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08-07-2025 Vol 19

अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

गणतंत्र की चुनौतियां और उम्मीदें

आजादी के अमृत काल का दूसरा और वैसे 74वां गणतंत्र दिवस आज पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जा रहा है।

भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर

दस साल पहले 2014 में जब मनमोहन सिंह की सरकार लोकसभा चुनाव में जाने वाली थी तब उसने सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न दिया था। अभी 2024 के चुनाव...

भारतीय राजनीति का अंतिम मोर्चा

क्या यह माना जाए कि भारत की राजनीति बदलाव के उस मोड़ पर है, जहां वह आधुनिक इतिहास में पहले कभी नहीं पहुंची और उस मोड़ पर जो मुकाबला...

धर्म सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा होगा

कोई कुछ भी कहे अगले लोकसभा चुनाव में व्यापक रूप से हिंदुत्व और खासतौर से राममंदिर सबसे बड़ा मुद्दा होने जा रहा है। कुछ समय पहले तक राजनीतिक रूप...

सबको चाहिए एक अदद गठबंधन

अगले लोकसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों को किसी न किसी तरह के गठबंधन की जरुरत है। चाहे वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा हो या देश की...

यात्री विमान का या ट्रेन का, सबकी औकात मवेशी क्लास!

देश में हाहाकार मचा है। राजधानी दिल्ली से लेकर वित्तीय राजधानी मुंबई तक यात्री विमान 12-12 घंटे की देरी से उड़ रहे हैं।

कांग्रेस 22 जनवरी को क्या करेगी?

जिस तरह से भाजपा पूरी तरह से कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी बन गई है और एक भी नेता ऐसा नहीं है, जो मध्यमार्ग की बात कर सके तो दूसरी ओर...

बिन सत्ता के नेता कैसे रहे कांग्रेस में?

मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस छोड़ी तो निशाने पर राहुल गांधी आए। समूचा सोशल मीडिया ऐसी पोस्ट से भरा है, जिसमें राहुल पर हमला किया गया है।

अयोध्या पर कांग्रेस की दयनीय राजनीति

कांग्रेस को यह निमंत्रण दिसंबर में मिला था और इसे अस्वीकार करने का फैसला करने में उसने 20 दिन का समय लिया।

विपक्ष को अभी बहुत काम करना है!

उन मतदाताओं को अपने एजेंडे और विकास के रोडमैप से यह भरोसा भी दिलाना होगा कि वह विपक्ष के उम्मीदवार को वोट करके गलती नहीं कर रहा है।

चुनाव में क्या आर्थिकी, माली दशा के मुद्दे होंगे?

विपक्ष प्रभावी तरीके से यह मुद्दा नहीं उठा सका कि चार सौ लाख करोड़ रुपए का काला धन कहां है? आर्थिक मुद्दों से जनता का ध्यान हट कर दूसरे...

राहुल का ही चेहरा है भाजपा के आगे

कांग्रेस नेता राहुल गांधी 14 जनवरी से ‘भारत न्याय यात्रा’ पर निकलने वाले हैं। यह उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की दूसरी कड़ी है, जिसमें वे थोड़ी दूर पैदल चलेंगे...

नीतीश का शह-मात का खेल

बिहार की जमीनी राजनीति में नीतीश की पार्टी की हैसियत, उनके वोट आधार और सामाजिक समीकरण पर खास तौर से ध्यान देने की जरुरत है।

हिंदुत्व से आगे भी भाजपा का दांव

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जो माहौल बना है उसी के असर में अगले लोकसभा चुनाव की संभावनाओं पर विचार...

लोकतंत्र के लिए अहम नया साल

बांग्लादेश में भी लोकतंत्र जैसे तैसे जिंदा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने समूचे विपक्ष को या तो जेल में डाल रखा है या देश निकाला दिया हुआ है।

भाजपा-कांग्रेस की जात राजनीति का फर्क

यह सही है कि हिंदी पट्टी के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में जाति का मुद्दा बहुत  प्रभावी नहीं रहा फिर भी यही वह मुद्दा है, जो भाजपा के...

उत्तर-दक्षिण का कोई विभाजन नहीं है

उत्तर भारत की हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में भाजपा की और तेलंगाना में कांग्रेस की जीत के बाद उत्तर-दक्षिण के विभाजन का एक विमर्श खड़ा किया गया है।

कांग्रेस 2004 से आगे नहीं बढ़ रही

भारत के पिछले 75 साल के इतिहास में वह एकमात्र चुनाव था, जिसमें बिना किसी बड़े आंदोलन या विरोध प्रदर्शन के सत्ता बदल गई थी।

विपक्ष के लिए नाम प्रोजेक्ट करना जरूरी नहीं

विपक्षी पार्टियों के गठबंधन में अब इस बात पर बहस हो रही है कि अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले विपक्ष की ओर से कौन चेहरा...

भारत में कार्यपालिका की सर्वोच्चता

जजों की नियुक्ति और तबादलों में आ रही दिक्कतों के साथ साथ न्यायपालिका के कई फैसलों पर अमल  संबंधी दिक्कतें भी आई हैं और वह इसलिए क्योंकि न्यायपलिका के...

लोक लुभावन घोषणाओं का भविष्य क्या है?

भाजपा की जीत का श्रेय मुख्य रूप में लाड़ली बहना योजना को दिया जा रहा है तो बाकी चार राज्यों के नतीजों में मुफ्त की चीजें या सेवाएं बांटने...

संसद में सब कुछ नया-नया

भारत में इन दिनों बहुत कुछ नया हो रहा है और बड़ा भी हो रहा है। ग्रैंड स्केल पर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भी था कि उन्हें ईश्वर...

विपक्ष को सीट बंटवारे से आगे देखना होगा

तीन महीने से कुछ ज्यादा अरसे के बाद एक बार फिर विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बैठक होने वाली है। बड़े राजनीतिक उथल-पुथल वाले घटनाक्रम के बाद विपक्ष की...

भाजपा के फैसलों पर जाति गणना का असर

भाजपा को एक बार भी सामाजिक न्याय, आरक्षण या जाति गणना आदि पर बड़ी बड़ी बातें करते नहीं सुना गया, लेकिन जब मौका मिला तो उसने आदिवासी, पिछड़ा, ब्राह्मण,...

भाजपा के प्रयोगों में नया कुछ नहीं!

इस बात की चर्चा हो रही है कि भाजपा ने बिल्कुल नया प्रयोग किया है और दूसरी पार्टियों को इससे सीखना चाहिए। लेकिन सवाल है कि इसमें नया क्या...

ईवीएम पर कांग्रेस तब लड़े निर्णायक लड़ाई!

मध्य प्रदेश कांग्रेस की ओर से आधिकारिक रूप से कही जा रही है या मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता जो दावे कर रहे हैं क्या कांग्रेस आलाकमान उससे सहमत...

विपक्ष के गठबंधन की राह आसान हुई!

पिछले कुछ दिनों में एक के बाद एक ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनकी वजह से विपक्षी पार्टियों की या विपक्ष के बड़े नेताओं की नकारात्मक छवि बनी।

वीपी सिंह नए अम्बेडकर हैं!

डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर इस समय भारतीय राजनीति और कुछ हद तक समाज के भी सबसे बड़े आईकॉन हैं।

कांग्रेस चुनाव लड़ना सचमुच भूल गई है!

नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने भाजपा को चुनाव लड़ने की मशीनरी बना दिया है। और राजनीति में यह अच्छी बात है। ठिक दूसरी तरफ कांग्रेस चुनाव लड़ना भूल...

अराजनीतिक सलाहकारों,यू ट्यूबर्स आंकडेबाजों से डूब रही हैं कांग्रेस

यू ट्यूब पर आंकड़ों का विश्लेषण करने वाले पुराने सैफोलॉजिस्ट योगेंद्र यादव मिजोरम में कांग्रेस को बड़ी ताकत के तौर पर उभरता हुआ बता रहे थे।

कांग्रेस बैठाती है मैनेजरों को सिर पर!

कांग्रेस प्रशांत किशोर की लीक पर बने चुनावी मैनेजरों को ठेके देती है, उन्हें सिर पर बैठाती है और उन पर निर्भर हो कर एक के बाद एक चुनाव...

राज्यपालों की भूमिका पर विचार जरूरी

इन दिनों राजनीति में इस्तेमाल किए जा रहे मुहावरे के हिसाब से कहें तो आजादी के 75 साल में ऐसा कभी नहीं हुआ कि राज्यपालों के ऊपर सर्वोच्च अदालत...

सिल्क्यारा सुरंग दुर्घटना के सबक

उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्क्यारा की निर्माणाधीन सुरंग में हुए दुखद हादसे का अंत सुखद रहा है। सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को 17वें दिन सकुशल निकाल लिया...

मोदी का मकसद, कांग्रेस चुनौती न बने!

भाजपा ने क्यों पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इतनी ताकत झोंकी? लोकसभा चुनाव से ठीक पहले क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने को इस तरह दांव पर लगाया?

केजरीवाल के सामने राजनीतिक संकट

केजरीवाल ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी के नेता बंगलों में नहीं रहेंगे, बड़ी  गाड़ियों में नहीं चलेगें, सुरक्षा नहीं लेंगे लेकिन केजरीवाल का असली चेहरा सामने आ...

बिहार में लागू 75 प्रतिशत आरक्षण, अब पूरे देश में इसकी होगी होड़!

बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ाने का कानून लागू हो गया है। छत्तीसगढ़ और झारखंड से उलट बिहार में राज्यपाल ने आरक्षण बढ़ाने के लिए विधानसभा से पास किए...

लोकसभा चुनाव के लिए मुद्दों की तलाश

यह सिर्फ कहने की बात नहीं है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव देश की राजनीति को दिशा देने वाले होंगे और इनसे पता चलेगा कि अगला लोकसभा चुनाव...

स्थानीय आरक्षण की बहस क्या अब खत्म होगी?

हरियाणा में स्थानीय लोगों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी सीटें आरक्षित करने के राज्य सरकार के कानून को पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने रद्द...

मोदी की तरह राहुल का प्रचार

इस बार पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी उसी तर्ज पर प्रचार कर रहे हैं, जिस तर्ज पर मोदी ने शुरू किया था।

एक मैच हारे और विश्व कप हार गए!

भारत के 140 करोड़ लोगों की उम्मीदें टूट गईं। भारत एकदिवसीय क्रिकेट के विश्व कप का फाइनल मुकाबला हार गया। भारत को यह विश्व कप जीतना था।

देश में दलबदल नहीं रूकने वाला!

भारत में इस समय दो किस्म से दलबदल हो रहे हैं। पहला चुनाव के समय टिकट हासिल करने के लिए और दूसरा चुनाव के बाद किसी समय सरकार बनाने...

आलोचना की भी सीमा होनी चाहिए

सरकार और भाजपा को लग रह है कि अगर कांग्रेस की आलोचना में कमी आई तो फिर लोग उसके बारे में सकारात्मक सोचने लगेंगे।

बिहार की राजनीति में नया कुछ भी नहीं

हर तरफ यह सुनने को मिल रहा है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने राजनीति की दिशा बदल दी है। ऐसा लग रहा है जैसे इन दोनों नेताओं...

अदालत के आदेश का अनादर चिंताजनक

दिवाली की रात दिल्ली के लोगों के एक समूacह ने पटाखों पर पाबंदी के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाईं तो दूसरा समूह सर्वोच्च अदालत के आदेश के...

स्थायी समस्या का मौसमी समाधान

प्रदूषण की चर्चा भी सिर्फ तभी होती है, जब सर्दियों में राजधानी दिल्ली के आसमान पर धूल और धुएं की परत चढ़ती है।

उफ! बिहार की दुर्दशा, सभी जिम्मेवार

बिहार के सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण से पता चला है कि बिहार के 34 फीसदी परिवार की हर स्रोत से सामूहिक आय छह हजार रुपए महीने से कम है।

भाजपा भी जात राजनीति के खेल में

भाजपा ने जाति की राजनीति में हाथ आजमाने के लिए यह भी चुन लिया है कि कौन सी जातियां उसके साथ जुड़ सकती हैं।

न्यायिक सक्रियता से क्या टकराव बढ़ेगा?

देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक मीडिया समूह के कार्यक्रम में कहा है कि विधायिका चाहे तो नए कानून बना सकती है लेकिन वह अदालत के किसी...