Sunday

15-06-2025 Vol 19

अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

बोफोर्स नहीं बन रहा अदानी का मुद्दा!

राहुल गांधी और कांग्रेस के प्रवक्ताओं को छोड़ दें तो ज्यादातर नेता अदानी मसले पर चुप हो गए हैं।

विचारधारा और चुनाव अलग अलग हैं!

आम आदमी पार्टी हमेशा अपनी अजीबोगरीब राजनीतिक पहलों से देश के लोगों को चौंकाती रहती है।

नीतीश का एजेंडा और विपक्षी एकजुटता

वैसे तो ये दोनों- नीतीश कुमार का एजेंडा और विपक्षी एकजुटता का प्रयास- अलग अलग चीजें हैं लेकिन नीतीश ने बहुत होशियारी से इन दोनों को मिला दिया है।

सरकारी विफलता का नाम है अमृतपाल!

खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल ने सरेंडर कर दिया और उसको गिरफ्तार करके असम के डिब्रूगढ़ ले जाया गया, जहां उसके दूसरे साथियों को रखा गया है।

घटनाएं विपक्षी एकता बनवा रही हैं

वैसे तो राजनीति के बारे में माना जाता है कि वहां सब कुछ योजना के तहत होता है लेकिन कई बार कुछ घटनाएं किसी योजना का हिस्सा नहीं होती...

चुनाव से पहले कानूनी लड़ाई!

विपक्षी पार्टियों को अगले साल के लोकसभा चुनाव से पहले लंबी और बेहद सघन कानूनी लड़ाई लड़नी है। उससे बचेंगे तभी चुनाव लड़ने के लायक रहेंगे।

अगले चरण की आरक्षण राजनीति!

आरक्षण का पंडोरा बॉक्स खुलने वाला है। राहुल गांधी ने समाजवादी नेताओं की लाइन पकड़ी है और ‘जितनी आबादी, उतना हक’ का नारा दिया है। इस तरह का नारा...

केजरीवाल के लिए मुश्किल या मौका?

सीबीआई का शिकंजा अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किल की घड़ी है या उनके लिए राजनीतिक मौका है?

सवाल कानून के राज का है

असली सवाल उत्तर प्रदेश में कानून के राज का है। संविधान की बनाई व्यवस्था का है। भारत के सामाजिक ताने-बाने का है।

क्षेत्रीय पार्टियों की राष्ट्रीय चुनौती

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए कमर कस रही पार्टियों में से लगभग सभी पार्टियां क्षेत्रीय...

भ्रष्टाचार पर जुबानी जमाखर्च!

भारतीय जनता पार्टी ने ‘कांग्रेस फाइल्स’ नाम से दो एपिसोड की एक सीरिज बनाई है, जिसमें कांग्रेस के भ्रष्टाचार के बारे में बताया गया है।

मोदी विरोधी अभियान का फायदा किसको?

वे नरेंद्र मोदी की छवि को खंडित करते हैं, उसे तोड़ने में कुछ हद तक भी कामयाब होते हैं तो क्या वे इसका चुनावी लाभ लेने की स्थिति में...

सिर्फ गठबंधन पर्याप्त नहीं है

अभी तक विपक्षी पार्टियों का गठबंधन तय नहीं हुआ है। उसकी एक मोटी रूप-रेखा उभर रही है लेकिन उसे अंतिम नहीं माना जा सकता है।

कर्नाटक चुनाव राष्ट्रीय महत्व का

लोकतंत्र में वैसे तो हर चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होता है और कई बार सबसे छोटे चुनाव से भी बड़ी राजनीति प्रभावित होती है।

राजस्थान का स्वास्थ्य अधिकार कानून पूरे देश के लिए अनुकरणीय, विरोध गलत।

राजस्थान में 21 मार्च को स्वास्थ्य के अधिकार कानून का बिल पास हुआ और उसी दिन से प्रदेश के डॉक्टर इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

हिंदुत्व की राजनीति का जवाब क्या है?

नब्बे के दशक में जब राम जन्मभूमि का आंदोलन चरम पर था तब अक्सर कहा जाता था कि विपक्ष भाजपा से तो लड़ सकता है परंतु भगवान राम से...

किसको हराने के लिए लड़ेगा विपक्ष?

मानहानि के मामले में राहुल गांधी को सजा होने और लोकसभा की उनकी सदस्यता समाप्त होने के बाद विपक्ष में जो एकता दिखी है वह क्या राजनीतिक और चुनावी...

अयोग्यता कानून पर विचार की जरूरत

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा से अयोग्यता की घटना ने सांसदों, विधायकों को अयोग्य बनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले की फॉल्टलाइन्स को जाहिर किया है।

राहुल क्या आपदा को अवसर में बदल पाएंगे?

यह यक्ष प्रश्न है कि राहुल गांधी के ऊपर अभी जो आपदा आई है उसे वे अवसर में बदल सकते हैं या नहीं? राजनीतिक नजरिए से देखें तो यह...

खुशी मापना एक गलत अवधारणा है!

पता नहीं दुनिया की कोई भी एजेंसी खुशी को कैसे माप लेती है! खुशी कोई वस्तु नहीं है, जिसे किसी पैमाने से माप लिया जाए।

पंजाब का घाव नासूर न बन जाए

खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह का मामला केंद्र और पंजाब की सरकारों की लापरवाही का नमूना है।

ममता, अखिलेश की दूरगामी राजनीति

ममता और अखिलेश दोनों ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि उसे बॉस की तरह बरताव नहीं करना चाहिए।

राहुल को गलत साबित करे भाजपा!

भारतीय जनता पार्टी इस बात पर अड़ी है कि राहुल गांधी ने विदेश जाकर देश का अपमान किया है और इसके लिए उनको माफी मांगनी चाहिए।

स्टेज वन में अटके राहुल गांधी!

कांग्रेस नेता राहुल गांधी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अपने राजनीतिक अभियान के पहले चरण में यानी स्टेज वन में ही अटके हुए हैं और उनको स्टेज...

जरूरी है प्रवासी मजदूरों की चिंता

तमिलनाडु में हिंदी भाषी मजदूरों पर अत्याचार और उनकी हत्या किए जाने की खबरें भले फर्जी निकलीं लेकिन इसी बहाने…

हिंदी पत्रकारिता के वैदिक युग का अवसान

हिंदी की मुख्यधारा की पत्रकारिता के स्वर्ण काल का प्रतिनिधित्व करने वाली मध्य प्रदेश की त्रयी की आखिरी कड़ी भी टूट गई।

विपक्ष पर कार्रवाई कही उलटी न पड़े!

जिस रफ्तार से कार्रवाई शुरू की है उससे क्या भाजपा को राजनीतिक लाभ होगा या विपक्ष के प्रति आम लोगों के बीच सहानुभूति बनेगी?

पूर्वोतर का मुख्यधारा से जुड़ाव

पूरा देश जिस समय होली का त्योहार मना रहे थे उस समय त्रिपुरा में माणिक साहा दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे।

चुनाव आयोग पर फैसले से क्या बदलेगा?

नियुक्तियों में न्यायपालिका के शामिल होने से उसके पारदर्शी और साफ-सुथरा होने की गारंटी नहीं होती है।

‘ईडी से एकजुट’ हुए नेताओं की नादानी!

आम लोगों को जो जितनी अच्छी कहानी सुना सकता है, उसके सफल होने की संभावना उतनी ज्यादा होती है।

पाक की अस्थिरता, भारत के लिए चुनौती!

भारत में जश्न मनाया जा रहा है कि पाकिस्तान दिवालिया हो गया। मीडिया में और खासतौर से सोशल मीडिया में इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मास्टरस्ट्रोक का नतीजा बताया...

चीन को लेकर थोड़ी गंभीरता दिखी

इसे देर आए दुरुस्त आए कह सकते हैं। हाल के दिनों में संभवतः पहली बार चीन के खतरे को लेकर भारत सरकार की गंभीरता दिखी है।

क्या पंजाब का इतिहास दोहरा रहा है?

पंजाब पर बुरे दौर का साया सत्तर या अस्सी के दशक में नहीं पड़ा था। उसकी बुनियादी साठ के दशक में ही पड़ गई थी

विपक्षी एकता का कौन सा मॉडल?

देश के राष्ट्रीय चुनावों में विपक्षी एकता के वैसे तो कई मॉडल आजमाए गए हैं लेकिन तीन मॉडल सफल हुए हैं।

यूक्रेन युद्ध का एक साल!

संभवतः किसी ने सोचा नहीं होगा कि 21वीं सदी में दो देशों के बीच इतना लंबा पारंपरिक युद्ध चल सकता है।

विपक्षी एकता का आधा अधूरा प्रयास

विपक्षी पार्टियों की रणनीति को लेकर हाल में कई वक्तव्य आए हैं, जिन पर बारीकी से और वस्तुनिष्ठ तरीके से विचार करने की जरूरत है।

संगठन नहीं सांसद, विधायक ही पार्टी हैं!

लोकतंत्र में चुनाव लड़ने वाली पार्टी महत्वपूर्ण होती है। कोई भी नेता पार्टी से ऊपर या उससे ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होता है।

भारत विरोधी ताकतों की साजिश!

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री आई और हिंडनबर्ग रिसर्च ने वित्तीय गड़बड़ियों की एक रिपोर्ट पेश की तो विदेशी ताकतों की साजिश वाला नैरेटिव चलाया जा रहा है। 

अगला चुनाव विचारधारा पर होगा!

अगला लोकसभा चुनाव या उससे पहले होने वाले विधानसभा चुनावों का केंद्रीय मुद्दा क्या होगा?

नकल रोकने का कानून पर्याप्त नहीं

उत्तराखंड की सरकार एक कानून लेकर आई है, जिससे परीक्षाओं की पवित्रता बहाल करने की उम्मीद की जा रही है।

संसदीय विमर्श के विषय और भाषा!

विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों कानून की बारीकियों पर विचार करने और बेहतर कानून बनाने की बजाय व्यक्तियों और घटनाओं पर अपनी भड़ास निकाल रहे होते हैं।

राहुल को वैकल्पिक दृष्टि बतानी होगी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने को एक परिपक्व और सकारात्मक विपक्षी नेता के तौर पर स्थापित करने के प्रयास में काफी हद तक सफल हुए हैं।

बेटी बचाओ का असम मॉडल

असम की हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार बेटी बचाओ अभियान में लगी है और मुख्यमंत्री ने ऐलान किया है कि यह अभियान 2026 के विधानसभा चुनाव तक चलता रहेगा।

सामाजिक सुरक्षा प्राथमिकता से बाहर!

भारत लोक कल्याणकारी राज्य है इसके बावजूद देश में सामाजिक सुरक्षा की गारंटी नहीं है।

अदानी को बचाना मजबूरी है!

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद गौतम अदानी की कंपनी ने अपनी सफाई में जो कुछ कहा वह इस बात का संकेत था कि आगे यह कहानी क्या...

मजबूरी में मध्य वर्ग की चिंता

राजनीतिक दलों साथ आमतौर पर ऐसा होता है कि वे या तो जनादेश की गलत व्याख्या कर लेती हैं या उसे फॉर गारंटेड मान लेती हैं।

चुनावी साल का फीलगुड बजट

केंद्रीय वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में ऐलान किया है कि सरकार पूंजीगत खर्च में 33 फीसदी की बढ़ोतरी करेगी।

मानस के बहाने मंडल राजनीति की वापसी

मंडल राजनीति की वापसी हो सकती है और तब कमंडल यानी मंदिर की राजनीति के बरक्स जातियों को खड़ा किया जाएगा