Sunday

15-06-2025 Vol 19

अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

‘मेक इन इंडिया’ क्या सफल?

अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 10 साल पूरे होने के मौके पर रविवार, 29 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को लेकर बड़ा दावा...

तीन मुठभेड़ और पुलिस की मासूम कहानियां

भारत में या किसी भी सभ्य समाज में मुठभेड़ में या पुलिस और न्यायिक हिरासत में आरोपियों या अपराधियों का भी मारा जाना समूची व्यवस्था के ऊपर धब्बा होता...

मोदी क्यों इतनी कटुता बढ़ा रहे?

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद ऐसा लग रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बदलेंगे।

निष्ठा का फूहड़ प्रदर्शन क्या जरूरी है?

आतिशी ने अपने कार्यकाल का लक्ष्य तय किया कि अगले चुनाव में अरविंद केजरीवाल को फिर से दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाना है।

इन सौ दिनों पर इतनी राजनीति!

पहले भी नरेंद्र मोदी की दो सरकारों ने पहले सौ दिन का मुकाम पार किया था।

चुनावी जीत से क्या आरोप मिट जाते हैं?

वे जो राजनीतिक तमाशे खड़े कर रहे हैं वह अपनी जगह है लेकिन चुनावी जीत के जरिए आपराधिक मुकदमे के आरोप मिटाने का प्रयास एक खतरनाक परंपरा को जन्म...

दो चरण में चुनाव हो तो बेहतर

केंद्र की मौजूदा सरकार के पास लोकसभा और राज्यसभा में इतना बहुमत नहीं है कि वह पांच संशोधन करके सारे चुनाव एक साथ कराने का फैसला करे।

चुनाव के बीच पोपुलिस्ट फैसले

आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होने के बावजूद सरकारें राजनीतिक नैतिकता का ख्याल रखती थीं। लेकिन मौजूदा सरकार को इसकी परवाह नहीं है।

सिर्फ तमाशे से काम नहीं चलेगा

सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता और मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने इतने किस्म के तमाशे रचे हैं कि उनके सबसे निकटतम प्रतिद्वंद्वी भी उनको देख देख कर हैरान होंगे।

अर्थव्यवस्था में कुछ बुनियादी गड़बड़ है

बाजार में मांग नहीं बढ़ने के बावजूद कंपनियों का मुनाफा बढ़े। ये सारी चीजें हो रही हैं इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था की माइक्रो तस्वीर ठीक नहीं है।

मणिपुर को गंभीरता से लेने की जरुरत

राज्य में दो समुदायों के अलावा भी लोग रहते हैं। नगा और नेपाली आबादी भी रहती है। लेकिन सबका जीवन दूभर हो गया है।

जाति गणना होगी और नई राजनीति भी!

ऐसी राजनीति करने वाली पार्टियां सिर्फ जातियों की गिनती से संतुष्ट हो जाएंगी और न जातीय समूह संतुष्ट होंगे।

भाजपा में इतनी बगावत क्यों है?

ऐसा लग रहा है जैसे समय का चक्र वापस घूमने लगा है। संपूर्ण और कठोर अनुशासन वाली भाजपा 10 साल पहले के दौर में लौट रही है।

नड्डा के बिहार दौरे की टाइमिंग अहम

टाइमिंग इसलिए खास है क्योंकि उनकी यात्रा से ठीक पहले यह खबर आई कि राजद नेता तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले हैं।

दिल्ली एक जीता जागता नर्क है

जिन लोगों को स्वर्ग और नर्क की अवधारणा में यकीन है या जिन लोगों ने गरुड़पुराण पढ़ा या सुना है उनको पता होगा कि नर्क कैसा होता है।

सख्त कानून से क्या हो जाएगा?

खुद ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा कि देश में हर दिन 90 महिलाओं के साथ बलात्कार होते हैं।

मलयालम फिल्म उद्योग का सच ही सबकी सचाई

एक बार मलयालम फिल्म उद्योग से सफाई की शुरुआत हुई तो दूसरे फिल्म उद्योग के लोगों को आगे आना चाहिए

पेंशन तो ठीक है लेकिन बाकी आबादी का क्या?

केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए पेंशन की नई योजना घोषित की है। एकीकृत पेंशन योजना यानी यूपीएस को लेकर पिछले एक हफ्ते से बहस मुबाहिसा चल रहा...

महिला सुरक्षा पर घड़ियाली आंसू!

इस बात पर सहमत हैं कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और ऐसी घटनाओं को रोकने का ठोस उपाय होना चाहिए, फिर सब आपस में लड़ क्यों रहे...

राहुल की यह जाति आसक्ति उन्हे ले डुबेगी!

अंग्रेजी का एक शब्द है ‘ऑब्सेशन’, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘आसक्ति’ होता है। लेकिन शाब्दिक अर्थ से ज्यादा लोग इसके अभिप्राय को समझते हैं।

एक हार से सब कुछ बदल गया

लोकसभा में 240 सीट मिलने को हार नहीं कहेंगे लेकिन अगर पैमाना नरेंद्र मोदी का प्रदर्शन हो तो वह हार मानी जाएगी।

140 करोड़ उपभोक्ताओं की बजाय कारोबारियों, अंबानी की चिंता में अमेजन कंपनी को निशाना बनाना!

भारत में या दुनिया के दूसरे देशों में भी राजनीति को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले कारकों में समाज व्यवस्था के लगभग बराबर या उससे ज्यादा ही भूमिका अर्थव्यवस्था की...

हरियाणा में सोनिया कराएंगी सुलह

हरियाणा में चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद भी कांग्रेस की आंतरिक कलह समाप्त नहीं हो रही है। पार्टी दो गुटों में बंटी हुई है और दोनों के...

लैटरल एंट्री में आखिर क्या गलत है?

भारत सरकार की शीर्ष नौकरशाही में निजी क्षेत्र के पेशेवरों को सीधे उच्च पदों पर बहाल करने की लैटरल एंट्री की योजना को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल...

कश्मीर में चुनाव की बड़ी चुनौती

जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। तीन चरण में होने वाले मतदान के पहले चरण की अधिसूचना जारी हो गई है और नामांकन की...

ममता के लिए मुश्किल समय

ममता बनर्जी मुख्यमंत्री के रूप में अपने सबसे मुश्किल समय से गुजर रही हैं तो उनकी 13 साल पुरानी सरकार सबसे बड़े संकट का सामना कर रही है।

ये चुनाव सबके लिए मुश्किल

चार चुनावी राज्यों में दो राज्यों, जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा हो गई है।

सहयोगियों को एजेंडे से दिक्कत नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने 11वें संबोधन में वैसे तो 98 मिनट का भाषण दिया लेकिन बुनियादी रूप से दो उन्होंने दो नीतिगत मुद्दे उठाए। बाकी...

भाजपा के अंदर मुखर होती नाराजगी

भारतीय जनता पार्टी एक बेहद अनुशासित पार्टी पहले से मानी जाती है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के इसकी कमान संभालने के बाद तो यह कुछ ज्यादा ही अनुशासित...

सड़ा-गला सिस्टम और इतने असहाय नागरिक

दुनिया के किसी भी सभ्य और लोकतांत्रिक देश में नागरिक इतने असहाय, बेबस और अरक्षित नहीं होंगे, जितने भारत में हैं।

सिसोदिया की रिहाई से क्या बदलेगा?

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी दोनों के मामले में जमानत दे दी और वे...

नीट पर फैसला सरकार की जीत नहीं

मेडिकल में दाखिले के लिए हुई नीट यूजी की 2024 की परीक्षा रद्द नहीं करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार अपनी जीत के तौर पर प्रचारित...

बबूल का पेड़ बो केसीआर अब रो रहे है!

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रहे भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस के नेता चंद्रशेखर राव बेचैन हैं।

बजट रूटिन का बासी या नया?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज अपना सातवां बजट पेश करेंगी। इसके साथ ही लगातार सात बजट पेश करने वाली वे देश की पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी।

सेवा भाव या सत्ता की लालसा?

भारत में नेताओं के अंदर नागरिकों की सेवा करने की भावना इतनी प्रबल है कि एक मुख्यमंत्री जेल में रह कर नागरिकों की सेवा कर रहे हैं।

भारत में शिक्षा और परीक्षा की समस्याएं

प्रवेश और प्रतियोगिता परीक्षाओं की इन गड़बड़ियों और शिक्षा व्यवस्था पर पड़ते इनके प्रभाव को लेकर सहज रूप से पूरे देश में चिंता है।

जम्मू कश्मीर में बिगड़ते हालात

जम्मू कश्मीर के हालात बदल रहे हैं। बाहरी लोगों पर हमले और हत्या के बाद अब सुरक्षा बलों पर हमले का सिलसिला तेज हो गया है।

संविधान हत्या दिवस की जरुरत क्यों?

अंत में यह भी समझना मुश्किल है कि इमरजेंसी लागू करना संविधान की हत्या कैसे है? संविधान के अनुच्छेद 352 में इमरजेंसी लगाने का प्रावधान है

राजनीतिक विभाजन कहां तक पहुंच गया

भारत की राजनीति इतनी विभाजित कभी नहीं रही, जितनी अभी है। पार्टियां और नेता एक दूसरे को अब राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी नहीं मान रहे हैं, बल्कि शत्रु मान रहे हैं।

क्षत्रपों को काबू में कर पाएंगे राहुल?

कांग्रेस आलाकमान इन राज्यों के चुनाव की कमान सीधे अपने हाथ में लेकर अपने सर्व शक्तिमान होने का संदेश बनवा सकती है।

राजनीतिक और प्रशासनिक जवाबदेही कहां है?

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के टर्मिनल एक की पार्किंग एरिया में कैनोपी यानी छत गिर गई। इस हादसे में आठ गाड़ियां दब गईं।

जनगणना कब तक स्थगित रहेगी?

नई लोकसभा का पहला सत्र संपन्न हो गया है और अब सरकार मानसून सत्र की तैयारी कर रही है, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 का बजट पेश किया जाएगा।

पहला सत्र तो अच्छा नहीं रहा

राहुल के मन में मोदी के प्रति स्थायी दुश्मनी का भाव बना है और वह राजनीति के दायरे से थोड़ा आगे भी है।

गवाहों, सबूतों पर इतना खतरा क्यों है?

सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां अदालत के सामने खड़े होकर हर आरोपी की जमानत का विरोध करती हैं तो हिंदी फिल्मों का दृश्य सजीव हो जाता है।

परीक्षा सुधारों पर विमर्श कहां है?

क्या एक कमेटी बना देने और उसकी सिफारिशों से परीक्षा की व्यवस्था में सुधार हो जाएगा? यह इतना आसान काम नहीं है।

नए कानून में पुलिस को और ताकत!

अंग्रेजों के जमाने में, 1861 में बने तीन आपराधिक कानूनों को नया नाम मिल गया है और कई अपराधों की धाराएं बदल गई हैं।

सुलह, सद्भाव के मूड में नहीं सरकार

ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी तरह से सरकार के या खुद के कमजोर होने का मैसेज नहीं बनने देना चाहते हैं।

कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की चुनौती

बिना संगठन या बिना कैडर के कैसे पुनर्जीवित होगी? ध्यान रह हर बार जनता चुनाव नहीं लड़ती है। जनता ने एक बार चुनाव लड़ा दिया और अपने पैरों पर...