hate speech
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड सरकार को नफरती बयानों पर खुद संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
सरकारें हेट स्पीच रोकने के लिए काम करें अन्यथा अवमानना की कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें।
सुप्रीम कोर्ट ने सटीक बात कही है। अदालत ने कहा कि देश का माहौल हेट स्पीच (नफरत भरी बातों) के कारण खराब हो रहा है।
असंतोष की बात यह है कि अक्सर सुप्रीम कोर्ट की ऐसी भावनाएं महज टिप्पणियां बन कर रह जाती हैं।
मशहूर शायर नवाब मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता का शेर है, ‘हम तालिब-ए-शोहरत हैं हमें नंग से क्या काम, बदनाम अगर होंगे तो क्या नाम न होगा’ काफ़ी लोकप्रिय हुआ था।
हरिद्वार की एक ‘धर्म संसद’ में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत से भरे भाषण देने और नरसंहार की अपील करने वाले भाषणों के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गई है।