त्रासदियां भुले हुए को, बिछुड़ों को मिलाती हैं। हाल की त्रासद घटना ने मुझे अपनी उस…
Category: श्रुति व्यास कॉलम
त्रासद है यह नया भारत
इतिहास रचने वालों को अपने खाते में वह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करनी होती है जो न…
कोविड के बाद की खौफभरी दुनिया
कोविड के बाद की दुनिया कैसी होगी? जिस तरह की नई वैश्विक व्यवस्था सामने आएगी, उसमें…
कब तक दामाद बना रहेगा कश्मीर !
कश्मीर क्या है, यह समझ पाना आसान नहीं है और कश्मीर की समस्या कैसे सुलझाए यह…
युवा नेताः विचार में सूखे, अवसर के भूखे!
सन् 2020 का वक्त विचार, विचारधारा और आदर्शो का नहीं है। न युवा राजनीति, यूथ नेता…
यह कैसा नया वक्त, नई मौत!
तीन जून, चिलचिलाती गर्मी! जदीद कब्रिस्तान एहले इस्लाम में मंजूर खान अपनी भाभी का शव लेने…
बैचेन बनाने वाली चहल-पहल
हल्ला-गुल्ला, आवाजे फिर सुनाई देने लगी है। घर के बाहर चहल-पहल शुरू है। सामान बेचने वालों…
हेंकड़ी व दंभ की सत्ता का एक और साल
कहते है संकट से चीजे साफ होती है, लोगों का पता पड़ता है और स्पष्टता आती…
न्यू इंडिया में अंधेरे वाली सुबह!
मानो सब कुछ खाक! सुनीता को बूझ नहीं रहा कि वह कहां है, चारों ओर क्या…
आशा, उम्मीद पर टिका है सब
उम्मीद। एक बहुत ही खूबसूरत शब्द, एक विचार, एक स्वरूप। यह शब्द वह उत्प्रेरित, गतिवानऊर्जा में…
ठहरे वक्त में छोटी बातों का जीवन संगीत
पिछले 28 दिनों में हमारे घर में अमेरिकी चैनल‘सीएनएन’ के राग से सुबह शुरू होती है!…
दिल्ली का बनना जंग-ए-मैदान
नई दिल्ली। लाल अक्षरों में लिखी गाली और नारा बतला दे रहे थे कि आबोहवा में…
वाह! जिंदगी को क्या खूब परदे पर उतारा
फिल्म पैरासाइट खत्म होने के कोई घंटे पहले का दृश्य है- एक स्कूल का जिम, जो…
आप के दफ्तर में जब बनी बैचेनी!
अरविंद केजरीवाल और उनके साथी ग्यारह फरवरी 2020 का दिन शायद ही कभी भूल पाएं। और…
दिल्ली की बात में अब सस्पेंस ज्यादा!
दिल्ली की बात में अब सस्पेंस ज्यादा! “हिंदू मुसलिम यदि और हो गया तो भाजपा चुनाव…
राजनीति में चौपट हुई पुलिस
हाल में दिल्ली पुलिस ने हमारे आरडब्लूए (रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) को एक एडवायजरी भेजी। इसमें लोगों…
क्या हो गया बॉलीवुड को?
बात गोल्डन ग्लोब अवार्ड समारोह की है। हास्य अभिनेता और निर्माता-निर्देशक रिकी गार्वेस ने फिल्मी जमात…
बुरे से कुरूप होते जाने की कहानी!
भारत आखिर किस दिशा में जा रहा है? आने वाले अगले दशक में भारत की क्या…
तब-अब केजरीवाल और दिल्ली
अरविंद केजरीवाल पहली बार दिसंबर 2013 में मुख्यमंत्री बने थे। सिर्फ 45 दिन पद पर रहे।…
क्या फर्क है मोदी और कांग्रेस में?
राजनीति कला है, संभावनाओं का खेल है मगर हाल में उसका जैसा ह्रास हुआ है, क्षुद्र…
अमेरिका में भी है अंध, रूढ़ समाज!
संयोग से ही किताब मिली। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी ख्याति और कामयाबी हासिल करने व…
जेएनयू को ऐसे खत्म करना महापाप!
दो साल पहले की बात है। मैंने घर के लिए उबर ली थी। पूरे रास्ते ड्राइवर…
दुनिया में उथल-पुथल, बेचैनी और भारत
दुनिया उथल-पुथल, अव्यवस्था के गड़बड़झाले में है। एक तरफ लोकलुभावन राजनीति से दक्षिणपंथी नेताओं का दबदबा…
विकल्प हमेशा हैं
सबसे पहले तो मैं ईमानदारी बरतूंगी। न तो मैंने हरियाणा विधानसभा चुनाव कवर किया था, न…
नाजुक वक्त और कश्मीर के सवाल
इकतीस अक्तूबर को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे अस्सी दिन पूरे हो जाएंगे। इन अस्सी दिनों…
जाने जरा शांति नोबेल प्राप्त अबी अहमद को!
क्या अबी अहमद और इथियोपिया को आपने जाना? ये दो नाम इस वर्ष शांति के नोबेल…
दिवाली तब, अब और वह मजा!
हवा में ठंडक-सी होने लगी है। दिन छोटे हो रहे हैं। दोपहर भी बर्दाश्त हो जाती…
