• स्पेनः चुनावी नतीजा त्रिशंकु, पर लोकतंत्र कायम!

    स्पेन में मध्यावधि चुनाव की घोषणा अचानक हुई। तभी यूरोप सकते में था।जानकारों को लगा कि स्पेन की राजनीति में कुछ अशुभ होने जा रहा है। ज्ञानी लोग भविष्यवाणी कर रहे थे कि चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिलेगा। कई पार्टियों का गठबंधन सत्ता में आएगा, जिसमें अति दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी पार्टी भी होगी।और यदि ऐसा हुआ तो सन् 1975 में फासिस्ट तानाशाह फ्रांसिस्को फ्रेंको की मौत के बाद पहली बार स्पेन में अति दक्षिणपंथी सत्ता होगी। इन चिंताओं के बीच वामपंथ की ओर कुछ झुके हुए मध्यमार्गी प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने यह कहते हुए मध्यावधि चुनाव करवाने के अपने...

  • 38 साल से तानाशाह को झेलता कंबोडिया!

    एक वक्त था जब किस्से-कहानियों में कंबोडिया का जिक्र होता था। इस देश का बहुत गौरवशाली अतीत रहा है। महान खमेर साम्राज्य की शानो-शौकत,राजाओं के दिव्य और विशाल अंकोरवाट मंदिर के चर्चे थे।कोई 692 साल चले खमेर साम्राज्य की धन-संपदा अकूत थी। लेकिन वक्त सोने की लंका को भी मिट्टी में मिला देता है। सो खमेर साम्राज्य भी समय के साथ धूल में मिला। उर्फ कंपूचिया सदियों बाद एक राष्ट्र के रूप में फिर उभरा तो एक खलनायक, लम्पट देश बना। सन् 1975 से 1979 के बीच वह ‘कंपूचिया जनतंत्र’ कहलाता था। उसकी बागडोर कम्बोडियाई कम्युनिस्टों के एक समूह के...

  • रिश्ते के लिए अमेरिका फड़फड़ा रहा या चीन?

    अमेरिका के मंत्री, कूटनीतिज्ञ एक के बाद एक लाइन लगाकर चीन जा रहे हैं। सबसे पहले विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन गए। उनके पीछे वित्त मंत्री जैनेट येलेन गई। फिर राष्ट्रपति बाईडन के जलवायु मामलों के विशेष दूत जान कैरी भी बीजिंग पहुंचे। सभी का मकसद रिश्तों में आई खटास को कम करना था। परंतु इन सबसे जितना शोर हुआ उससे कहीं अधिक शोर सौ साल की उम्र के पूर्व विदेश मंत्री हैनरी किसिंजर की चीन यात्रा से है। एक वजह यह है कि चीन में किसिंजर का स्वागत अमेरिकी प्रशासन के आला मंत्रियों से ज्यादा गर्मजोशी से हुआ। बाकियों के...

  • ट्रंप की गिरफ्तारी के बनते अवसर?

    डोनाल्ड ट्रंप को जल्द मुकदमे का, गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है। पूर्व राष्ट्रपति को एक चिट्ठी भेजी गई है। वह यह बताती है कि 2020 केचुनाव मेंहारने के बाद सत्ता पर काबिज रहने के हथकंड़ों पर उन्हे फेडरल मुकद्दमे का सामना करना पड़ेगा।इस मामले की जांच कर रहे विशेष प्रॉसिक्यूटरजैक स्मिथ ने बचावपक्ष को सूचित कियाहै कि जांचकर्ताओं को ट्रंप के अपराधी होने के साक्ष्य मिले। ट्रंप ने अपनी ख़ास शैली में सोशल मीडिया में इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने जेक स्मिथ को ‘पागल’बताते हुए कहा कि,“उन्हें (ट्रूप) 6 जनवरी की घटनाओं कीग्रेंड जूरी द्वारा की जा...

  • तो बाइडन ने न्यौता नेतन्याहू को!

    अमेरिका कुछ समय पहले तक इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से नाराज़ था। इसकी वजहें भी साफ थीं। जबसे नेतन्याहू सत्ता में आए हैं (उन्होंने आखिरी बार 2022 में चुनाव जीता था) तब से उनके देश में अराजकता का माहौल है - संवैधानिक और सामाजिक तौर पर और फिलिस्तीन मुद्दे सभीको लेकर। तभी इजराइल के सबसे नजदीकी दोस्त होने के नाते अमेरिका की नेतन्याहू से नाराज़गी जायज़ थी।बाइडन ने फरवरी में ही साफ कर दिया था कि नेतन्याहू सरकार के प्रस्तावित न्यायिक सुधार, उन साझा मूल्यों से मेल नहीं खाते जो इजराइल और अमरीका की दोस्ती के आधार हैं।फिर समय...

  • ऐसा वक्त पृथ्वी के जीवन में पहले नहीं?

    हम सभी एक नाव पर सवार हैं। यूरोप, अमरीका, भारत और चीन - सभी एक साथ बेइंतहा पसीना बहा रहे हैं। विडंबना है कि धरती के इतना ज्यादा गर्म होने के लिए बहुत हद तक हम खुद ही जिम्मेदार भी हैं।दुनिया को इस साल वसंत का अहसास ही नहीं हुआ!  अप्रैल में हमें लू के थपेड़े झेलने पड़े। अल्जीरिया, मोरक्को, पुर्तगाल और स्पेन में तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा है। इस बीच, समय से पहले आई बरसात ने भारत में आम के मौसम में खलल डाली। जहां दूसरी जगहों जुलाई गर्म है वही हमारे यहाँ गर्मी और उमस दोनों हैं...

  • ह़ॉलीवुड ह़डताल पर, करों समर्थन!

    हॉलीवुड हड़ताल पर है। फिल्में बनना बंद है। मतलब बची हुई बरसात और आने वाली सर्दियों  में नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम पर मुर्दनी छाई रहेगी। नए शो, नई सीरीज नहीं आएंगे। पहले से ही अच्छी फिल्मों के लिए तरस रहे सिनेमाहॉलों की हालत और ख़राब हो जाएगी।हडताल इसलिए है क्योंकि कई दशक बाद पहली बार हॉलीवुड के लेखक और कलाकार दोनों एक साथ हड़ताल पर है और पिकेटिंग भी कर रहे हैं। कई जानेमाने स्टूडियो बंद हैं क्योंकि उनके और स्क्रीप्ट लेखकों तथा कलाकारों की यूनियनों के बीच समझौता नहीं हो पा रहा हैं। हो भी कैसे? लेखकों और कलाकारों...

  • अकेले मुंह फुलाये जे़लेंस्की और…

    एक तस्वीर और एक हज़ार शब्दों के बराबर! हां, एक कोने में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जे़लेंस्की मुंह फुलाये अकेले खड़े और और उनके चारों तरफ बाकी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एक दूसरे के साथ हंस बोल रहे हैं। क्या ऐसी तस्वीर उन मतभेदों और दरारों को नहीं दिखलाती जो विल्नुस में नाटो शिखर सम्मेलन के बाद उभरीं है। दो दिन का नाटो शिखर सम्मेलन खत्म हो गया है। पर विदाई के वक्त में सब खुश नहीं थे। राष्ट्रपति जे़लेंस्की ने वापस जाते समय अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह “अभूतपूर्व और बेतुका” है कि यूक्रेन को जल्द से...

  • थाईलैंड कगार पर, लोकतंत्र लौटेगा या…

    थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओ-चा ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा की है। प्रयुथ चान-ओ-चा पूर्व सैनिक जनरल हैं और सन् 2014 में सैनिक विद्रोह के बाद सत्ता पर काबिज हुए थे। उनके नेतृत्व में ही कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विरोधियों को गिरफ्तार किया गया। मीडिया पर सेन्सरशिप लागू हुई। बाद में सन् 2019 में संसद ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया। किंतु इस साल मई में उनकी पार्टी को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा।  उनकी पार्टी पांचवे नंबर पर रही - उस नवोदित विपक्षी पार्टी से भी काफी पीछे जिसने सेना को राजनीति से दूर करने का वायदा किया...

  • स्वीडन की सदस्यता और तुर्की का मोलभाव!

    नाटो शिखर सम्मेलन की शुरुआत खुशनुमा माहौल में हुई। चेहरे खिले हुए थे और गर्मजोशी से हाथ मिलाए जा रहे थे। ‘आल इज वेल’ और ‘हम सब एक हैं’ के संदेश देने का भरपूर प्रयास हो रहा था। अपने नजरिए में नाटकीय बदलाव लाते हुए तुर्की ने स्वीडन के नाटो में शामिल होने पर अपना वीटो वापस ले लिया। इससे यह उम्मीद बंधी है कि एक साल से अधिक समय से खिंच रहा यह मसला अब खत्म हो जाएगा। मतलब यह कि तुर्की की जिद के कारण एक साल से देहरी पर खड़ा स्वीडन नाटो का 32वां सदस्य बनने जा...

  • तो ट्विटर को थ्रेड्स खा जाएगा?

    थ्रेड्स – ये नाम है हमारी सोच को दुनिया से साझा करने के सबसे नए ज़रिये का। यह नया एप स्टाइलिश है, और अपने जैसे अन्य एप्स से ज़रा हटकर है। यह एप फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग का है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह एलन मस्क के ट्विटर को खत्म कर देगा। साथ ही यह हमारे दिमाग को खत्म करने वाला एप भी है। लेकिन इसकी चर्चा बाद में। जुकरबर्ग की कंपनी मेटा ने दस साल से भी अधिक समय पहले लोकप्रिय फोटो शेयरिंग एप इंस्टाग्राम पेश किया था। थ्रेड्स इसी की अगली कड़ी है। इन दिनों...

  • जान लेवा गर्मी और उल्टी गिनती वाली घड़ी!

    जब सूरज आग के गोले सा लगे और धरती गर्म तवे जैसी तो अक्सर मुंह से निकल जाता है, “उफ़, क्या जानलेवा गर्मी है।” भारत में इस साल की गर्मी सचमुच जानलेवा है। शाब्दिक अर्थ में भी जानलेवा। उसने सैकड़ों की जान ली है।मगर हम भारतीय गर्मी का मुकाबला करना जानते हैं - गर्म खाना, गर्म मौसम और गर्म (चिपचिपी) राजनीति - हम इन सबको बरदास्त कर लेते हैं।बावजूद इसके इस साल की गर्मीका सामना भारी पड रहा है।   हीटवेव ने कई लोगों की जान ली है। पिछले महीने हुई मौतों की संख्या चिंताजनक थी। उत्तरप्रदेश में करीब 200 लोग...

  • इजराइल के जेनिन में सैनिक आपरेशन

    इजराइली सुरक्षा बलों ने वेस्ट बैंक के जेनिन शहर में रीफ़्यूजी-कैंप पर अब तक के सबसे बड़े हमलों में से एक किया है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक हमले में आठ फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, दर्जनों घायल हैं और हजारों लोग शिविर छोड़कर जा रहे हैं। यह सन् 2002 के बाद से इजराइल की सेना का वेस्ट बैंक के किसी फिलीस्तिनी शहर पर सबसे बड़ा हमला है। जेनिन के घुटन-भरे और झुग्गी-नुमा शरणार्थी शिविर में सोमवार सुबह से भीषण लड़ाई तब शुरू हुई जब इजराइली सुरक्षा बलों (आईडीएफ) ने आपरेशन होम एंड गार्डन प्रारंभ किया। इस ताजा अभियान...

  • इराकी ने कुरान जलाई और स्वीडन मुश्किल में!

    मुसलमानों के लिए पवित्रतम दिनों में से एक ईदुज़जुहा पर स्वीडन में एक मस्जिद के सामने कुरान जलाए जाने से जबरदस्त बवाल है। स्वीडन एक अमनपसंद देश है। और विश्व शांति इंडेक्स में सबसे ऊपर। लेकिन अचानक वह इस्लाम का बैरी नज़र आने लगा है।निहायत असभ्य घटना को होने देने के लिए स्वीडन की सरकारी मशीनरी की आलोचना हो रही है। उसकी नाटो में प्रवेश की उम्मीद कम हो गई है। मस्जिद के बाहरस्वीडन में रह रहे एक ईराकी नागरिक सलवान मोमिका ने कुरान की प्रति जलाई थी। लगता है स्वीडन की पुलिस ने अपनी बात रखने की आज़ादी को...

  • मैक्रों से फ्रांस में ऊबाल!

    फ्रांस में लोग बुरी तरह भड़के हुए हैं और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वहां पांच दिनों से दंगे चल रहे हैं और देश में तनाव इतना ज्यादा बढ़ा है कि राष्ट्रपति को अपनी पहले से तय तीन दिन की जर्मनी की वह यात्रा टालनी पड़ी है, जो पिछले 23 वर्षों में किसी फ्रांसीसी राष्ट्रपति की जर्मनी की पहली यात्रा होती। साफ़ है फ्रांस में हालात कितने ख़राब हैं। कुछ दिन पहले तक राष्ट्रपति मैक्रों पेंशन पाने की न्यूनतम आयु 62 साल से बढ़ाकर 64 साल करने के अपने फैसले से पैदा...

  • सभी कोरियाई दो साल छोटे हो गए!

    क्या ही बढ़िया हो यदि हमारी उम्र कुछ बढ जाए – एक-दो साल भी। खुदा गवाह है कि हमारे तीन साल कोविड महामारी ने हज़म कर लिए हैं और हमें सचमुच कुछ और दिनों की जरूरत है। पर हर कोई तो दक्षिण कोरिया के लोगों की तरह किस्मत वाला हो नहीं सकता। उन्हें तो उनकी ही सरकार ने जवानी का अमृत चटा दिया है। हां, दक्षिण कोरिया की सरकार ने एक नया कानून बनाया है।उसने उम्र का हिसाब लगाने के अपने पारंपरिक तरीके को छोड़कर अंतर्राष्ट्रीय तरीका अपना लिया है। दक्षिण कोरिया के पारंपरिक - और सच पूछा जाए तो कुछ...

  • प्रिगोझिनः पुतिन का भस्मासुर?

    दुनिया में कयास है कि व्लादिमीर पुतिन की सत्ता पर पकड़ कमजोर हो रही है। काश यह सच हो जाए और जल्द से जल्द। और इसकी वजह का जिम्मेवार शख्श कौन?  नाम है येवगेनी प्रिगोझिन।इसे पुतिन ने ही बनाया। लेकिन दुनिया यह जाने हुए नहीं थी। इसको दुनिया ने 24 घंटे में जाना। लोगों में अभी भी कौतुहल है कि यह  व्यक्ति पुतिन का भस्मासुर तो साबित नहीं होगा! तो कौन है येवगेनी प्रिगोझिन? एक दुस्साहसी वह व्यक्ति जो अपने निर्माता के खिलाफ ही खड़ा हो गया - ठीक भस्मासुर की तरह। प्रिगोझिन के जन्म के समय सोवियत संघ अस्तित्व...

  • अब किताबें और लेखक भी साफ्ट टारगेट!

    ‘ईट, प्ले, लव’ –यह एक किताब का नाम है और यदि इसे आपने नहीं सुना है तो शायद आप किसी सुदूर द्वीप में अकेले रहते हैं या फिर आप उस पीढ़ी से हैं जिसने अपनी जिंदगी के सारे मसले सुलझा लिए हैं और अब दुनिया में क्या हो रहा है उससे कोई लेना-देना नहीं है। परंतु वाय और जेड पीढ़ी के कई लोगों को लगता है कि यह पुस्तक उन्हें ही संबोधित करती है।उनके लिए है।  अमरीकी लेखिका एलीजाबेथ गिल्बर्ट की यह संस्मरणात्मक किताब, तलाक के बाद की जिंदगी पर लिखी गई है। इसमें भावुकता है और मनोरंजन भी। इसमें...

  • टाईटन का फितूरी रोमांच!

    टाईटेनिक विचित्र जुनून का नाम है। 111 साल पहले समुद्र में डुबे टाइटैनिकके प्रति कौतुकता जुनून की हद तक है।इसके एक सदी से भी ज्यादा समय से पड़े अवशेषों में लोगों की इतनी रूचि, उत्सुकता और आकर्षण है कि मुझे तो समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों है? सवाल है क्या हमें जिंदगी और मौत के बीच झूलते हुए सन् 1912 में हुई एक त्रासदी के अवशेषों की झलक केवल इसलिए देखनी चाहिए क्योंकि हमें खतरों से खेलना है, क्योंकि हमें रोमांच चाहिए? इसी जुनून ने पिछले हफ्ते पांच लोगों की जान ले ली। इस दुर्घटना के बाद ‘सपनों के...

  • विश्व मीडिया में मोदी की यात्रा

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संयुक्त राज्य अमरीका की यात्रा जानदार और शानदार रही। नगाड़े बजे, लाल कालीन बिछे, तालियों की गडगडाहट के बीच नारेबाज़ी हुई और पुरानी दोस्ती को मजबूत करने की नई शुरूआत के दावे किये गएतो इस सबके बीच में कामकाज भी हुआ। यह सब चार दिनों में हुआ। यात्रा के कई यादगार क्षण थे और कई अच्छी तस्वीरे इकठ्ठा हो गईं हैं जो आगे पीआर के काम आएगी। भारत के कथित ‘स्वतंत्र’ मीडिया ने यात्रा को जबरदस्त महत्व दिया। ऐसा लग रहा था मानों मीडिया स्वयं चौंधिया गया हो।मीडिया से हमें मालूम हुआ कि न्यूयार्क में होटलों...

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