Opposition Party

  • विपक्ष की कहानी में कितना दम?

    पहले एक चुटकुले से शुरुआत करते हैं, फिर महान लेखक कृश्नचंदर की किताब ‘एक गधे की आत्मकथा’ का एक संदर्भ और तब राहुल गांधी और विपक्ष की ओर से मतदाता सूची के पुनरीक्षण के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन की चर्चा करेंगे। चुटकुला ऐसे हैः एक व्यक्ति वोट डालने जाता है। वोट डाल कर मतदान करा रहे अधिकारी से पूछता है- देखना मेरी पत्नी आशा देवी वोट डाल कर चली गईं? महिला अधिकारी सूची देख कर कहती है- हां, एक घंटे पहले ही वोट डाल कर चली गईं। व्यक्ति आह भरते हुए कहता है- इसका मतलब है कि एक घंटे...

  • कांग्रेस के मुख्य विपक्षी का दर्जा गंवाने का खतरा

    india alliance: कांग्रेस को पिछले दो चुनाव से लोकसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा नहीं मिल रहा था। इस बार लोकसभा में यह दर्जा मिला है तो राज्यसभा में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा गंवाने का खतरा पैदा हो गया है। संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में कांग्रेस के सिर्फ 27 सांसद हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए उसके कम से कम 24 सांसद होने चाहिए।(india alliance) लोकसभा चुनाव से पहले उसके सामने इसे लेकर चिंता नहीं थी। लेकिन दीपेंद्र हुड्डा, केसी वेणुगोपाल आदि के लोकसभा चुनाव जीत जाने की वजह से भाजपा की...

  • कांग्रेस पर फिर मोदी का हमला

    मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर कांग्रेस के घोषणापत्र को निशाना बनाया है और कहा है कि उसमें कांग्रेस ने मुस्लिम लीग वाली भाषा का इस्तेमाल किया है। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस देश के विभाजन की बातें करती है। उन्होंने सोमवार को महाराष्ट्र के चंद्रपुर में एक चुनावी सभा में एनडीए के लिए वोट मांगते हुए कहा- 2024 का लोकसभा चुनाव स्थिरता बनाम अस्थिरता के बीच का चुनाव है। उन्होंने दावा किया कि आज देश का पिछड़ा, गरीब, दलित, आदिवासी मोदी सरकार को अपनी सरकार मानता है। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा-...

  • बिहार में मुकेश सहनी विपक्षी गठबंधन में शामिल

    पटना। लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़े घटनाक्रम में बिहार में ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से मशहूर मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल हो गई है। पटना में एक साझा प्रेस कांफ्रेंस करके मुकेश सहनी और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने इसकी घोषणा की। सहनी के विपक्षी गठबंधन में शामिल होने की घोषणा करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा- हम मुकेश सहनी का महागठबंधन में स्वागत करते हैं।आरजेडी बिहार में अपने हिस्से की 26 में तीन सीट मुकेश सहनी को देगी। ये सीटें गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी है, जहां...

  • सब कह रहे हैं ये जीते तो देश नही बचेगा…

    भोपाल। 2024 का आम चुनाव बहुत ही मुश्किल दौर में जाता दिख रहा है। सियासी दल सोच- विचार और सिद्धांतों के मुद्दे पर दिवालिया से हो रहे हैं। मतदाता मुश्किल में है किस पर एतबार करे। राहुल बाबा कह रहे हैं मेरी बात गौर से सुन लीजिए- अबकी बार भाजपा जीती और उन्होंने संविधान बदला तो इस पूरे देश मे आग लगने जा रही है। ये देश नही बचेगा। Lok Sabha election 2024 उनका आशय साफ है कि ये चुनाव विशेष है मामूली नही है। भाजपा जीती तो समझो देश खत्म...! कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कहते हैं भाजपा और आरएसएस...

  • विपक्ष क्यों नाकाम हो रहा है

    आमिर खान की बेहद चर्चित फिल्म ‘दंगल’ में एक दृश्य है, जब महावीर फोगाट अपनी बेटियों को पुरुष पहलवानों से लड़वाने ले जाते हैं तो कुश्ती का आयोजक इसके लिए मना कर देता है। लेकिन फिर उसको उसका दोस्त समझाता है कि उसे फुलटॉस बॉल पर छक्का मारने का मौका मिल रहा है वह उसे ऐसे ही जाने दे रहा है। दोस्त के समझाने पर आयोजक मान जाता है फिर लड़कियां लड़कों से कुश्ती लड़ती हैं, जिसे देखने के लिए भारी भीड़ जुटती है और इस तरह मजमा जम जाता है। यह कहानी बताने का मकसद यह है कि लोकसभा...

  • विपक्षी गठबंधन में क्या हो रहा है?

    यह रहस्य है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अंदर क्या हो रहा है। विपक्षी नेताओं की आखिरी बैठक 19 दिसंबर को हुई थी। उसके बाद साइडलाइंस का कुछ बैठकें हुई हैं। ‘इंडिया’ की आखिरी बैठक में तय किया गया था कि तीन हफ्ते में सीट बंटवारा फाइनल कर लिया जाएगा। ध्यान रहे तीन हफ्ते की यह डेडलाइन भी कई बार की विफलता के बाद तय हुई थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेंगलुरू में हुई दूसरी बैठक के समय यानी जुलाई से ही दबाव डाल रहे थे कि जल्दी सीट बंटवारा किया जाए।...

  • विपक्ष नकल करता है अक्ल नहीं लगाता!

    विपक्ष के पुराने और नए नेता नरेंद्र मोदी की देखा-देखी वह सब कर रहे है जो चुनाव प्रबंधन के नए तौर-तरीके हैं। सोशल मीडिया, सर्वे टीम, चुनावी प्रबंध की एजेंसियों, पेशेवरों, मार्केटिंग-ब्रांडिंग की पोस्टरबाजी के सारे तामझाम राहुल, अखिलेश, तेजस्वी, हेमंत, अरविंद केजरीवाल, जयंत चौधरी, अभिषेक बनर्जी आदि चुनावों में अपनाए हुए होते हैं। करोड़ों-अरबों रुपए खर्च करते हैं। निश्चित ही चार महीने बाद ‘इंडिया’ एलांयस की पार्टियां इसी ढर्रे पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। मगर होगा वही जो अभी उत्तर भारत में हुआ है। कांग्रेस जैसे हारी है। क्यों? जवाब में राहुल गांधी, केजरीवाल, अखिलेश, मायावती, लालू यादव, नीतीश कुमार,...

  • विरोधी दलों में एकता का स्वांग!

    विपक्षी गठबंधन की हिंदू विरोधी मानसिकता भी सर्वविदित है। रामचरितमानस और बदरीनाथ के बाद आई.एन.डी.आई. गठबंधन और सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने दीपावली के अवसर पर करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर पुन: कुठाराघात करते हुए मां लक्ष्मी पर अपमानजनक टिप्पणी कर दी। इससे पहले इसी गठबंधन के एक मुख्य घटक द्रमुक ने सनातन धर्म को समाप्त करने का आह्वान किया था, जिसे कांग्रेस के कई नेताओं का समर्थन भी प्राप्त था। कई विरोधाभासों के बाद भी यह सभी विपक्षी दल एकजुट रहने का स्वांग क्यों कर रहे है? इसके दो कारण है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में...

  • ‘इंडिया’ गठबंधनः भाजपा की आसानी या मुश्किल?

    जिस ज़ोर-शोर से ‘इंडिया’ गठबंधन की घोषणा हुई थी वो गर्मी अब धीरे-धीरे शांत होती जा रही है, ऐसा प्रतीत होता है। पिछले दिनों ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दल तृण मूल कांग्रेस पर कांग्रेस के नेता अधिरंजन चौधरी ने जो हमला बोला उससे इस गठबंधन में दरार पड़ने का संदेश गया। उधर मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस के द्वारा वायदा करने बावजूद सपा को 5-7 टिकटें नहीं दी गईं। जिसपर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराज़गी व्यक्त की। पटना, बेंगलुरु और मुंबई में जबसे प्रमुख विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठकें हुईं...

  • अपने गिरेबान में झांकने का समय!

    विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ की मीडिया कमेटी ने मुख्यधारा के खबरिया चैनलों से जुड़े 14 एंकर्स के साथ ‘असहयोग’ का ऐलान किया है। विपक्षी पार्टियां इन एंकर्स के कार्यक्रमों में अपने प्रवक्ताओं या टेलीविजन वक्ताओं को नहीं भेजेंगी क्योंकि विपक्ष को लग रहा है कि ये एंकर देश में नफरत फैलाने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियों ने यह फैसला इन एंकर्स के कार्यक्रमों में बहस के लिए रखे जाने वाले विषयों, उसमें बुलाए जाने वाले मेहमानों, बहस की दिशा और इन एंकर्स के अपने आचरण के इतिहास के आधार पर किया है। इसलिए मानना चाहिए...

  • ‘इंडिया’ दिखाए चुस्ती-फुर्ती, तभी बनेगी बात

    नाम INDIA बहुत अच्छा है। सत्ता पक्ष में खलबली मचा दी।...नाम ने भोकाल मचा दिया। मगर वही बात है कि नयनसुख रखने से ही तोदुनिया के नजारे नहीं दिखेंगे। घर से निकलना पड़ेगा। जाना पड़ेगा।बंगलुरू की मीटिंग में इन्डिया नाम रखा था। 17 – 18 जुलाई को थी मीटिंग।मगर उसके बाद अगली 31 अगस्त 1 सितम्बर को। इतना गेप क्यों?...रेस में घोड़ा दौड़ता बाद में है पहले तो अपनी चुस्तीफुर्ती से ही दिखाता है कि वह जीत सकता है। नाम नयनसुख रख दिया। मगर बच्चे को घर से बाहर जाने ही नहीं दे रहे! क्यावह दुनिया देखेगा? क्या वह करेगा...

  • विपक्ष की स्क्रिप्ट में थीम का टोटा

    नीतीश कुमार हों या मल्लिकार्जुन खड़गे या शरद पवार, ममता बनर्जी, अखिलेश, केजरीवाल, उद्धव ठाकरे सब मोदी से लड़ने, उन्हें चुनाव में हराने का इरादा लिए हुए हैं लेकिन इसके लिए चुनाव किस थीम पर लड़ें, क्या कहानी, क्या डायलॉग और कैसे एक्शन हो इसका दिमागी खाका नहीं बना है। समझ ही नहीं आ रहा। सभी नेता अपने-अपने दायरे में ख्याली पुलाव पका रहे हैं। प्रदेश और विधानसभा चुनाव का माइंडसेट है। मैंने दो सप्ताह पहले लिखा था कि विपक्ष मानो पाषाण युग में। दरअसल कांग्रेस और विपक्षी एकता के जितने सलाहकार, बौद्धिक प्रमुख याकि कन्हैया से लेकर योगेंद्र यादव,...

  • भाजपा की कहानियों का क्या जवाब है!

    देश की लगभग सभी विपक्षी पार्टियों के नेता पटना में मिल रहे हैं। अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिए इन पार्टियों के बीच एक मोटी सहमति हो गई है कि भाजपा के खिलाफ सबको मिल कर लड़ना है। उसकी बारीकियों, खासतौर से सीटों के बंटवारे या रणनीतिक एडजस्टमेंट के बारे में आगे बात होगी। लेकिन इस राजनीतिक सहमति के आगे क्या? यह यक्ष प्रश्न है कि विपक्षी पार्टियों के पास आम जनता को सुनाने के लिए क्या कहानी है? भारतीय जनता पार्टी के पास ढेर सारी कहानियां हैं- कुछ सच्ची, कुछ झूठी और कुछ अधूरी। अभी 19 जून को महाराष्ट्र...

  • राहुल गांधी को भरोसा: मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष होगा एकजुट

    Rahul Gandhi:- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यहां भारतीय अमेरिकी समुदाय के सदस्यों से शुक्रवार को कहा कि भारत में इस समय दो विभिन्न विचारधाराओं के बीच ‘लड़ाई’ चल रही है और उन्होंने भरोसा जताया कि देश को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सोच का ‘विकल्प मुहैया कराने वाले नजरिए’ के लिए सभी विपक्षी दल हाथ मिलाएंगे। राहुल गांधी ने कहा कि वह जब गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात करते हैं, तो वह हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि ‘हमारा मिलकर साथ लड़ना जरूरी’ है। आत्मविश्वास से लबरेज गांधी ने यहां शुक्रवार को उनके...

  • गोलबंद होते सियासी मूड

    यह बात लगभग पूरे भरोसे के साथ कही जा सकती है कि देश में भाजपा और उसके विरोध में जनमत अपेक्षाकृत अधिक सघन रूप ग्रहण कर रहा है। इसमें नई बात भाजपा विरोधी जनमत में भाजपा शासन से मुक्त होने का बढ़ रहा संकल्प है। साल भर बाद होने वाले आम चुनाव के बारे में अभी कोई अनुमान लगाना पूरी तौर पर कयासबाजी है। यह अब एक मान्य सिद्धांत है कि हर चुनाव नए हालात और नई व्यूहरचना के बीच लड़ा जाता है। इसलिए अगले साल के आरंभ में क्या माहौल बनेगा (अथवा बनाया जाएगा) और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी...

  • स्टालिन से पहल कराए कांग्रेस

    चेन्नई में एक मार्च को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के जन्मदिन पर जुटे विपक्षी नेताओं की बातों का लब्बोलुआब यह है कि अगर स्टालिन विपक्षी एकता का प्रयास करते हैं तो वे सफल हो सकते हैं। उनके कार्यक्रम में शामिल विपक्षी नेताओं ने उनकी जम कर तारीफ की और उनको आगे बढ़ कर नेतृत्व करने का न्योता दिया। नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने तो खुल कर उनको प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताया और उनको राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभाने के लिए आमंत्रित किया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी स्टालिन की तारीफ की और उनको...

  • समूचे विपक्ष पर अकेले मोदी भारी!

    नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में भी गौतम अदानी या उनकी कंपनियों से जुड़े विवाद पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने अदानी का नाम तक नहीं लिया, जबकि उच्च सदन के नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अदानी समूह के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे और सरकार से जवाब मांगा था। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सरकार के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देने के लिए खड़े हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अदानी पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन विपक्ष पर तीखे तंज किए। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देने खड़े...

  • विपक्षी स्वरों को जोड़ना

    तो फिर भारत जोड़ो यात्रा किसलिए है? अगर इसके पिछले चार महीने के अनुभवों पर गौर करें, तो यह साफ हुआ है कि इससे आज के हालात के असंतुष्ट लोगों को सामने आने का एक मौका मिला है, जो अपना दम घूंटता महसूस कर रहे थे। भारत जोड़ो यात्रा के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने से पहले यह सवाल उठा कि क्या राहुल गांधी का यह प्रयास विपक्षी दलों को एक साथ लाने में कामयाब हो सकेगा। यह सवाल को खास बल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव कि एक टिप्पणी से मिला, जिसमें उन्होंने यात्रा में शामिल होने से...

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