• रोजगार की भयावह तस्वीर

    वर्तमान सरकार के कुछ कदम बेरोजगारी को बढ़ाने वाले रहे हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह समस्या व्यवस्थागत है। जब तक उस पर ध्यान नहीं दिया जाता, इसका कोई समाधान नहीं निकल सकता। भारत में बेरोजगारी की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इसके बावजूद यह मुख्य राजनीतिक विमर्श का हिस्सा नहीं है। विपक्षी नेता जब-तक इस समस्या का जिक्र जरूर करते हैं, लेकिन समस्या क्यों है और उसका समाधान क्या है, इन सवालों पर उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं होता। उनका सिर्फ यह कहना होता है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बेरोजगारी बढ़ा...

  • यही सोच समस्या है

    प्रश्न है कि उन 19 थाना क्षेत्रों को क्यों छोड़ दिया गया? एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले लगभग पांच महीनों में मणिपुर में हुई हिंसा की तमाम घटनाओं के बीच तकरीबन 80 फीसदी वारदात उन्हीं थाना क्षेत्रों में हुई हैं। मणिपुर में बेकाबू हालात के बीच 19 थाना क्षेत्रों को छोड़ कर बाकी पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है। यानी वहां सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून लागू हो गया है। प्रश्न है कि उन 19 थाना क्षेत्रों को क्यों छोड़ दिया गया? एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले लगभग पांच...

  • अब अमेरिका को आईना!

    जयशंकर ने ना सिर्फ कनाडा को सख्त संदेश दिया, बल्कि अमेरिका को भी आईना दिखाने की कोशिश की। जयशंकर के भाषण ऐसी कई बातें आईं, जो अक्सर आजकल चीनी राजनयिकों के भाषणों में सुनने को मिलती हैं। संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री एस जयशंकर के संबोधन का लब्बोलुआब संभवतः यह है कि भारत ने पश्चिमी देशों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जयशंकर ने वहां से ना सिर्फ कनाडा को सख्त संदेश दिया, बल्कि अमेरिका को भी आईना दिखाने की कोशिश की। जयशंकर के भाषण ऐसी कई बातें आईं, जो अक्सर आजकल चीनी राजनयिकों के भाषणों में सुनने को मिलती...

  • अमेरिका खेलेगा कश्मीर कार्ड?

    उचित ही यह सवाल उठाया गया है कि डॉनल्ड ब्लोम का पीओके जाना और उस क्षेत्र को पाकिस्तान की भाषा के अनुकूल संबोधित करना क्या कोई सामान्य घटना है, या इसके जरिए अमेरिका ने भारत को कोई संदेश देने की कोशिश की है? भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कश्मीर मसले पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इस विवाद को भारत और पाकिस्तान को आपस में हल करना है। गार्सेटी से यह सवाल पाकिस्तान स्थित अमेरिकी राजदूत डॉनल्ड ब्लोम की पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की यात्रा के सिलसिले में पूछा गया था। ब्लोम ने अपने इस दौरे...

  • पिटे नारों के सहारे!

    ओबीसी ध्रुवीकरण की राजनीति का एक्सपायरी डेट गुजर चुका है। गुजरे दशकों में भाजपा ने जातीय प्रतिनिधित्व की राजनीति इतनी कुशलता से की है कि दलित या ओबीसी की बड़ी आइडेंटिटी के आधार पर विशाल ध्रुवीकरण की जमीन खिसक चुकी है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का माहौल गरमा रहा है। वहां सत्ता के बड़े दावेदार अब खुद को प्रचार में झोंक रहे हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर वैचारिक दिवालियापन का शिकार होने और अर्बन नक्सल्स के हाथ में खेलने का आरोप लगाया। अर्बन नक्सल की बात एक नैरेटिव है, जिसके जरिए गुजरे कुछ वर्षों...

  • एक और राष्ट्रीय शर्म

    पिछड़े राज्यों से बच्चों की तस्करी कर उन्हें ऐसे राज्यों में बेच दिया जाता है, जहां उनका इस्तेमाल छोटे-मोटे उद्योगों या घरेलू काम के लिए किया जा सके। कई बार तस्कर बच्चों को ऐसे गैंग को भी बेच देते हैं जो भीख मांगने जैसे वाले रैकेट चलाते हैं। बात राष्ट्रीय राजधानी की है, जो देश की सत्ता का केंद्र है- जहां पक्ष-विपक्ष में रोज ही किसी ना किसी मुद्दे को लेकर तकरार छिड़ी रहती है। लेकिन इस बहस में देश की आम आबादी के असल मुद्दे किस तरह गायब रहते हैं, इस पर ध्यान देना हो, तो बाल तस्करी के...

  • ट्रुडो की अन्य मुश्किल

    इस नए विवाद में बड़ी संख्या में कनाडावासियों, यहूदी संगठनों और यहां तक कि पोलैंड की कड़ी आलोचना भी उन्हें सहनी पड़ी है। हालांकि उन्होंने इस प्रकरण से खुद को अलग बताने की कोशिश है, लेकिन उससे बात बनती नहीं दिख रही है। भारत के साथ छिड़े विवाद के समय ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो एक दूसरे विवाद में भी फंस गए हैं। इस विवाद में बड़ी संख्या में कनाडावासियों, यहूदी संगठनों और यहां तक कि पोलैंड की कड़ी आलोचना भी उन्हें सहनी पड़ी है। हालांकि उन्होंने इस प्रकरण से खुद को अलग बताने की कोशिश है, लेकिन उससे...

  • भारत की बढ़ती चुनौतियां

    यह विस्फोटक खुलासा हुआ है कि जून में कनाडा में खालिस्तानी उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई ने अपने देश में मौजूद खालिस्तानी कार्यकर्ताओं से संपर्क कर उन्हें आगाह किया था कि उनकी जान खतरे में है। दो दिन के शुरुआती भ्रम के बाद यह बात साफ हो गई कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने भारत पर जो गंभीर आरोप लगाया, उसको पर पश्चिम के उनके खास सहयोगी देश उनसे सहमत थे। धीरे-धीरे यह बात साफ हो गई कि असल में जिन सूचनाओं के आधार पर उन्होंने भारत पर कनाडा की जमीन...

  • जर्मन रुझान के सबक

    यह आम अनुभव है कि मुख्यधारा वाले यानी मध्यमार्गी लोग जो सामान्यतः खुद को किसी चरमपंथ या किसी खास विचारधारा से संबंधित नहीं मानते, अगर वे दक्षिणपंथी चरमपंथी नजरिया अपनाने लगें, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है। मुश्किलों भरे वक्त में लोग राजनीतिक रूप से सक्रिय हो जाते हैं और नया रुख अख्तियार करते हैं। उस समय लोगों को धुर दक्षिणपंथ यानी नफरत के एजेंडे की तरफ खींचा जा सकता है। यह तो आम अनुभव है कि मुख्यधारा वाले यानी मध्यमार्गी लोग जो सामान्यतः खुद को किसी चरमपंथ या किसी खास विचारधारा से संबंधित नहीं मानते, अगर वे दक्षिणपंथी...

  • ये कैसा ‘हार्ड स्टेट’?

    नरेंद्र मोदी सरकार दुनिया में भारत की छवि हार्ड स्टेट की बनाना चाहती है। भाजपा का पुराना आरोप है कि अन्य पार्टियों के शासनकाल में भारत सॉफ्ट स्टेट था। लेकिन चीन की जब बात आती है, तो हार्ड स्टेट का वह नैरेटिव क्यों मद्धम पड़ जाता है? बीते जुलाई में चीन में वुशु वर्ल्ड कप का आयोजन हुआ था, तब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तीन एथलीटों को स्टेपल्ड वीजा दिया था। यानी उसने अन्य भारतीय नागरिकों को दिया जाना वाला सामान्य वीजा उन्हें देने से इनकार कर दिया था। तब भारत ने उस पर कड़ा विरोध जताया और वर्ल्ड...

  • नीचे जाने की होड़!

    न्याय मांगने वाले समुदायों की सोच का दायरा ऐसा सिमट गया है कि वे आरक्षण की मांग से ज्यादा फिलहाल सोच नहीं पा रहे हैं। नतीजा यह है कि राजनीतिक दलों के लिए जातीय कार्ड खेलना आसान हो गया है। झारखंड और पश्चिम बंगाल में कुर्मी समुदाय के लोग खुद को अनुसूचित जन-जाति (एसटी) श्रेणी में शामिल कराने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। इस समुदाय के लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए थे, लेकिन बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने इसे गैर-कानूनी और असंवैधानिक करार दिया। इसके बाद समुदाय ने धरना तो हटा लिया, लेकिन उन्होंने अलग-अलग जगहों पर...

  • बारीक कूटनीति का वक्त

    यह वक्त बारीक कूटनीति का है। ‘मर्दाना’ विदेश नीति का नैरेटिव घरेलू समर्थक वर्ग के लिए ठीक हो सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सचमुच इस रुख को अपनाना हानिकारक होगा। कनाडा के भारत पर लगाए आरोपों के बाद अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की जो प्रतिक्रिया आई है, उसे गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। इन तीनों देशों ने कनाडा के इस रुख में स्वर मिलाया है कि खालिस्तानी उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में भारत को कनाडा से पूरा सहयोग करना चाहिए। उधर इन देशों के मीडिया में कथित खालिस्तान आंदोलन का हौव्वा खड़ा किया...

  • सवाल सॉफ्ट पॉवर का

    जस्टिन ट्रुडो ने जो कहा, उसका अर्थ है कि भारत सरकार दूसरे देशों के जमीन पर अवैध कार्यों को प्रायोजित करती है। स्पष्टतः ऐसे आरोप को कोई देश बर्दाश्त नहीं कर सकता। बहरहाल, इस प्रकरण से कई गंभीर मुद्दे जुड़े हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने भारत पर बेहद गंभीर आरोप लगाने का निर्णय इस मौके पर क्यों लिया, इस बारे में बाकी दुनिया सिर्फ कयास लगाने की स्थिति में ही है। उनके इस आरोप से सारी दुनिया चौंक गई है कि ‘भारत सरकार की एजेंसियों ने’ कनाडा की जमीन पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या की। ट्रुडो ने...

  • 2024 में क्यों नहीं?

    महिला आरक्षण के साथ कुछ बड़े सवाल भी जुड़े हुए हैं। जाहिरा तौर पर यह कदम जड़ पर मौजूद समस्या को नजरअंदाज कर फुनगियों को सजा लेने की सोच का संकेत है। महिलाएं राजनीति में कम संख्या में हैं, तो उसकी वजहें समाज में मौजूद हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने विधायिकाओं में महिला आरक्षण के लिए विधेयक कई अगर और मगर के साथ पेश किया है। जाहिर है, शुरुआत में इस बिल को लाने के बारे में आई खबर से पैदा हुआ उत्साह इन शर्तों को देखने के बाद ठंडा हो गया। कहा गया है कि महिला आरक्षण का प्रावधान...

  • भवन और भावना

    घूम-फिर कर सवाल यही सामने है कि क्या नए संसद भवन में दोनों पक्ष नई- यानी संसदीय परंपरा की अनिवार्य शर्त बताई जाने वाली- भावना भी दिखाएंगे? उन्होंने ऐसा किया, तभी यह परिवर्तन ऐतिहासिक बन पाएगा। लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों ने संसद के नए भवन में जाने से पहले पुराने भवन से जुड़ी स्मृतियों को याद किया। नेतृत्व खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिन्होंने इस मौके पर अनपेक्षित भावना का प्रदर्शन करते हुए जवाहर लाल नेहरू के ऐतिहासिक ‘स्ट्रोक ऑफ द मिडनाइड’ भाषण को याद किया और साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा भी अन्य पूर्व प्रधानमंत्रियों...

  • जांच की जरूरत है

    खबर है कि अवैध तरीके से पोलैंड के रास्ते अमेरिका और यूरोप के दूसरे देशों तक जाने वालों में भारत के लोग भी शामिल हैं। आरोप तो यहां तक लगा है कि भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला चल रहा था। हालांकि विवाद अंतरराष्ट्रीय है, लेकिन इसमें कथित रूप से भारतीय नागरिक भी शामिल या इससे प्रभावित बताए जाते हैं, इसलिए इस पर भारत सरकार को अवश्य ध्यान देना चाहिए। खबर है कि अवैध तरीके से पोलैंड के रास्ते अमेरिका और यूरोप के दूसरे देशों तक जाने वालों में भारत के लोग भी शामिल हैं। आरोप...

  • सरकारी खाते में गड़बड़झाला

    लोकतंत्र में वित्तीय उत्तरदायित्व सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पहलुओं में एक माना जाता है। लेकिन ‘क्वालिटी ऑफ एकाउंट्स एंड फाइनेंशियल रिपोर्टिंग प्रैक्टिसेज’ नाम की सीएजी की 27 पेज की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस उत्तरदायित्व की गुजरे वर्षों में खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई हैँ। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट में सरकारी खातों में चल रहे जिस गड़बड़झाले पर रोशनी डाली है, उसकी अगर जवाबदेही तय की जाए, तो पूरी केंद्र सरकार कठघरे में खड़ी नजर आएगी। लेकिन यह आज के माहौल पर एक कड़ी टिप्पणी है कि यह रिपोर्ट सीएजी ने पिछले महीने सौंपी थी, जबकि उसकी...

  • गारंटियों का चुनावी दांव

    प्रश्न यह है कि प्रत्यक्ष लाभ देने के बाद क्या राजकोष में इतना धन बचेगा, जिसका निवेश मानव विकास के दूरगामी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए किया जा सके? आज की सियासी होड़ में ऐसे सवाल हाशिये पर धकेल दिए गए हैं। कांग्रेस ने हैदराबाद में हुई अपनी कार्यसमिति की बैठक के तुरंत बाद तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए अपने अभियान की औपचारिक शुरुआत कर दी। हाल की अपनी चुनावी रणनीति के तहत पार्टी ने तेलंगाना के मतदाताओं के सामने छह गारंटियों का वादा रखा। चूंकि ऐसा वादा कर्नाटक में कामयाब रहा था और पार्टी ने सत्ता में आते...

  • सतर्कता की जरूरत है

    कोविड-19 के दौरान जैसी अफरातफरी से इस देश को गुजरना पड़ा था, उसके बाद किसी भी ऐसे खतरे को हलके से नहीं लिया जा सकता। इसलिए निपाह संक्रमण से निपटने की तैयारी की समीक्षा के लिए केंद्र को तुरंत पहल करनी चाहिए। निपाह वायरस का संक्रमण हालांकि अभी महामारी नहीं बना है, लेकिन जिस तरह संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने वाले लोगों की संख्या बढ़ने की खबर आ रही है, उसे देखते हुए उचित यही होगा कि सारे देश में सतर्कता बरती जाए। अभी खबर सिर्फ केरल के कोझिकोड जिले से आई है। मगर डॉक्टरों ने ध्यान दिलाया है...

  • निशाना प्यादों पर क्यों?

    इंडिया ने नफरती एंकर कहा है, वे अगर वर्षों से ऐसा कार्य कथित रूप से करते रहे हैं, तो क्या इसके लिए सिर्फ वे व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं? या ऐसा करने का मंच उन्हें मीडिया घराने ने उपलब्ध कराया है? लोकतंत्र में आदर्श स्थिति तो यही होगी कि मीडिया को स्वतंत्र ढंग से काम करने का मौका मिले। पत्रकारों को खबरों की अंदर तक पड़ताल करने और सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर बैठे लोगों से हमेशा निर्भय होकर सवाल करने के अवसर मिलें, यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के सफल संचालन की अनिवार्य शर्त है। इसीलिए पत्रकारों और मीडिया घरानों को...

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