revdi culture

  • सामाजिक सुरक्षा की जगह रेवड़ी

    दुनिया के सभ्य, विकसित और लोकतांत्रिक देशों ने अपने नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा का कवच उपलब्ध कराया है। उन्हें मुफ्त में अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिलती है। उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाती है और रोजगार खत्म होते ही तत्काल भत्ता मिलता है। सरकार उनके लिए सम्मान से जीने की स्थितियां मुहैया कराती हैं। इसके उलट भारत में नागरिकों को मुफ्त की रेवड़ी, खैरांत बांटते है। वह भी किसी नियम या कानून के तहत नहीं, बल्कि पार्टियों और सरकारों की चुनावी योजना के तहत। यह इतना तदर्थ होता है कि चुनाव में नेता प्रचार करते हैं कि,...

  • नीति का तो काम ही क्या!

    कभी भारत में एक नीति आयोग हुआ करता था। नीतियों की घोषणाओं की प्रेस कॉन्फ्रेस हुआ करती थी। संसदीय कमेटियों में विचार और जानकारों व जनता की फीडबैक पर नीति बनती थी। कैबिनेट और संसद में बहस होती थी। लेकिन अब कानून बनते हैं, रेवड़ियां बनती हैं मगर नीति नहीं। अर्थात नेता वोट पटाने का आइडिया सोचता है और प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री अफसर को आदेश देता है। और कानून बन जाता है। यह ढर्रा बुलडोजर राज का प्रतिनिधि है। तभी इस सप्ताह यह जान हैरानी नहीं हुई कि उत्तर प्रदेश सरकार खाने-पीने की चीजों में 'थूकने' जैसी कथित करतूतों को रोकने...

  • दिल्ली में मुफ्त की रेवड़ी की लड़ाई

    दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं। पदयात्रा में पता नहीं उनको टूटी सड़कें, गंदे नाले, जाम पर पड़े सीवर, कूड़े के ढेर, झुग्गियों की भीड़ आदि दिखाई दे रही है या नहीं, लेकिन वे यह वादा जरूर कर रहे हैं कि लोग उनको फिर से मुख्यमंत्री बनाएं तो वे मुफ्त में वस्तुएं और सेवाएं देने की योजनाओं को जारी रखेंगे। उन्होंने दिल्ली के लोगों से कहा कि वे उनको फिर से मुख्यमंत्री बनाएं और अगर नहीं बनाया तो भाजपा आ जाएगी और भाजपा...