Tuesday

08-07-2025 Vol 19

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

ऐसी असहनशीलता!

बिहार में इसलिए एमएलसी सदस्य सुनील सिंह की विधान परिषद सदस्यता रद्द कर दी गई कि उन्होंने कथित तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मखौल उड़ाया था।

वो पैमाना याद रहे

शुक्रवार से पेरिस में 29वें ओलिंपिक खेल शुरू होंगे, तो स्वाभाविक है कि भारत में लोगों का ध्यान अपने देश के पदक दावेदारों पर होगा।

ग्रोथ पर यकीन नहीं?

उनकी बातों का मतलब है कि भारत की वृद्धि दर पर संदेह मुख्यधारा राजनीति और उसके माध्यम से अब संसद के अंदर तक पहुंच गया है।

खुशनुमा सुर्खियों के नीचे

आर्थिक सर्वेक्षण (2023-24) रिपोर्ट में दिए गए विवरण आम जन की बढ़ती मुसीबतों से मुलाकात करा देते हैं।

भारत की चीन दुविधा

सर्वे में राय जताई गई है कि सामग्रियों के आयात पर पूरी निर्भरता के बजाय बेहतर होगा कि वहां की पूंजी को भी भारत आने दिया जाए।

क्राउड-‘स्ट्राइक’ के बाद

पिछले हफ्ते माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम से संचालित कंप्यूटर सिस्टम्स के अवरुद्ध होने से कितना नुकसान हुआ, इसका आकलन धीरे-धीरे सामने आ रहा है।

बाइडेन ने देरी की

बाइडेन ने कमला हैरिस को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। लेकिन अभी इस बारे में बहुत दांव खेले जाने हैं।

बांग्लादेश से सबक लें

बांग्लादेश का नेतृत्व दो साल पहले श्रीलंका में हुई राजनीतिक उथल-पुथल से सबक लेता, तो संभवतः फिलहाल वहां आज जैसी हिंसक परिस्थितियां पैदा नहीं होतीं।

अंधेरे में सारे तीर

मोटे तौर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में हार और कुछ राज्यों में लगे झटकों की वजह भाजपा की अंदरूनी कमजोरियों को माना है।

संदेह के दायरे में

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के सर्वोच्च प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति का दायित्व निभाने वाला संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) पर भी अब संदेह से साये पड़ गए हैं।

हाल इतना बदहाल है!

थाली दूर होने की बड़ी वजह खाद्य पदार्थों की महंगाई है, जिसकी दर लगातार लगभग नौ प्रतिशत के करीब बनी हुई है।

गलत दवा से इलाज

बेरोजगारी का ठोस हल सिर्फ यह है कि वास्तविक अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़े, जिससे धीमा पड़े आर्थिक चक्र में गति आएगी।

चांद लाने जैसी बात

गरीबों को पहले तो चंद्र बाबू नायडू का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि उन्होंने उनके वजूद से इनकार नहीं किया।

ट्रंप की कार्बन कॉपी

वे अमेरिकी ईसाइयों को याद दिलाते हैं कि ईसा मसीह का जन्म आज की ‘इजराइली भूमि’ पर ही हुआ था। उस स्थान की पवित्रता बनी रहे, इसलिए वहां इजराइल...

कुदरती इंसाफ के खिलाफ

नक्सल या ऐसी किसी गतिविधि के खिलाफ कदम उठाना सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें सशस्त्र तरीके से भारतीय राज्य को चुनौती दी जाती हो।

रुख सबको बताना होगा

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से वेल्थ टैक्स प्रस्ताव पर रुख साफ करने को कहा है। यह उचित मांग है, क्योंकि इस वर्ष के जी-20 शिखर सम्मेलन में यह मुद्दा विचार...

जब माहौल ज़हरीला हो

अमेरिका में तीखे राजनीतिक ध्रुवीकरण के कारण माहौल जिस हद तक ज़हरीला बना हुआ है, उसके बीच ऐसे आरोपों का दूरगामी प्रभाव हो सकता है।

नाराजगी अब ट्रेंड है

महंगाई, बेरोजगारी और सामान्य अवसरहीनता अब आम मतदाताओं के राजनीतिक निर्णय को प्रेरित कर रहे हैं।

हताशा का ये आलम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मास्को यात्रा के दौरान उन भारतीय नौजवानों का मामला उठाया, जिन्हें रूस ले जाकर वहां यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में झोंक दिया गया।

प्रगति की दिशा में

अल्पसंख्यक समुदाय का कोई व्यक्ति इसके तहत न्याय पाना चाहे, तो अदालतें उसकी अर्जी को स्वीकार करेंगी।

मास्को यात्रा का सार

भारत-रूस दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मास्को यात्रा को सफल बताया है। लेकिन सफलता को मापने के दोनों के संभवतः अलग-अलग पैमाने हैं।

यही तो समस्या है

भारत में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान विभिन्न कारोबारों में बाजार केंद्रीकरण और बढ़ा।

कुलगाम के बाद कठुआ

दो दिन बाद- आठ जुलाई की रात कठुआ में सेना के कारवां पर आतंकवादियों ने और भी ज्यादा घातक हमला किया।

बिगड़ती हालत की तस्वीर

भारत के रोजगार की हालत खराब है, लेकिन यह बदहाली सिर्फ औपचारिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। अनौपचारिक क्षेत्र में हालत बदतर है।

फ्रांस ने दिया फॉर्मूला

पहले दौर के मतदान में नेशनल रैली ही पहले नंबर पर रही, मगर दूसरा स्थान एनपीएफ ने हासिल कर लिया।

अब भी गर्व है?

यह उस देश का हाल है, जहां “तेजी से विकसित होते इन्फ्रास्ट्रक्चर” की कहानियां इस तरह फैली हैं कि देशवासी अक्सर उस पर गर्व करते दिखते हैं।

मोदी की रूस यात्रा

यूक्रेन में रूस की विशेष सैनिक कार्रवाई शुरू होने के बाद यह मोदी का पहला रूस दौरा है।

इल्जाम में दम है

कांग्रेस ने सेल फोन और इंटरनेट सेवा क्षेत्र में ऑलिगोपॉली कायम होने का संगीन इल्जाम लगाया है।

धार चूक गई है

संभवतः चर्चा के इसी स्तर के कारण चूकी हुई धार के साथ भी नरेंद्र मोदी सत्ता के समीकरण में सबसे आगे बने हुए हैँ।

नेपाल में सियासी प्रहसन

नेपाल में फिर नई सरकार बनने जा रही है। नवंबर 2022 में जब पिछला आम चुनाव हुआ, तब उसके बाद से- यानी डेढ़ साल में यह पांचवीं सरकार होगी।

अब सेबी बनाम हिंडेनबर्ग

अडानी ग्रुप के बारे में हिंडेनबर्ग ने जो खुलासे किए थे, उस मुद्दे पर अब उसने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है।

पक्ष-विपक्ष की बात नहीं

राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी के इस दावे को गलत बताया कि लड़ाई के दौरान किसी अग्निवीर के मरने पर उसके परिवार को कुछ नहीं मिलता।

विपक्ष के आक्रामक तेवर

विपक्ष की जैसी आक्रामकता वहां देखने को मिल रही है, वैसा पिछले दस साल में कभी नहीं था।

मैक्रों की नैया डगमगाई

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का संसदीय मध्यावधि चुनाव कराने का दांव उलटा पड़ा है।

हिलने लगी है बुनियाद

अब कॉमन यूनिवर्सिटी टेस्ट फॉर अंडरग्रैजुएट एडमिशन्स (सीयूएटी-यूजी) से संबंधित आशंकाएं भी सच हो रही हैं

चांद से जमीन पर उतरे

बारिश के कारण तीन दिन में तीन हवाई अड्डों के छज्जे गिरे। एक अन्य जगह पानी टपकता दिखा। नई दिल्ली में तो इस हादसे में एक मौत भी हुई।

असहमति की फिर अनदेखी

अनेक विधि विशेषज्ञों ने कहा है कि नए कानून अस्पष्ट हैं। साथ ही इनमें जमानत की प्रक्रिया दुरूह बना दी गई है, पुलिस को व्यापक शक्तियां प्रदान की गई...

योग के युग में!

विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए पैमाने पर देखें, भारत की आधी आबादी को निष्क्रिय माना जाएगा।

जिस पर गर्व है

जी-20 शिखर सम्मेलन के समय नई दिल्ली में बने प्रगति टनल के खराब डिजाइन और स्तरहीन निर्माण की खबर चर्चित हो चुकी है।

दूरियां मन में हैं

सदन में एक तरफ जय हिंदू राष्ट्र, जय श्रीराम, डॉ. हेडगेवार जिंदाबाद जैसे नारे लगे, तो दूसरी तरफ जय संविधान, जय भीम और यहां तक कि जय फिलस्तीन की...

उन्नति का रास्ता नहीं

चेन्नई स्थित कारखाने में फोन पुर्जों की असेंबलिंग का काम होता है। इस कार्य के लिए विवाहित महिलाओं की भर्ती पर वहां लगभग पूरी रोक है।

जूलियन असांज की आजादी

बहुत से आदर्शवादी लोगों को विकीलिक्स के संस्थापक जूलियन असांज का यह निर्णय पसंद नहीं आएगा।

ये तो होना ही था

भारत की प्रतिस्पर्धात्मक राजनीति में ऐसे फैसले हमेशा समस्या खड़ी करते हैं, जिन्हें घोषित करने से पहले सभी संबंधित पक्षों के बीच संवाद और सहमति बनाने की कोशिश ना...

टकराव से ही शुरुआत

लोकतंत्र का ऐसा अनादर भारत के लिए तो बेहद  अशुभ संकेत माना जाएगा। इसलिए बेहतर होगा कि भाजपा अपने इस रवैये को तुरंत बदले। यही सबके हित में होगा।

मणिपुर की व्यथा-कथा

केंद्र सरकार की उपेक्षा और राज्य सरकार के एकतरफा नजरिए से राज्य दुर्दशा के किस गर्त में जा चुका है

क्यों चुभती है महंगाई?

मार्केट रिसर्च फर्म केंटार के मुताबिक भारत की एक-तिहाई आबादी महंगाई के कारण “भीषण दबाव” में है।

यह खेल बंद हो

पटना हाई कोर्ट के बिहार में आरक्षण की सीमा में बढ़ोतरी को रद्द कर दिया है।

नीट के बीच नेट

जिस समय देश में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाले नीट इम्तहान को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है और इस वर्ष की इस परीक्षा में घपले की...