Saturday

14-06-2025 Vol 19

अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

दलित राजनीति का मंडल काल

जिस तरह से नब्बे के दशक में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद पिछड़ी जातियों की राजनीतिक चेतना का उफान आया था और देश की पूरी राजनीति...

विपक्ष को मानों जीत का मंत्र मिला हो?

देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने पूरे देश में इस मुद्दे पर जन आंदोलन शुरू करने के ऐलान किया है।

ताकतवर जातियों का सियासी समय खत्म!

भारत की राजनीति का सिर्फ ऊपरी आवरण नहीं बदल रहा है, बल्कि वह अंदर से बदल रही है।

एक साथ चुनाव से पहले सुधारों की जरुरत

चुनाव आयोग यह जरूर कहता है कि वह पूरे देश का चुनाव एक साथ कराने में सक्षम है और तैयार है। यह अलग बात है कि चार राज्यों के...

‘एक देश, दो चुनाव’ ज्यादा बेहतर विकल्प है

देश में हर साल चुनाव हो या हर छह महीने पर चुनाव हो यह सचमुच अच्छी बात नहीं है।

कांग्रेस को पंचर तृणमूल, सपा को क्या मिला?

संसद का शीतकालीन सत्र कई मायने में बहुत दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम वाला रहा है।

संविधान के 75 साल का क्या हासिल?

भारत के संविधान का 75 साल का क्या वही हासिल है, जो लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों ने बताया है

ब्याज दर में कटौती समाधान नहीं है

भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कामकाज संभाल लिया है। उनको भी उसी तरह वित्त मंत्रालय का अनुभव है, जैसे उनके पूर्ववर्ती शक्तिकांत दास को था।

केजरीवाल अब लहर पर सवार नहीं हैं

दिल्ली का इस बार का चुनाव पिछले तीन चुनावों से अलग होने जा रहा है।

नेता विपक्ष ‘गद्दार’ और अमेरिका दुश्मन!

संसद के शीतकालीन सत्र में हर दिन राजनीति का नया रंग देखने को मिल रहा है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने किसी हाल में अडानी का मुद्दा नहीं छोड़ने...

राहुल के नेतृत्व पर गंभीर सवाल

भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी के विपक्ष का सर्वमान्य नेता होने की जो धारणा बनी थी वह सवालों के घेरे में आ गई है।

फड़नवीस के सामने बड़ी चुनौतियां

देवेंद्र फड़नवीस लौट कर आ गए हैं। उन्होंने पांच साल पहले कहा था- पानी उतरता देख कर किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समुंदर हूं लौट कर आऊंगा।

जीत गए तब भी सब जायज नहीं है!

जीत जारी कमियों को ढक देती है। जो जीत जाता है वह सिकंदर कहलाता है और कोई उस पर सवाल नहीं उठाता है। जीत गए तो गलतियां भी मास्टरस्ट्रोक...

तीसरा मोर्चा बनाने के प्रयास शुरू होंगे

लोकसभा के बाद हुए कई राज्यों के विधानसभा चुनाव के जो नतीजे आए हैं उनसे देश की राजनीति में नया विमर्श भी शुरू हुआ है और ऐसा लग रहा...

पहले भाजपा की राजनीति को समझे कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में बहुत अच्छे प्रदर्शन से भी कोई सबक नहीं लिया है और न हरियाणा की अप्रत्याशित हार से उसने कुछ सीखा है और न...

कांग्रेस को छोड़ कर सब जानते हैं उसका हाल

मीर तकी मीर का शेर है, ‘पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, जाने न जाने गुल ही न जाने बाग तो सारा जाने है’। कांग्रेस का भी...

आदिवासी राजनीति साधने का विफल प्रयास

भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पारंपरिक राजनीति में कुछ बुनियादी बदलाव शुरू किए थे।

भाजपा की ओबीसी वोट की पहेली?

हरियाणा और महाराष्ट्र दोनों राज्यों के चुनाव नतीजे हैरान करने वाले थे। दोनों राज्यों में सामान्य समझ यह कह रही थी कि भाजपा का गठबंधन चुनाव हार रहा है।

भाजपा की अदृश्य चुनावी लहर

Maharashtra election result: परंतु पिछले कुछ चुनावों से ऐसा देखने को मिल रहा है कि भाजपा की सुनामी चल रही होती है और किसी को पता ही नहीं चलता...

लोकसभा चुनाव के बाद क्या बदल गया

एक्जिट पोल के अनुमान आने के पहले से यह सवाल उठने लगा था कि आखिर लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा क्या बदल गया, जिससे भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में...

क्या मुफ्त की चीजें जीत की गारंटी होती हैं?

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में दोनों मुख्य गठबंधन मतदाताओं को अनेक सेवाएं और वस्तुएं मुफ्त में देने के वादे पर चुनाव लड़े हैं।

प्रदूषण सिर्फ आंकड़ों का मामला नहीं है

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की भयावहता बताने के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई के आंकड़े बताए जाते हैं।

चुनाव में एनडीए और ‘इंडिया’ का फर्क

विधानसभा चुनाव लड़ रही दोनों मुख्य पार्टियों या गठबंधनों के उठाए मुद्दों पर चर्चा थोड़ा जोखिम का काम है क्योंकि इन दिनों चुनाव आमतौर पर मुद्दों पर नहीं लड़े...

बुलडोजर ‘न्याय’ क्या रूकेगा?

यह लाख टके का सवाल है कि क्या सुप्रीम कोर्ट की ओर से बुलडोजर ‘न्याय’ पर रोक लगाने का फैसला सुनाने के बाद अब राज्यों की सरकारें किसी भी...

उपचुनावों से न बनेगा, न बिगड़ेगा!

एकाध अपवादों को छोड़ दें तो आमतौर पर उपचुनावों का देश या राज्य की राजनीति पर कोई खास असर नहीं होता है।

विरोधाभासों से विपक्ष को मुश्किल

एक देश के तौर पर तो यह बात ठीक है कि भारत विरोधाभासों वाला देश है, जिसके बारे में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा था कि ‘विरूद्धों में...

मध्यकाल के तरीकों से महिला सुरक्षा?

उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ मध्यकालीन उपाय आजमाने की तैयारी हो रही है। आधुनिक विश्व में अफगानिस्तान, ईरान आदि कुछ देशों में ऐसे उपाय सफलतापूर्वक...

ट्रंप से भारत में किस बात की खुशी?

अमेरिका के चुनाव नतीजे पर जितनी खुशी डोनाल्ड ट्रंप समर्थक रिपब्लिकन मना रहे हैं उससे कम खुशी भारत में नहीं मनाई जा रही है।

कोई तो सोचे जलवायु परिवर्तन पर?

नवंबर का महीना शुरू हुआ तो एक आंकड़ा सामने आया कि इस साल का अक्टूबर पिछले सवा सौ साल का सबसे गर्म अक्टूबर रहा।

भाषा से भी चुनाव में ठगा जाता है!

भारत में चुनाव अब विकासवादी नीतियों या विचारधारा के ऊपर नहीं हो रहे हैं, बल्कि लोकलुभावन घोषणाओं और भाषण की जादूगरी पर हो रहे हैं।

गुजराती क्यों भारत से भाग रहे?

यह अमेरिका का सरकारी आंकड़ा है कि हर घंटे 10 भारतीय उसकी सीमा में अवैध रूप से घुसते हुए पकड़े जा रहे हैं।

परिसीमन का क्या पैमाना होगा?

केंद्र सरकार ने जनगणना की अधिसूचना जारी नहीं की है, लेकिन एक, जनवरी 2025 से  प्रशासनिक सीमाएं सील हो जाएंगी

राहुल की मनुस्मृति व संविधान बेहूदगी

यह एकदम बेतुकी बात है क्योंकि दो विचारों को एक दूसरे का विरोधी तभी कहा जा सकता है, जब वे समकालीन हों और एक साथ चलन में हों।

नैतिकता अब है कहां जो नेता इस्तीफा दे!

याद नहीं आ रहा है कि नैतिकता के आधार पर आखिरी बार किसी नेता या लोक सेवक का इस्तीफा कब हुआ था।

दम घुट रहा, जवाबदेही किसी की नहीं!

अब जिम्मेदारी लेने की राजनीति का समय समाप्त हो गया है और उसकी जगह श्रेय लेने की राजनीति का समय आ गया है।

धारणा की लड़ाई हार रही हैं ममता

अब 2026 के विधानसभा चुनाव से दो साल पहले से ठीक वैसे ही हालात बन रहे हैं, जैसे 2007 में थे। ममता बनर्जी के खिलाफ बात बात पर आंदोलन...

जीएसटी की चोरी रोकने में विफल सरकार

ईमानदार कारोबारी बिल बनाने के साथ ही जीएसटी जमा कर देता है लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है कि उसको समय से बिल का भुगतान हो...

झारखंड में भाजपा भावना के भरोसे

भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में तमाम अनुमानों के उलट कांग्रेस को हरा दिया। लेकिन जम्मू कश्मीर में वह नेशनल कॉन्फ्रेंस को नहीं हरा पाई।

महाराष्ट्र आसान नहीं है

हरियाणा ने हवा बदल दी है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कहा जा रहा था कि चार राज्यों का विधानसभा चुनाव डन डील है।

खाद्यान्नों की महंगाई नहीं रूक रही!

एक बार फिर सरकार की ओर से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए हैं और एक बार फिर कहा गया है कि...

कांग्रेस के लिए मंडल राजनीति मुश्किल

हरियाणा के चुनाव नतीजों ने एक बार फिर प्रमाणित किया है कि कांग्रेस पार्टी जातीय राजनीति में प्रवेश कर तो गई है लेकिन उसकी जटिलताओं को समझ नहीं पा...

मुफ्त की रेवड़ी का गर्व

देश में चुनाव का सीजन चल रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद दो राज्यों के चुनाव हुए हैं और दो अन्य राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने वाली...

रोना बिसूरना बंद करे कांग्रेस

कांग्रेस कमाल की पार्टी हो गई है। चुनाव हारते ही वह इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम और चुनाव आयोग को कोसना शुरू कर देती है।

भाजपा की बड़ी वापसी, कांग्रेस सीखे!

एक्जिट पोल के आंकड़ों में जैसे भाजपा के हारने और कांग्रेस गठबंधन के सफल होने की भविष्यवाणी की गई उससे भी यही संकेत निकल रहा था कि भाजपा अब...

हरियाणा, कश्मीर के चुनाव का संदेश

जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के आज नतीजे आएंगे। वैसे पांच अक्टूबर को हरियाणा का मतदान पूरा होने के बाद आए एक्जिट पोल के अनुमानों ने नतीजों...

विकसित राज्य है केंद्र से नाराज!

राज्य चाहते हैं कि केंद्र इसमें बदलाव करे। सेस व सरचार्ज वसूल कर सीधे अपना खजाना नहीं भरे और राज्यों का हिस्सा 50 फीसदी करे।

प्रशांत किशोर क्या सफल होंगे?

चुनाव विश्लेषण और रणनीति बनाने के कारोबार के इतिहास में सबसे सफल व्यक्ति प्रशांत किशोर रहे हैं।

प्रदूषण आया और समय काट रहे!

दिल्ली में अक्टूबर का महीना आया नहीं कि हवा प्रदूषित होने लगी। एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई का स्तर बिगड़ने लगा और सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा कि यह...