Wednesday

09-07-2025 Vol 19

एक और कूटनीतिक चुनौती

204 Views

अभी कुछ रोज पहले ही बताया गया था कि तालिबान सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई का समर्थन किया है। मगर अब अफगानिस्तान उस परियोजना का हिस्सा बन गया है, जिस पर भारत को आरंभ से ही एतराज है।

चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चीन- पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरोडोर (सीपेक) के अफगानिस्तान तक विस्तार पर बनी सहमति कूटनीतिक लिहाज से भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। और जिस समय पर यह हुआ है, उसमें ये चुनौती और भी बड़ी दिखती है।

अभी कुछ रोज पहले ही, ऑपरेशन सिंदूर ठहरने के बाद, विदेश मंत्री एस. जयशंकर की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुट्टाकी से बातचीत को भारत में एक अच्छी खबर के रूप में पेश किया गया था। बताया गया था कि अफगानिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई का समर्थन किया है।

अफगानिस्तान की नई चाल से झटका

मगर अब अफगानिस्तान उस परियोजना का हिस्सा बन गया है, जिस पर भारत को आरंभ से ही एतराज है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले वर्ष कहा था कि सीपेक में भागीदारी भारत की प्रादेशिक संप्रभुता का उल्लंघन है। सीपेक जम्मू- कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके से गुजरता है। वहां बिना भारत की सहमति के इस पर अमल किया गया है। सीपेक चीन की महत्त्वाकांक्षी परियोजना- बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा है।

सीपेक के कारण ही भारत को इस परियोजना पर आपत्ति रही है, जिसे उसने शंघाई सहयोग संगठन जैसे मंचों पर भी खुल कर जताया है। अब अफगानिस्तान के इसमें शामिल होने का अर्थ यह माना जाएगा कि तालिबान सरकार ने भारत की भावनाओं और हितों के खिलाफ आचरण किया है। जबकि सामरिक नजरिए से भारत ने हमेशा ही अफगानिस्तान को अपने लिए अहम माना है।

इसीलिए हाल के महीनों में तालिबान सरकार से तार जोड़ने की कोशिशें हुईं। ताजा घटनाक्रम का संदेश है कि उन प्रयासों का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। वैसे अफगानिस्तान के बीआरआई में शामिल होने के कुछ दूसरे दूरगामी परिणाम भी होंगे।

चीन बीआरआई का तालमेल रूस की प्रिय परियोजना- यूरेशिएन इकॉनमिक यूनियन (ईएईयू) से बनाना चाहता है। अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि उसके शामिल होने से यह काम आसान हो जाएगा। उधर बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, और मालदीव भी बीआरआई से जुड़ चुके हैं। ऐसे में पूरे दक्षिण एशिया में सिर्फ भारत और भूटान ही इससे बाहर हैं। यह अपने-आप में एक बड़ी चुनौती है।

Also Read:इस्कॉन के हुए दो फाड़

Pic Credit: ANI

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *