अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे हैं। यह कैंसर अब उनकी हड्डियों तक फैल चुका है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। रविवार, 18 मई को डेमोक्रेट ऑफिस द्वारा यह जानकारी दी गई।
बताया गया कि जो बाइडेन को हाल ही में पेशाब से जुड़ी कुछ समस्याएं हुईं, जिसके बाद उनकी जांच की गई और उन्हें प्रोस्टेट कैंसर होने की पुष्टि हुई। अब उनके परिवार द्वारा इलाज के विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
82 वर्षीय जो बाइडेन ने पिछले हफ्ते डॉक्टर से परामर्श लिया था, और शुक्रवार को बीमारी की पुष्टि हुई। इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, “मेलानिया और मैं इस खबर से बहुत दुखी हैं। हम जिल बाइडेन और पूरे परिवार के लिए प्रार्थना करते हैं और जो बाइडेन के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।”
डेमोक्रेटिक पार्टी ने दी यह जानकारी
डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में यह चौंकाने वाला खुलासा किया गया है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन एक अत्यंत आक्रामक प्रकार के प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे हैं। बयान के अनुसार, यह कैंसर “हार्मोन-सेंसिटिव” भी प्रतीत होता है, जो कि उपचार के लिहाज से एक महत्वपूर्ण पहलू है।
इसका मतलब है कि यह कैंसर हार्मोन थेरेपी से प्रभावित हो सकता है, जिससे इलाज की संभावनाएं बनती हैं। हालांकि, कैंसर का एग्रेसिव स्वरूप चिंता का विषय बना हुआ है।
82 वर्षीय जो बाइडन और उनका परिवार इस खबर से बेहद व्यथित है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि वर्ष 2015 में उनके बेटे बियू बाइडन का निधन भी कैंसर से ही हुआ था। इस त्रासदी को दोहराने का डर बाइडन परिवार के लिए एक गहन मानसिक संघर्ष का कारण बन रहा है।
बयान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो बाइडेन के कैंसर का ग्लीसन स्कोर 9 है और इसका ग्रेड ग्रुप 5 है, जो प्रोस्टेट कैंसर की सबसे गंभीर श्रेणी मानी जाती है। ग्लीसन स्कोर कैंसर की आक्रामकता को दर्शाता है, और स्कोर 9 का अर्थ है कि यह बहुत तेजी से फैलने वाला और जानलेवा हो सकता है।
कितने खतरनाक कैंसर से जूझ रहे हैं जो बाइडेन ?
यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 में जो बाइडेन को त्वचा कैंसर (स्किन कैंसर) हुआ था। उस समय उनकी छाती पर “बेसल सेल कार्सिनोमा” नामक एक सामान्य प्रकार का स्किन कैंसर पाया गया था, जिसे फरवरी 2023 में सर्जरी के माध्यम से हटा दिया गया था। उस समय इलाज सफल रहा था, लेकिन यह उनके स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती चिंताओं का संकेत जरूर था।
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, प्रोस्टेट कैंसर अमेरिका में पुरुषों में सबसे सामान्य कैंसर है और यह कैंसर से होने वाली मौतों की दूसरी सबसे प्रमुख वजह भी है। हर आठ में से एक पुरुष अपने जीवनकाल में इस कैंसर की चपेट में आ सकता है।
यदि इसकी पहचान प्रारंभिक अवस्था में हो जाए, तो इलाज संभव होता है, लेकिन जब यह एडवांस्ड स्टेज में पहुंचता है — जैसा कि जो बाइडेन के मामले में प्रतीत होता है — तब इसका उपचार जटिल और चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
इस भयावह स्थिति के बीच जो बाइडन और उनके परिवार द्वारा इलाज के विकल्पों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। वे विशेषज्ञ डॉक्टरों के संपर्क में हैं और विभिन्न चिकित्सकीय संभावनाओं का मूल्यांकन कर रहे हैं। इस कठिन समय में विश्वभर से लोग उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा उम्र के अमेरिकी राष्ट्रपति रहे बाइडेन
जो बाइडेन अमेरिकी इतिहास के सबसे अधिक उम्र के राष्ट्रपति हैं। 2020 में उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प को चुनाव में हराकर अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी, तब उनकी उम्र 78 साल और 220 दिन थी, जो अब तक का रिकॉर्ड है।
इसके बाद, 2024 में वे पुनः चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनकी उम्र और मानसिक स्थिति को लेकर उठे सवालों के कारण उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और तत्कालीन उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को समर्थन दिया। वहीं, डोनाल्ड ट्रम्प ने 2024 के चुनाव में कमला हैरिस को हराकर दूसरी बार राष्ट्रपति पद हासिल किया।
जो बाइडेन का राजनीतिक करियर पांच दशकों से भी अधिक लंबा है। 1972 में मात्र 30 साल की उम्र में डेलावेयर से सीनेट सदस्य चुने जाने के साथ उनका सफर शुरू हुआ था, जब वे देश के सबसे युवा सीनेटर थे।
इसके बाद उन्होंने 1988 और 2008 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव भी लड़ा, लेकिन सफलता 2020 में मिली, जब डोनाल्ड ट्रम्प को हराकर उन्होंने राष्ट्रपति पद संभाला। बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते बाइडेन दो कार्यकाल तक उपराष्ट्रपति भी रहे।
उनकी राजनीति में यात्रा युवा सीनेटर से लेकर राष्ट्र के सर्वोच्च पद तक की मिसाल है। 2024 में जब उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा, तब उनके समर्थकों ने माना कि अगर वे उम्मीदवार होते तो ट्रम्प को फिर से हराया जा सकता था। हा
लांकि, अमेरिकी संविधान के अनुसार ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते थे, इसलिए जो बाइडेन का सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति का रिकॉर्ड कुछ वर्षों तक कायम रहेगा।
जो बाइडेन की कहानी राजनीतिक दृढ़ता, अनुभव और लंबी सेवा की प्रेरणा है। उनकी उम्र के बावजूद उन्होंने देश की सेवा में अपना योगदान जारी रखा और अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया।
अब जानिए क्या होता है प्रोस्टेट कैंसर
दुनिया भर में हर साल लगभग 14 लाख पुरुष प्रोस्टेट कैंसर की चपेट में आते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, लंग्स और माउथ कैंसर के बाद पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है। खासकर 50 वर्ष की उम्र के बाद इसका खतरा तेजी से बढ़ जाता है, हालांकि कम उम्र के मरीज भी सामने आ रहे हैं।
अक्सर इसका पता तब चलता है जब बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। यह कैंसर धीरे-धीरे ब्लैडर, लिवर, फेफड़े और पेट जैसे अन्य अंगों में फैल सकता है। खून के जरिए कैंसर की कोशिकाएं हड्डियों तक पहुंच जाती हैं, जिससे हड्डियों में तेज दर्द और टूट-फूट होने लगती है।
प्रोस्टेट कैंसर की वजह से पुरुषों की संभोग क्षमता और पिता बनने की क्षमता पर गंभीर असर पड़ता है। इसके इलाज के दौरान होने वाले साइड इफेक्ट्स भी जटिल हो सकते हैं। हॉर्मोन थेरेपी से टेस्टोस्टेरॉन का उत्पादन बंद हो सकता है, जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो सकता है।
रेडिएशन थेरेपी भी पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। गंभीर मामलों में प्रोस्टेट ग्लैंड को हटाना पड़ता है, इसलिए कम उम्र के मरीजों को सर्जरी से पहले स्पर्म फ्रीज करने की सलाह दी जाती है ताकि वे भविष्य में पिता बन सकें।
प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों के प्रजनन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह स्पर्म को पोषण और सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें महिला प्रजनन अंगों तक पहुंचाने में मदद करता है।
यह इजेकुलेशन और यूरिनेशन के बीच एक मेकेनिकल स्विच की तरह काम करता है। सामान्य रूप से इसका वजन लगभग 30 ग्राम होता है, जो उम्र के साथ बढ़ सकता है, लेकिन कई बार इसका आकार बढ़ने की वजह कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।
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