Thursday

22-05-2025 Vol 19

भारत को सतर्क रहने की जरुरत

219 Views

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का भारत ने बदला ले लिया। पाकिस्तान की सरजमीं पर स्थित आतंकवादी संगठनों पर भारत ने एयर स्ट्राइक किया और आतंकवाद के ढांचे को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। इससे पहले भारत ने पहलगाम हमले के बाद पूरा संयम दिखाया और पाकिस्तान को मौका दिया कि वह आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करे। अमेरिका ने भी पाकिस्तान को सुझाव दिया था कि वह भारत के साथ मिल कर आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे और पहलगाम के दोषियों को सजा दिलाने में मदद करे।

लेकिन जब पाकिस्तान ने कुछ नहीं किया और उलटे उसके मंत्रियों ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान तीन दशक से आतंकवाद को पाल पोस रहा है तो भारत ने एयर स्ट्राइक करके आतंकवाद के ढांचे को नष्ट किया। लेकिन भारत की इस सैन्य कार्रवाई को पाकिस्तान ‘एक्ट ऑफ वॉर’ यानी युद्ध की कार्रवाई बता रहा है और उसके नेता बदला लेने का हुंकारा मार रहे हैं।

भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान सीमा पर खास कर कुपवाड़ा और राजौरी-पुंछ सेक्टर में लगातार गोलीबारी कर रहा है। युद्धविराम का उल्लंघन करके हो रही फायरिंग में कम से कम 15 बेकसूर नागरिकों के मारे जाने की खबर है, जिनमें चार मासूम बच्चे भी हैं। भारत सरकार सीमावर्ती जिलों को खाली करा रही है और नागरिकों को बंकर में सुरक्षित किया जा रहा है। लेकिन यह तात्कालिक समस्या है। भारत अपने उपाय करके नागरिकों को सुरक्षित कर लेगा और भारतीय सेना पाकिस्तान का मुंहतोड़ जवाब भी देगी।

लेकिन असली समस्या पाकिस्तान की नीयत और उसे मिलने वाले अंतरराष्ट्रीय समर्थन को लेकर है। पाकिस्तान के फौजी कमांडर बहुत आक्रामक हैं। कुछ दिन पहले ही सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने हिंदू और मुस्लिम को लिए दो राष्ट्र के सिद्धांत की बात कही थी। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी आक्रामक तेवर दिखा रहे हैं क्योंकि उनकी सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। भारत की कार्रवाई के बाद उन्होंने बैठक बुलाई तो कई वरिष्ठ मंत्री उसमें नहीं पहुंचे। दूसरी ओर पाकिस्तान के लोग सड़कों पर उतरे हैं और भारत विरोधी नारे लगा रहे हैं।

भारत की कार्रवाई और रणनीति

अपनी राजनीतिक सत्ता सुरक्षित रखने और पाकिस्तानी आवाम का गुस्सा ठंडा करने के लिए पाकिस्तान कोई बड़ा कदम उठा सकता है। इसमें संदेह नहीं है कि भारत के खिलाफ उठाया गया उसका कोई भी कदम उसके लिए आत्मघाती हो सकता है। फिर भी पाकिस्तान के हुक्मरान, फौजी कमांडर और आईएसआई को इसकी चिंता नहीं रहती है।

भारत के सावधान रहने की जरुरत इसलिए भी है क्योंकि चीन और तुर्की ने खुल कर पाकिस्तान का समर्थन किया है। इसके बरक्स भारत को सिर्फ इजराइल का खुला समर्थन मिला है। उसके अलावा किसी देश ने भारत के कदम की आलोचना नहीं की है तो उसे जायज भी नहीं ठहराया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो अपनी पहली प्रतिक्रिया में भारत की सैन्य कार्रवाई को ‘शर्मनाक’ कहा। सोचें, इसमें क्या शर्मनाक है? भारत में घुस कर पाकिस्तान के आतंकवादियों ने 26 बेकसूर लोगों की हत्या की थी और जवाबी कार्रवाई में भारत ने आतंकवादियों के ठिकाने नष्ट किए।

इसमें कुछ भी शर्मनाक नहीं है। लेकिन ट्रंप को यह ‘शर्मनाक’ लगता है, जिनका देश अमेरिका अपनी सरजमीं छोड़ कर सारी दुनिया में जंग लड़ रहा है! इतना ही नहीं ट्रंप ने एक ही सांस में भारत और पाकिस्तान दोनों को अपना दोस्त और साझेदार मुल्क बताया। भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्हें अपना दोस्त मानते हैं वे भी मदद करने की बजाय उपदेश देने की मुद्रा में हैं और सलाह दे रहे हैं कि जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी तनाव खत्म करें।

दूसरी ओर चीन और तुर्की ने खुल कर भारत की आलोचना की और पाकिस्तान का समर्थन किया। चीन के साथ भारत का पुराना विवाद चल रहा है। 2020 में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प और भारत की जमीन कब्जा करने का मामला अभी पूरी तरह से सुलझा नहीं है। पैंगोंग झील और देपसांग के कुछ इलाकों में भारत और चीन के बीच सैनिक गश्त को लेकर कुछ सहमति बनी है लेकिन ज्यादातर मामले अनसुलझे हैं। लद्दाख के अलावा डोकलाम में चीन ने भारत की जमीन कब्जा की हुई है। साथ ही वह पूर्वोत्तर के बड़े इलाके पर नजर गड़ाए हुए है।

भारत की सीमा पर चीन और पाकिस्तान का साझा हित है क्योंकि दोनों भारत की जमीन कब्जा करके बैठे हैं और कुछ अन्य हिस्सों पर कब्जा करने की नीयत रखते हैं। चीन ने पाकिस्तान को अपना ऑल वेदर फ्रेंड यानी सदाबहार दोस्त कहा है। बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव की वजह से चीन बहुत नजदीक से पाकिस्तान के साथ जुड़ा हुआ है। उसका बड़ा आर्थिक हित है, जिसकी वजह से वह पाकिस्तान की मदद करेगा। चीन को इस बात की चिंता भी सता रही है कि कोरोना के बाद से कंपनियां उसके यहां से बोरिया बिस्तर समेट रही थीं और अब अमेरिका की ओर से लगाए गए जैसे को तैसा टैरिफ की वजह से ज्यादा कंपनियां देश छोड़ेंगे।

इनमें से कुछ कंपनियां भारत आ सकती हैं। लेकिन अगर भारत की सीमाओं पर अशांति बनी रहती है, युद्ध की आशंका मंडराती रहती है तो कंपनियां भारत का रुख करने का बारे में सौ बार सोचेंगी। इसलिए संभव है कि चीन पाकिस्तान को मदद देकर उकसाता रहे और भारत विरोधी गतिविधियों के लिए प्रेरित करे। इसलिए भारत को चीन और पाकिस्तान, दो परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसियों के इस गठजोड़ से सावधान रहने की जरुरत है।

उधर तुर्की ने भी पाकिस्तान को समर्थन दिया है और अपना जलपोत उसकी मदद के लिए भेजा है। ध्यान रहे तुर्की से भारत की कोई दुश्मनी नहीं है, बल्कि फरवरी 2023 में तुर्की में भीषण भूकंप आने पर भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के नाम से राहत और बचाव अभियान चलाया था। भारत ने बड़ी मदद भेजी थी। लेकिन चूंकि तुर्की को इस्लामिक देशों का सिरमौर बनना है इसलिए वह भारत के खिलाफ पाकिस्तान की मदद कर रहा है। गौरतलब है कि पश्चिम एशिया के इस्लामिक देशों में तुर्की एक ऐसा देश है, जिसके पास तेल नहीं है। उसकी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है।

वह पश्चिम एशिया के बाकी देशों के मुकाबले कमजोर आर्थिकी वाला देश है तो इधर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कंगाली वाली ही है। दोनों देश मिल कर अपनी ताकत बना सकते हैं। इसलिए तुर्की ने पाकिस्तान की मदद की है। यह भी ध्यान रखने की बात है कि तुर्की नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यानी नाटो का सदस्य देश है। इस नाते उसका महत्व ज्यादा है।

सो, पाकिस्तान के साथ चीन और तुर्की का गठजोड़ भारत के लिए चिंता का कारण है। चीन हमेशा पाकिस्तान को सैन्य व कूटनीतिक मदद देता रहता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन के वीटो की वजह से पाकिस्तान के आतंकवादियों को राहत मिलती रहती है। उन पर प्रतिबंध नहीं लग पाता है। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद चीन और पाकिस्तान का वहां दखल बढ़ा है। चीन की खुफिया एजेंसी आईएसआई के बारे में खबर है कि वह बांग्लादेश की सरजमीं से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहा है।

इसमें संदेह नहीं है कि भारत की सेना बहुत मजबूत है, अर्थव्यवस्था भी ठीक ठाक स्थिति में है और विश्व समुदाय में भारत को लेकर अच्छी धारणा है। परंतु चुनौतियां भी चौतरफा हैं। इसलिए भारत को अपनी सामरिक व आर्थिक मजबूती के साथ साथ कूटनीतिक ताकत बढ़ाने की जरुरत है। दुनिया का कौन देश सदाबहार दोस्त हो सकता है और उसके साथ कैसे संबंध भारत को पड़ोसी देशों की चुनौती से निपटने में मददगार हो सकते हैं, उस पर भारत को काम करना चाहिए।

Also read: भारत को सतर्क रहने की जरुरत

Pic Credit: ANI

अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *