Wednesday

09-07-2025 Vol 19

झटका बहुत बड़ा है

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भाजपा के सत्ता में आने के बाद भारत की राजकीय सोच में आए बदलाव ने माओवादियों के खिलाफ कार्रवाइयों को अधिक निर्मम एवं धारदार बना दिया। उसका नतीजा देश के सामने है। मगर क्या यह परिणाम टिकाऊ साबित होगा?

सुरक्षा बलों की कार्रवाई में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव नम्बला केशव राव उर्फ बसवराजू की मौत इस प्रतिबंधित संगठन के लिए बहुत बड़ा झटका है। बासवराजू को संगठन की रीढ़ समझा जाता था। वैसे, हाल में माओवादियों को ऐसे झटके लगातार लगे हैं। अभी पिछले महीने ही झारखंड में एक अन्य प्रमुख माओवादी नेता प्रयाग मांझी उर्फ विवेक की ऐसी ही कार्रवाई में मौत हुई थी।

बीते जनवरी में छत्तीसगढ़ में रामचंद्र रेड्डी उर्फ चेलापति को सुरक्षा बलों ने निशाना बनाया था। उनके अलावा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2023 से शुरू हुई नक्सल विरोधी विशेष कार्रवाई में 400 से अधिक माओवादी कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं, जबकि लगभग साढ़े 13 सौ ने समर्पण किया है।

माओवाद पर निर्णायक चोट का असर

केंद्र का लक्ष्य मार्च 2026 तक माओवाद का जड़-मूल से खात्मा करना है। यह लक्ष्य पूरा हो सकेगा या नहीं, इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन यह निर्विवाद है कि राजनीतिक रूप से पहले ही हाशिये पर पहुंच चुके माओवादियों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। जहां इस विचारधारा का प्रश्न है, तो हकीकत यह है कि 1967 में अपने उदय के समय से ही खुद को मार्क्सवादी- लेनिनवादी कहने वाली ये धारा उग्रवाद और भटकाव का शिकार रही।

नतीजतन, कुछ अपवादों को छोड़ कर यह कभी भी भारत के मेहनतकश वर्ग में यह अपने अपने लिए पर्याप्त जगह नहीं बना पाई। उधर चूंकि इस धारा ने भारतीय राज्य को सशस्त्र चुनौती दी, इसलिए कथित राजकीय दमन स्वाभाविक प्रतिक्रिया रहा।

इन दोनों प्रतिकूल स्थितियों के कारण ये सियासत बिखराव का शिकार होती चली गई। इस धारा के कुछ संगठन चुनावी राजनीति का हिस्सा बन गए, जबकि सीपीआई (माओवादी) दुर्गम जंगलों में सीमित होती गई। भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद भारत की राजकीय नीति एवं सोच में आए बदलाव ने उसके खिलाफ कार्रवाइयों को अधिक निर्मम एवं धारदार बना दिया।

उसका फौरी नतीजा देश के सामने है। मगर बड़ा सवाल यह है कि क्या यह परिणाम टिकाऊ होगा? यह संभवतः इससे तय होगा कि इसे टिकाऊ बनाने के लिए सरकार किस योजना के साथ सामने आती है।

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Pic Credit: ANI

NI Editorial

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