डरो मत के मंत्र से ही विपक्ष बचेगा!
राजनीति में संघर्ष करना पड़ता है। स्टालिन को कितना इंतजार करना पड़ा। जयललिता के रहते हुए उनके संघर्ष लगातार चलते रहे। सत्तर के होने से दो तीन साल पहले ही वे मुख्यमंत्री बन पाए। और अब विपक्ष की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। और तमिलनाडु के वे एकमात्र बड़े नेता हैं। पक्ष विपक्ष दोनों जगह। शोले फिल्म का डायलाग राजनीति में बिल्कुल सही साबित हो रहा है। जो डर गया समझो वह मर गया! वहां भी मरने से मतलब मरना नहीं था। यहां भी नहीं है। कोई हैसियत न रह जाना। निपट जाना। या जैसे गांव कस्बों में कहा...