Tuesday

08-07-2025 Vol 19

अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

क्यों चुनाव पर उदासीनता?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले चरण के मतदान से पहले अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया तो कहा कि यह सामान्य चुनाव नहीं है। lok sabha election 2024...

विचारधारा की लड़ाई कहां है?

विचारधारा के स्तर पर लड़ाई की बात में भी सिर्फ आंशिक सचाई है। असल में पिछले कुछ बरसों में पहली बार दक्षिणपंथी राजनीति मुख्यधारा के तौर पर स्थापित हुई...

संवेदनशील मुद्दों को चुनाव से दूर रखें

देश के आदिवासी और अनुसूचित जाति समूहों की खान-पान की संस्कृति के बारे में भी जानना चाहिए और चुनावी लाभ हानि के लिए ऐसी संवेदनशील मुद्दों को राजनीति में...

इस चुनाव को इस तरह समझे!

यह स्थापित किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले कोई नहीं है। यह सवाल पूछा जा रहा है कि मोदी को वोट नहीं दें तो किसको...

भाजपा का घोषणापत्र और वापसी का भरोसा

भाजपा का 78 पन्नों का घोषणापत्र देख कर कहा जा सकता है कि यह बहुत सीधा सपाट एक दस्तावेज है, जिसमें राजनीति कम और सरकारी कामकाज की झलक ज्यादा...

ज्यादा जान कर क्या करेंगे मतदाता?

हलफनामा देकर जानकारी देने की व्यवस्था के साथ साथ अगर पार्टियां भी उम्मीदवार के गुण दोष को महत्व देना शुरू करें तभी संसद और विधानसभाओं की तस्वीर में कुछ...

एक बार में क्यों नहीं मानते अदालत की बात?

जब तक अदालत कई बार नहीं कहे तब तक या तो समय मांगते रहे, उस पर अमल टालते रहो या सीधे सीधे अनदेखी कर दो? 

किसी बहाने सही घोषणापत्र की चर्चा तो हुई

नेताओं तक को पता नहीं होता है कि उनकी पार्टी का घोषणापत्र तैयार करने वाली समिति ने उसमें क्या क्या लिखा है या क्या क्या ऊंचे वादे किए हैं।

धारणा और लोकप्रियता दोनों गवां रहे केजरीवाल

अगर बारीकी से देखें तो समझ में आता है कि उनकी लोकप्रियता मुफ्त बिजली और पानी की वजह से है।

संविधान बदलने का इतना हल्ला क्यों मचा है?

इस मसले पर भाजपा क्यों बैकफुट पर आती है? क्या उसके मन में कोई चोर है, जिसकी वजह से वह घबरा जाती है और सफाई देने लगती है?

चुनाव आयोग व सरकार दोनों की अब साख का सवाल

इस बार चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई और विपक्ष के शोर मचाने की वजह से दुनिया का ध्यान भारत के चुनाव की ओर...

दलबदल के दलदल में राजनीति

ऐसा नहीं है कि दलबदल पहले नहीं होता था लेकिन पहले कभी इतने सांस्थायिक रूप से दलबदल देखने को नहीं मिली।

देर से ही सही पर साथ आया विपक्ष

सवाल है कि क्या देश के लोग मान रहे हैं कि भारत में तानाशाही आ गई है और लोकतंत्र खतरे में है? और क्या वे इसे बचाने के लिए...

संपूर्ण प्रभुत्व के लिए भाजपा की राजनीति

भारतीय जनता पार्टी इस बार अखिल भारतीय राजनीति कर रही है। वह सिर्फ उत्तर भारत या पश्चिम और पूरब के अपने असर वाले इलाकों तक ही सीमित नहीं दिख...

विपक्ष क्यों नाकाम हो रहा है

विपक्ष एक भी मौके का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। क्या विपक्षी पार्टियां इस उम्मीद में हैं कि अपने आप लोगों को सारी जानकारी मिल रही है और...

आखिर क्यों केजरीवाल गिरफ्तार हुए?

केजरीवाल की गिरफ्तारी का कारण वह नहीं है, जो दिख रहा है, बल्कि कुछ और है। मुख्य रूप से इसके तीन कारण समझ में आते हैं।

भाजपा की असली लड़ाई प्रादेशिक पार्टियों से

प्रादेशिक पार्टियों के साथ विधानसभा चुनाव की लड़ाई में भाजपा कमजोर पड़ती है लेकिन लोकसभा में वह उनको मात दे देती है।

बॉन्ड और ईवीएम पर विपक्ष का दोहरा रवैया

ईवीएम से चुनाव भी लड़ते रहे। जीत गए तो चुप हो गए और हारे तो ईवीएम पर दोष मढ़ दिया।

ऐसे कराएंगे एक साथ चुनाव!

पार्टियां तो चाहती थीं कि एक साथ चुनाव हो लेकिन अर्धसैनिक बलों की तैनाती और दूसरे सुरक्षा सरोकारों की वजह से इसे टाल दिया गया। One Nation one election

चुनावी बॉन्ड से आगे क्या रास्ता?

चुनावी चंदे को साफ-सुथरा बनाने और राजनीति में काले धन का प्रवाह रोकने के घोषित उद्देश्य से लाया गया यह कानून अपने उद्देश्य में पूरी तरह से असफल रहा...

भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां

यह नहीं कहा जा सकता है कि इसी चुनाव में भाजपा जीत जाएगी या बड़ी पार्टी हो जाएगी लेकिन यह तय है कि दक्कन के पठार उसके लिए बहुत...

क्या सैनी से भाजपा के हित सधेगें?

क्या राजनीति सचमुच इस तरह एकरेखीय और इतनी ही सरल होती है कि चुनाव से पहले एक चेहरा बदल देने से पूरी राजनीति बदल जाएगी? Nayab singh saini

इस समय भला क्यों सीएए?

दुनिया के किसी भी देश में अगर हिंदू धर्म, राजनीति या वहां की सामाजिक व्यवस्था की वजह से प्रताड़ित होते हैं तो उनके लिए निश्चित रूप से भारत में...

भाजपा और कांग्रेस गठबंधन का अंतर

भाजपा का गठबंधन उसकी शर्तों पर हो रहा है, जबकि कांग्रेस सहयोगी पार्टियों की शर्तों पर गठबंधन कर रही है। Lok Sabha election 2024

विशेषाधिकार में घूस लेने की छूट नहीं

सिर्फ रिश्वत लेकर वोट डालने के मामले पर विचार करने की बजाय सांसदों के आचरण, भाषण आदि पहलुओं पर भी विचार करना चाहिए

एक साथ चुनाव,आम सहमति जरूरी

मतदाताओं की व्यापक भागीदारी के बिना अगर सरकार अपनी मर्जी से एक देश, एक चुनाव के विचार को लागू करती है तो यह लोकतंत्र को कमजोर करने वाला होगा।...

चुनाव क्या सिर्फ औपचारिकता?

तो क्या यह मान लिया जाए कि लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे तय हैं और चुनाव एक औपचारिकता भर है? Lok sabha election 2024

भाजपा की पहली सूची का क्या संदेश?

भाजपा ने चुनाव जीतने का पैमाना सबसे ऊपर रखा है और उसी आधार पर उम्मीदवारों का फैसला किया है।  BJP candidate list 2024

एक साथ चुनाव से पहले सुधार जरूरी

मीडिया में जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक कमेटी ‘एक देश, एक चुनाव’ के नाम से संविधान में एक खंड जोड़ने की सिफारिश कर सकती है One Nation-One...

दलबदल के लिए दोषी कौन

राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग के बाद इस बात पर बहस छिड़ी है कि दलबदल के लिए असली दोषी कौन है?

आमने सामने का चुनाव मैदान सजा!

भाजपा ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करके 370 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। मोदी ने एनडीए के लिए चार सौ सीटें हासिल करने का लक्ष्य तय...

विपक्ष क्या भ्रष्टाचार का मुद्दा बना पाएगा?

यह यक्ष प्रश्न है कि क्या नरेंद्र मोदी (PM Modi) को रोकने के लिए कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां भ्रष्टाचार, महंगाई और सत्ता के दुरुपयोग का मुद्दा बना पाएंगी?...

कांग्रेस को कमजोर बताना विपक्ष के लिए भी घातक

आम जनता के भीतर निराशा का भाव पैदा करने का दोष तमाम उन पार्टियों पर जाएगा, जो अपने को भाजपा विरोधी बताती हैं लेकिन कांग्रेस को कमजोर करने की...

भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन का क्या संदेश?

लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय अधिवेशन भाजपा ने किया, जिसकी चुनावी तैयारियां राउंड द क्लॉक यानी 24 घंटे, सातों दिन और 12 महीने चलती रहती है।

भाजपा की उन्मुक्त भरती योजना

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले अलग अलग पार्टियों के नेताओं के लिए रोजगार मेला लगा रखा है।

चुनावी चंदे की पारदर्शी व्यवस्था बने

सबसे बड़ा सवाल लोकतंत्र का है, जिसमें जनता को यह जानने का अधिकार है कि जिस राजनीतिक दल को वह समर्थन दे रहा है या वोट दे रहा है...

भाजपा की घबराहट या रणनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले लोकसभा चुनाव को लेकर अति आत्मविश्वास में हैं या घबराहट में हैं? यह एक ऐसा सवाल है, जिसके जवाब को लेकर इस समय देश भर...

क्यों किसानों की मांगे नहीं मानते?

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया तब ऐसा लगा था कि सरकार को सबक मिल गया है।

राजनीतिक पैमाने पर रत्नों का चुनाव

दुनिया में नोबल पुरस्कारों को लेकर जैसी राजनीति होती रही है और पुरस्कार जिस तरह से भू-राजनीतिक स्थितियों से प्रभावित होते रहे हैं उसी तरह भारत रत्न का भी...

आरक्षण पर एक जरूरी बहस

लोकसभा चुनाव से पहले जहां राजनीतिक स्तर पर आरक्षण की सीमा बढ़ाने या आरक्षण के अंदर आरक्षण की व्यवस्था करने की होड़ मची है

गठबंधन मिटाएं विरोधाभास नहीं तो…

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की अभी सबसे बड़ी कमजोरी क्या है? इसका जवाब है- रणनीतिक विरोधाभास।

चुनाव तो लोक लुभावन घोषणाओं पर ही

भाजपा की केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट में लोक लुभावन घोषणाएं नहीं कीं तो इसके लिए उसकी बड़ी वाह-वाही हुई।

दिल्ली में दो सरकारों की लड़ाई

दोनों पार्टियों के झगड़े से दिल्ली और समूचे एनसीआर के लोगों को किस तरह की मुश्किलें हैं, इसका एक नमूना दो फरवरी को देखने को मिला

वापसी के भरोसे वाला बजट भाषण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए संसद भवन में जो पहला बजट भाषण पढ़ा है वह नीतिगत  दस्तावेज कम और खर्च का लेखा-जोखा ज्यादा है।

अंतरिम बजट से क्या उम्मीद करें?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पहले अभिभाषण से सत्र की शुरुआत हुई और गुरुवार यानी एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करेंगी।

भाजपा की चुनाव पूर्व रणनीति

भारतीय जनता पार्टी की चुनाव पूर्व रणनीति कामयाब होती दिख रही है। हालांकि चुनाव पूर्व रणनीति की कामयाबी इस बात की गारंटी नहीं होती है कि पार्टी चुनाव जीत...

गठबंधन बिखरने का जिम्मेदार कौन?

भाजपा की तरह तो नहीं लेकिन उससे मिलती जुलती एक साइबर आर्मी कांग्रेस के पास भी है। कांग्रेस के पास भी एक इकोसिस्टम है, जिसमें पारंपरिक रूप से भाजपा...

भाजपा के लिए क्यों जरूरी हो गए नीतीश

अगर नीतीश वैचारिक और राजनीतिक रूप से बेईमान हैं तो उनके साथ सरकार बनाने वाली दूसरी पार्टियां कैसे ईमानदार और उनके मुकाबले बेहतर मानी जा सकती हैं?