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09-07-2025 Vol 19

परीक्षा है या प्रताड़ना का तंत्र?

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नई खबर है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए हुई सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेस टेस्ट यानी सीयूईटी यूजी की परीक्षा में अकाउंटेंसी का पेपर फिर से लिया जाएगा। यानी इसकी परीक्षा दोबारा होगी। कारण जान कर आप हैरान होंगे। कारण यह है कि अकाउंटेंसी के पेपर में बहुत से सवाल ‘आउट ऑफ सिलेबस’ थे।

परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए ने सार्वजनिक नोटिस जारी करके यह बात कही है। उसने बताया है कि चूंकि सवाल ‘आउट ऑफ सिलेबस’ थे इसलिए परीक्षा दोबारा होगी। यह तो ठीक है कि ‘आउट ऑफ सिलेबस’ सवाल होने से ज्यादातर छात्रों को कुछ समझ में नहीं आया था तो दोबारा परीक्षा होगी। लेकिन क्या इस बात की जांच होगी कि ऐसा कैसे हुआ? जिसने ऐसे प्रश्न पत्र बनाए थे क्या उसके खिलाफ कोई कार्रवाई होगी?

इससे पहले नीट की परीक्षा में आइंस्टीन के स्तर के प्रश्न पूछे गए, उसका जवाब कौन देगा? उससे पहले जेईई मेन्स में करीब एक दर्जन सवाल ऐसे थे, जो गलत थे या जिनके एक से ज्यादा उत्तर सही थे। उन सवालों को ड्रॉप किया गया और औसत मार्किंग की गई। वैसे सवाल सेट करने वालों का क्या कार्रवाई हुई? इस तरह की घटनाओं से छात्रों की जो मानसिक प्रताड़ना हुई है उसका हिसाब कौन भरेगा?

एनटीए की ओर से आयोजित सीयूईटी की परीक्षा की इस नई गड़बड़ी ने यह सोचने पर मजबूर किया है किसी भी परीक्षा में कितने तरह की गड़बड़ी हो सकती है? अब तक के इतिहास को देखते हुए परीक्षा में गड़बड़ियों की सूची बनाई जाए मोटे तौर पर उसमें ये गड़बड़ियां शामिल होंगी। एक, प्रश्न पत्र लीक होना। दो, प्रश्न पत्र गलत सेट होना। तीन, प्रश्न आउट ऑफ सिलेबस होना। चार, परीक्षा केंद्र पर प्रश्न पत्र देर से पहुंचना। पांच, परीक्षा केंद्र पर बिजली नहीं होने से परीक्षा में देरी होना। छह, ऑनलाइन परीक्षा में तकनीकी खामी से देरी होना या परीक्षा नहीं हो पाना।

सात, परीक्षा केंद्र छात्रों की रिहाइश की जगह से सैकड़ों किलोमीटर दूर देना। आठ, परीक्षा केंद्र पर जांच के नाम पर छात्रों को अपमानित करना। नौ, परीक्षा में बहुत मुश्किल सवाल सेट करना। दस, उत्तर पुस्तिका जांचने में गड़बड़ी करना। ग्यारह, अंकों का सामान्यीकरण करना। बारह, सामान्यीकरण में धांधली होना। तेरह, चुनिंदा परीक्षा केंद्रों पर नकल की व्यवस्था होना। इस तरह की कुछ और गड़बड़ियां भी हो सकती हैं लेकिन मोटे तौर पर इतनी गड़बड़ियां अलग अलग परीक्षा एजेंसियों या अलग अलग परीक्षाओं में सामने आई हैं। लगभग ये सारी गड़बड़ियां एनटीए की ओर से आयोजित होने वाली परीक्षाओं में आ चुकी हैं।

सोचें, जो गड़बड़ियां देश भर के परीक्षा बोर्ड या परीक्षा कराने वाली संस्थाओं ने किया है वो सारी गलतियां इस एक एजेंसी ने अपने अस्तित्व के महज आठ साल में कर दी हैं। एनटीए का गठन नवंबर 2017 में किया गया था और इसका मकसद था कि सारी परीक्षाएं एक एजेंसी कराएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘एक देश, एक कुछ भी’ के सिद्धांत पर काम कर रहे हैं। सो, ‘एक देश, एक परीक्षा एजेंसी’ की सोच में एनटीए का गठन हुआ। इस संस्था को सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं को जिम्मेदारी दी गई।

तमाम दाखिला परीक्षाओं के साथ साथ नियुक्तियों की परीक्षाओं का भी जिम्मा इसको मिला था। हालांकि पिछले साल मेडिकल में दाखिले के लिए होने वाली नीट यूजी की परीक्षा में पेपर लीक के बाद बहुत विवाद हुआ तो एनटीए के कामकाज का विश्लेषण करने के लिए एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी कि रिपोर्ट के आधार पर पिछले साल दिसंबर में संसद को बताया गया कि 2025 से एनटीए सिर्फ दाखिले की परीक्षाएं आयोजित करेगा। यानी भर्तियों की परीक्षा के आयोजन से उसे अलग कर दिया गया।

परंतु दाखिले की परीक्षाओं का आयोजन भी उससे ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है। वास्तविकता यह है कि प्रतियोगिता परीक्षाओं का आयोजन छात्रों की प्रताड़ना का आयोजन बन गया है। छात्रों को सहज रूप से प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने की व्यवस्था करने की बजाय एजेंसी हर वह काम करती है, जिससे छात्रों की मुश्किल बढ़े। दाखिला परीक्षा देने वाले ज्यादातर छात्र किशोर उम्र के होते हैं। उनके दिमाग पर एनटीए की गड़बड़ियों का इतिहास एक बड़ा बोझ डाल देता है।

इसी साल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले की परीक्षा यानी सीयूईटी यूजी में जितनी गड़बड़ियां हुई हैं उनके आधार पर इस एजेंसी को बंद कर दिया जाना चाहिए। एक गलती ऊपर बताई गई कि आउट ऑफ सिलेबस सवाल आ गए। दूसरी गलती यह है कि नोएडा के छात्रों का परीक्षा केंद्र उत्तराखंड के देहरादून या दूसरे शहरों में दिया गया। परीक्षा केंद्र की यह गड़बड़ी और भी जगहों पर हुई है। तीसरी गलती यह है कि तकनीकी गड़बड़ी से या बिजली नहीं होने से राजधानी दिल्ली के कई परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा में देरी हुई या छात्रों को परेशानी हुई।

एनटीए की गलती से दोबारा होगी परीक्षा

इससे पहले ऊपर बताई गई गड़बड़ियों की सूची की हर गड़बड़ी एनटीए कर चुका है। इस साल 2025 के जेईई मेन्स परीक्षा के दूसरे सेशन में एजेंसी ने कमाल किया। छात्रों को जितने अंक मिले उसके मुताबिक उनकी परसेंटाइल नहीं थी। कम अंक पाने वालों की ज्यादा और ज्यादा अंक पाने वालों की कम परसेंटाइल बताई गई। ध्यान रहे परसेंटाइल के आधार पर ही रैंकिंग बनती है। इसका नतीजा यह हुआ है कि अच्छा अंक लाने वाले कई छात्र अच्छे संस्थानों के कटऑफ को पार नहीं कर पाए।

इससे पहले 2024 में मेडिकल में दाखिले के लिए हुए नीट यूजी की परीक्षा में तो गड़बड़ियों के रिकॉर्ड बने थे। बिहार और झारखंड में पेपर लीक हुआ था तो गुजरात के गोधरा में एक खास परीक्षा केंद्र देश भर के छात्रों ने चुना था, जहां उनको नकल कराने का खास बंदोबस्त किए जाने की खबर आई थी। हरियाणा के एक परीक्षा केंद्र पर ज्यादातर छात्रों को एक जैसे अंक आ गए। सौ फीसदी अंक हासिल करने वाले छात्रों की औसत संख्या दो से बढ़ कर अचानक 67 हो गई। 720 में 720 अंक हासिल करने वाले इन 67 छात्रों में से छह छात्रों ने हरियाणा के झज्झर में एक सेंटर पर परीक्षा दी थी।

साढ़े 15 सौ से ज्यादा छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। पेपर लीक से 155 छात्रों के सीधे तौर पर लाभ पाने की बात तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कही थी। पिछले साल की गड़बड़ियों का बहुत हल्ला मचा तो एनटीए ने उसका बदला इस साल छात्रों से लिया। इस साल नीट यूजी की परीक्षा में फिजिक्स के पेपर में ऐसे सवाल पूछे कि छात्र परीक्षा केंद्र पर रो पड़े। कहा गया कि आइंस्टीन भी परीक्षा में बैठते तो फिजिक्स के सवाल हल करना उनके लिए भी मुश्किल होता। तीन तीन पैराग्राफ के प्रश्न पूछे गए, जिन्हें हल करने के लिए छात्रों के पास महज 30 सेकेंड का समय था।

ऐसा नहीं है कि गड़बड़ी सिर्फ मेडिकल दाखिले की परीक्षा में या केंद्रीय विश्वविद्यालयों की दाखिला परीक्षा में हुई है। इंजीनियरिंग में दाखिले की परीक्षा में भी लगभग हर साल गड़बड़ी होती है। इस साल जेईई मेन्स की परीक्षा के दोनों सेशन में कई सवाल गलत थे या कई सवालों के एक से ज्यादा जवाब सही थे। इसकी शिकायत किए जाने पर एनटीए ने ‘आंसर की’ जारी होने के बाद ‘रिवाइज्ड आंसर की’ जारी की। एक सवाल ड्रॉप किया गया और कुल 11 सवालों में बदलाव हुए। इस तरह इन तमाम सवालों पर औसत मार्किंग का रास्ता खुल गया।

उसमें प्रतिभाशाली छात्रों के साथ अन्याय होता है। पिछले साल जेईई मेन्स की परीक्षा के पहले सेशन में यानी जनवरी 2024 में हुई परीक्षा 10 शिफ्ट में हुई थी। इसमें पहले दो दिन में चार शिफ्ट हुए, जिसमें बहुत बड़ी संख्या में छात्र शामिल हुए। बाकी छह शिफ्ट में छात्रों की संख्या कम रही। इस वजह से छात्रों के परसेंटाइल में बड़ा फर्क आया। छात्रों ने आरटीआई से डाटा निकाल कर दिया पर एनटीए ने सुनवाई नहीं की। पिछले साल दूसरे सेशन में यानी अप्रैल के सेशन में कम से कम 10 जगह नकल कराए जाने की खबरें आईं।

नीट यूजी 2020 की परीक्षा में एनटीए ने जो नतीजा जारी किया उसमें मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा की रहने वाली विधि सूर्यवंशी को छह अंक आए थे। बाद में उसकी कॉपी दोबारा जांची गई तो पता चला कि उसे 590 अंक आए यानी वह टॉपर्स में थी। छह अंक मिलने का सदमा इतना गहरा था कि किशोर उम्र की उस लड़की ने खुदकुशी कर ली। इस संस्था को उसी समय बंद कर दिया जाना चाहिए था। लेकिन उसके बाद भी इसे छात्रों को प्रताड़ित करने की खुली छूट मिली हुई है।

ऐसी एक मिसाल नहीं है कि इस एजेंसी को सारी परीक्षाएं कराने की जिम्मेदारी देने से परीक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है या छात्रों को सुविधा हुई है। उलटे कहा जा रहा है कि यह संस्था व्यक्तियों से प्रश्न पत्र सेट कराने की बजाय मशीन का ज्यादा इस्तेमाल कर रही है, जिससे हर परीक्षा में कुछ न कुछ गड़बड़ी आ रही है। संस्था के सारे काम आउटसोर्स किए गए हैं। इसका अपना कोई कैडर नहीं है और न किसी की कोई जिम्मेदारी है। तभी हर परीक्षा के साथ एक नई गड़बड़ी सामने आ जा रही है।

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Pic Credit: ANI

अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

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