दुनिया के देश जानते हैं। भारत उम्मीद कर रहा है कि उसके प्रतिनिधि दुनिया को इस बारे में निजी तौर पर बताएंगे तो उनका समर्थन हासिल करना आसान होगा। हालांकि अभी तक ऐसा नहीं दिख रहा है। अभी तक की स्थिति है कि दुनिया के देश वही प्रतिक्रिया दे रहे हैं, जो उन्होंने पहले दिया था। वे पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा कर रहे हैं, आतंकवाद को खतरा मान रहे हैं, उससे लड़ने का संकल्प जता रहे हैं लेकिन कोई यह नहीं कह रहा है कि भारत ने जो कार्रवाई की वह सही है और भारत को अपनी रक्षा के लिए ऐसा करने का अधिकार है।

हो सकता है कि प्रतिनिधिमंडल की बातचीत में पाकिस्तान का नाम आया हो लेकिन अभी तक किसी भी डेलिगेशन से मुलाकात की ब्रीफिंग या बयान में किसी देश ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया है। भारत चाहता है कि पाकिस्तान को आतंकवाद का ठिकाना साबित किया जाए। लेकिन अभी तक दुनिया के देश पाकिस्तान का नाम लेने से हिचक रहे हैं। वे आतंकवाद के पर भारत का साथ देने का वादा कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ बोलने से बच रहे हैं।

मिसाल के तौर पर जनता दल यू के सांसद संजय झा के नेतृत्व में जो डेलिगेशन विदेश दौरे पर गया है उस डेलिगेशन का पहला मुकाम जापान था, जहां उनकी मुलाकात जापान के विदेश मंत्री तकेशी आइवाया से हुई। उनसे मुलाकात के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया में पोस्ट डाल कर बताया कि जापान के विदेश मंत्री ने क्या कहा है। जापान के विदेश मंत्री ने भारतीय डेलिगेशन से कहा कि आतंकवाद के किसी भी रूप के जस्टिफाई नहीं किया जा सकता है और उन्होंने भारत के साथ अपनी एकजुटता दिखाई।

उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को समर्थन दिया और पहलगाम कांड के बाद भारत की ओर से दिखाए गए संयम की तारीफ की। जापान के  विदेश मंत्री ने पहलगाम में मारे गए लोगों के प्रति गहरी संवेदन जताई। उन्होंने आतंकवादियों को सजा देने की जरुरत भी बताई। लेकिन यह नहीं कहा कि भारत ने जो किया वह उसका अधिकार है और वह सही है।

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Pic Credit: ANI

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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