आवारा कुत्तों की पूज्यनीयता का समाज-शास्त्र
बच्चों के, बुजु़र्गों के, महिलाओं के पीछे लपक-लपक कर, उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर, गिरा-गिरा कर, नोच-खसोट कर अधमरा कर देने वाले कुत्तों की आज़ादी सुनिश्चित करने के लिए दस दिन-रात जंतर-मंतर पर बैठे रहने वालों से अगर मैं यह पूछूं कि बेग़ुनाह मनुष्यों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर होते प्रहारों को नंगी आंखों से देखते रहने के बावजूद उन्होंने एक दिन भी जंतर-मंतर जाने की ज़हमत क्यों नहीं उठाई तो आप मुझे असामाजिक तत्व तो घोषित नहीं कर देंगे? देश भर के शहरों, कस्बों और गांवों में बेलगाम घूम रहे छह-सात करोड़ आवारा कुत्तों की हिफ़ाज़त करने के लिए भारतीय कुलीन...