Monday

14-07-2025 Vol 19

अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

चुनाव आयोग का निष्पक्ष दिखना भी जरूरी

पहले भी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती थी और नए बिल के कानून बन जाने के बाद भी नियुक्ति का अधिकार सरकार के हाथ में ही रहेगी।

मोदी के आत्मविश्वास का कारण क्या है?

मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर ऐलान किया कि अगले साल वे फिर लाल किले की ऐतिहासिक प्राचीर से देश को संबोधित करेंगे और अपनी उपलब्धियों का ब्योरा पेश करेंगे।

हम आजादी में जी रहे या पाबंदियों में?

सवाल है कि सकारात्मक आजादी के सिद्धांत के तहत नागरिकों पर कितनी पाबंदियां हो सकती हैं? यह एक सार्वभौमिक और शाश्वत प्रश्न है।

बिहार में भाजपा के लिए पूरा मैदान

भारतीय जनता पार्टी के सामने बिहार की राजनीति की केंद्रीय ताकत बनने का वास्तविक अवसर है।

बिना चर्चा के विधेयक पास होने के खतरे

कई विधेयक हैं, जिनसे केंद्र सरकार राज्यों के अधिकार छीन रही है, संघवाद की अवधारणा को चोट पहुंचा रही है और लोगों के निजता के अधिकार को भी चोट...

सरकार मजबूर है, समाजवादी नहीं!

पहले उन्हें सिर्फ आयात शुल्क चुकाना होता था और अपने उत्पाद बेचने की छूट थी। अब उन्हें इसके लिए लाइसेंस यानी सरकार से मंजूरी लेनी होगी।

अब फिर राहुल की राजनीति होगी

राहुल को राजनीति की केंद्रीय ताकत बनाने में दूसरा जोखिम यह है कि विपक्षी पार्टियों के बीच तनाव बढ़ सकता है। ध्यान रहे विपक्ष के गठबंधन ‘इंडिया’ से जुड़ी...

जाति जनगणना का मुद्दा वापस लौटा

जातियों की गिनती, सामाजिक न्याय और आरक्षण की गेमचेंजर राजनीतिक मुद्दे के तौर पर वापसी हो गई है। और इसके साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति...

नफरत मिटाने के साझा प्रयास की जरूरत

पिछले कुछ समय से देश के अलग अलग हिस्सों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जो समाज में बढ़ती नफरत, हिंसा और गुस्से की प्रवृत्ति को परिलक्षित करती हैं।

समान कानून पर थम गई चर्चा

समान नागरिक कानून से आदिवासियों का विशेष दर्जा समाप्त हो जाएगा और उनकी जमीन लेने का रास्ता साफ हो जाएगा।

संसद ठप्प है, बिल पास हो रहे हैं!

बहुत दिलचस्प संयोग है क्योंकि हर बार ऐसे हंगामे के बीच सरकार बिना किसी बहस से बेहद जरूरी और करोड़ों लोगों के जीवन पर असर डालने वाले विधेयक पास...

चुप रह जाने के भी कुछ फायदे हैं

बोलने के लिए सिर्फ वाणी की जरूरत होती है लेकिन चुप रहने के लिए वाणी और विवेक दोनों की जरूरत होती है

विपक्ष के दिग्गजों की परीक्षा

भाजपा के गठबंधन एनडीए और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की एक ही दिन हुई बैठक की तस्वीरों की तुलना में एक दिलचस्प राजनीतिक नैरेटिव दिखता है।

भाजपा की गठबंधन राजनीति के मायने

भाजपा ने जब से 38 पार्टियों को जुटाया है तब से इसे लेकर कुछ राजनीतिक निष्कर्ष निकाले जा रहे है

पाबंदी लगाना एक गलत नीति है

मणिपुर में तीन मई से इंटरनेट पर पाबंदी है। तभी सवाल है क्या इससे मणिपुर में हिंसा नियंत्रित करने या शांति बहाल करने में कोई मदद मिली है?

देश में क्या है शर्म? सभी है दोषी!

क्या कांगपोक्पी जिले की पुलिस दोषी नहीं है, जिसने 18 मई को एफआईआर दर्ज किया और ठीक दो महीने बाद वीडियो वायरल होने तक कोई कार्रवाई नहीं की?

मुकाबले का मैदान सज गया

एक तरफ भाजपा के नेतृत्व में 38 पार्टियों का एनडीए है तो दूसरी ओर अघोषित रूप से कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष की 26 पार्टियां हैं

भाजपा को अपनी चुनौतियां पता हैं

मोदी का दूसरा कार्यकाल लोगों की उम्मीदें पूरी करने वाला नहीं साबित हुआ, बल्कि विवादित राजनीतिक फैसलों का रहा और विपक्षी पार्टियों की साख बिगाड़ने और उनके खिलाफ कार्रवाई...

सोनिया गांधी क्या सूत्रधार बनेंगी?

पटना में 23 जून को हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक के बाद से देश की राजनीति में ऐसा क्या हुआ है, जिसकी वजह से विपक्षी पार्टियों की बेंगलुरू बैठक...

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सबक

इस साल दूसरी बार हुआ है, जब संवैधानिक और प्रशासनिक नियुक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले सुनाए हैं।

राजनीतिक हिंसा लोकतंत्र में शर्मनाक है

अगर किसी लोकतंत्र में राजनीति या चुनावी प्रक्रिया हिंसा का शिकार होती है तो वह शर्मनाक है।

राजनीति की ‘छोटी-छोटी दुकानों’ के फायदे

बिहार में पिछले दिनों सत्तारूढ़ गठबंधन की एक पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा अलग हुई और एनडीए में शामिल हो गई।

आपदा से सबक नहीं लेती हैं सरकारें

उत्तर भारत के सात राज्यों में 48 घंटे के भीतर 56 लोगों की मौत हो गई। सैकड़ों घर टूटे हैं, गाड़ियां नदियों में बह गई हैं और हजारों लोग...

केजरीवाल को कांग्रेस की जरूरत!

कांग्रेस से लड़ते लड़ते अरविंद केजरीवाल को अब कांग्रेस की जरूरत महसूस होने लगी है। असल में आम आदमी पार्टी की पूरी राजनीति कांग्रेस के साथ किसी न किसी...

विपक्षी गठबंधन की चुनौतियां

भाजपा को हराने के लिए एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही पार्टियां अब 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरू में मिलेंगी। इसके दो दिन के बाद संसद...

भाजपा के एजेंडे पर कांग्रेस की दुविधा

कांग्रेस पार्टी समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर दुविधा में है। इस पर विचार के लिए पार्टी के आला नेताओं की बैठक हुई थी, जिसमें किसी रणनीति पर सहमति...

राज्यपालों को संविधान पढ़ना चाहिए

वैसे तो देश के हर नागरिक को संविधान पढ़ना चाहिए। यह अच्छी बात है कि कई राज्यों में सरकारों ने स्कूल में संविधान की प्रस्तावना पढ़वाने का फैसला किया...

घाटे का सौदा हैं अजित पवार!

अजित पवार के बारे में पिछले ढाई दशक से भाजपा यह धारणा बना रही थी कि वे भ्रष्टाचार का प्रतीक हैं उनको अपनी पार्टी के साथ जोड़ कर और...

सामाजिक, आर्थिक समानताओं का क्या?

सबके लिए समान कानून होने चाहिए और कानून के समक्ष सबको समान होना चाहिए, यह एक आदर्श स्थिति है।

मणिपुर का संकट गहरा रहा है

कुकी और मैती समुदाय के बीच दशकों के प्रयास से जो भरोसा बना था वह समाप्त हो गया है।

रिजर्व बैंक की ऐसी मेहरबानी क्यों?

वित्त मंत्री ने बताया नहीं लेकिन कई दूसरे स्रोत से आई खबरों से पता चलता है कि बट्टे खाते में डाली गई ज्यादातर रकम बड़ी कंपनियों और बड़े कारोबारियों...

विपक्ष के लिए पटना का महत्व

जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के बाद से गंगा जमुना में बहुत पानी बह चुका है। फिर भी दिल्ली की सत्ता के खिलाफ पटना से बिगुल फूंकने का कुछ प्रतीकात्मक...

भाजपा की कहानियों का क्या जवाब है!

 क्या विपक्ष के नेता भाजपा की ओर से गढ़े जा रहे नैरेटिव के बरक्स अपना कोई काउंटर नैरेटिव गढ़ सकते हैं?

भाजपा को क्षेत्रीय पार्टियों की जरूरत

पिछले साल 31 जुलाई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी के सात मोर्चों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेने बिहार पहुंचे थे।

मॉनसून, अल नीनो और खेती का संकट

ल नीनो का दुनिया पर जो भी असर हो लेकिन भारत के लिए यह बहुत खराब होता है।

भाजपा की तीसरी कसम जल्द पूरी?

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त करना, अयोध्या में राममंदिर का निर्माण और समान नागरिक संहिता लागू करना।

लोकसभा चुनाव की इस साल रिहर्सल!

इस साल के अंत में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को राजनीतिक विश्लेषक अगले साल के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल बता रहे हैं।

डाटा लीक की हकीकत क्या है?

सुरक्षा के विशेषज्ञ एक फायरवाल तैयार करते हैं और हैकर्स उसमें सेंध लगाने के रास्ते तलाशते हैं। यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है।

मणिपुर की चिंता करनी चाहिए

अगर सरकार मैती समुदाय को एसटी में शामिल करने पर दिए गए हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करती है तो मैती समुदाय के लोग भड़केंगे और हिंसा...

कांग्रेस की गारंटियां हो रही लागू! क्या जवाब है?

कर्नाटक में सरकार बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में कांग्रेस की सरकार ने चुनाव में किए गए पांच वादों को पूरा करने का फैसला किया।

हर विरोध को मोदी सरकार क्यों प्रतिष्ठा का सवाल बनाती?

लोकतंत्र हर पांच साल पर मतदान करने का नाम नहीं है और कोई भी देश सिर्फ इस आधार पर लोकतांत्रिक नहीं बनता है कि वहां चुनी हुई सरकार चल...

कांग्रेस लौटी धर्मनिरपेक्षता के एजेंडे में!

एंटनी कमेटी की रिपोर्ट ने कांग्रेस की दुविधा खत्म की थी और वह खुल कर हिंदू राजनीति करने लगी थी।

हादसों से सबक नहीं लेतीं सरकारें

कायदे से इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि रेलवे की सेहत ठीक नहीं है। पिछले कई दशक से रेलवे का इस्तेमाल राजनीति चमकाने के लिए ज्यादा हुआ है।

मोदी को वोट के मूड का आधार क्या?

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के मौके पर कई तरह के सर्वेक्षण हुए, जिनसे मोदी सरकार की लोकप्रियता बरकरार रहने का निष्कर्ष जाहिर हुआ।

एमपी, एमएलए की ऐसे सदस्यता जाने लगी तो आगे क्या?

आजम खान की हेट स्पीच मामले में रिहाई ने विधायकों, सांसदों की आनन-फानन में सदस्यता समाप्त करने, उनकी सीटों को खाली घोषित करने और उपचुनाव कराने की जल्दी पर...

एकता दिखाने की नहीं बनाने की जरूरत

जदयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के प्रयास के तहत 12 जून को पटना में एक बड़ी बैठक होने वाली...

नया संसद भवन, नई उम्मीदें!

संसद की नई इमारत के समर्थन और विरोध में बहुत कुछ लिखा जा चुका है। जिस समय इस इमारत की नींव रखी गई थी उस समय इसकी जरूरत और...

संसद इमारत उद्घाटन का कैसा होगा इतिहास?

देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस सहित 19 पार्टियों ने संसद भवन की नई इमारत के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।