• बर्लुस्कोनीः ट्रंप का इतावली पितामह!

    इटली राष्ट्रीय शोक में है। दूसरे महायुद्ध बाद सर्वाधिक लंबे समय प्रधानमंत्री रहे बर्लुस्कोनी की मृत्यु के गम में। वे 86 वर्ष के थे। एक मायने में बर्लुस्कोनी पश्चिमी सभ्यता के पहले डोनाल्ड ट्रंप। ट्रंप और बारिस जानसन उनके मानों वारिस, छोटे संस्करण! इटली की मौजूदा प्रधानमंत्री उनकी मुरीद रही है। वे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जिससे आधे इतावली उन्हे श्रद्धा से देखाते है वही विरोधी नफरत करते हुए। उनकी लीडरशीप मजबूत और निर्णायक व्यक्तित्व वाली थी। वे अरबपति थे। पैसे की ताकत से राजनीति पर कब्जा बनाया। उनका सबसे बडा मीडिया हाऊस तो एक फुटबाल क्लब के...

  • ब्रिटेन में भी ट्रंप जैसा बोरिस का हल्ला

    अंतर्राष्ट्रीय राजनीति इन दिनों जिस मोड़ पर है, वह जितनी दिलचस्प है उतनी ही चिंताजनक भी। एक ओर डोनाल्ड ट्रंप है, जो मुकदमों का सामना करते हुए भी रिपब्लिकन पार्टी और उसके मतदाताओं के दिलों पर राज कर रहे हैं। उनके दुबारा व्हाईट हाउस पहुंचने की चर्चा आम है। इसका अमेरिकी लोकतंत्र और दुनिया में उसके दबदबे पर असर पड़ेगा। दूसरी ओर इंग्लैंड के ट्रंप हैं बोरिस जॉनसन। वे भी भीड़ में जोश और उन्हे बहकाने की तरकीबें जानते हैं।उन्होने9 जून की शाम संसद से इस्तीफा दिया।लेकिन हमलावर और प्रतिद्वंद्वियों पर आरोप लगाते हुए। बारिस भी ट्रंप की तरह बेकसूर...

  • ट्रंप की डींगें और 420 साल की सजा वाले आरोप!

    डोनाल्ड ट्रंप अब अमेरिका के सभी पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों में सबसे अलग बन गए हैं। वे पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति हो गए है जिन पर फ़ेडरल कानूनों को तोड़ने के आरोप लगे हैं। संघीय सरकार के वे कानून हैं जिनकी रक्षा करने की शपथ उन्होंने करीब छह साल पहले ली थी। अब वे खुद राष्ट्रीय सुरक्षा, गोपनीयता, जासूसी संबंधी कानूनों के उल्लंघनकर्ता के आरोपी बने है। डोनाल्ड ट्रंप पर जो आरोप लगाए गए हैं वे काफी गंभीर हैं। शुक्रवार को सार्वजनिक हुए ये आरोप अजीबोगरीब और शर्मनाक हैं। उनके अनुसार गोपनीय सरकारी दस्तावेज ट्रंप के मकान के बाथरूम में पाए गए;...

  • माइक पेंस: दरबारी बना प्रतिस्पर्धी!

    अमेरिका में अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी में मुकाबला मजेदारबन रहा है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके अपने खेमें में से चुनौती मिल रही है। माइक पेंस ने अपने पुराने बॉस डोनाल्ड ट्रंप से मुकाबला करना तय किया है। उम्मीदवारों की पहले से ही काफी लम्बी सूची में उनका नाम भी जुड़ गया है। बताया जा रहा है कि माइक पेंस पहले ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जो उन्हें उपराष्ट्रपति बनवाने वाले अपने राष्ट्रपति के खिलाफ मैदान में उतरे है। पेंस एक सीधे-साधे उपराष्ट्रपति और अपने पूर्व बॉस डोनाल्ड ट्रंप के वफादार दरबारी थे।ट्रंप के कार्यकाल में एक के...

  • यूक्रेन का शुरू जवाबी हमला!

    यूक्रेन-रूस युद्ध में अहम मोड़ आया है। सोमवार पांच जून को यूक्रेन हमलावर हुआ। यूक्रेन ने जवाबी हमला शुरू किया। वैसे इस युद्ध को लेकर दुनिया ने, हम सबमें से अधिकांश ने तय कर लिया है कि वह किसके साथ है (हालाँकि भारत अब तक तय नहीं कर पाया है!)।को युद्ध के बारे में जानने-समझने वालों में एक वर्ग के लिए पांच जून जोश का दिन था। नहीं, मैं मजाक नहीं कर रही हूँ। यह खबर फ़्लैश होते ही कि यूक्रेन का जवाबी हमला शुरू हुआ है, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में मानों रोमांच की एक लहर सी दौड़ गई। रूस-यूक्रेन युद्ध...

  • मौसम डरावना, धान संकट में!

    मई में खूब पानी बरसा, आंधी चली और बिजली चमकी। मौसम जितना सुहाना था उतना ही मनमौजी भी। गर्मी का मौसम बरसात के मानिंद लग रहा था और दिल्ली, लन्दन जैसा। श्रीनगर में मई में अक्टूबर का आभास हो रहा था। आकाश में बादल थे, आसमान का रंग धूसर था और लोग फिरन, पश्मीना और गर्म पानी की बोतलों का इस्तेमाल कर रहे थे। ये बेमौसम का सुहाना मौसम, दरअसल, डरावना है और हमें बताता है कि ग्लोबल वार्मिंग कितना गंभीर रूप अख्तियार कर चुकी है। ऐसा बताया जा रहा है कि जून में जलाने वाली गर्मी पड़ेगी। इस बेमौसमी...

  • तियानमेन नरसंहार की जिंदा है याद!

    बीजिंग के तियानमेन चौक के नरसंहार को 34 साल हो गए हैं। चार जून 1989 को हुए उस बेरहम दमन ने पूरी दुनिया को स्तंभित कर दिया था। तब का एक फोटो, जिसमें अपने हाथों में दो शॉपिंग बैग लिए एक अकेला निहत्था आदमी भीमकाय टैंकों की लम्बी लाइन के सामने डटा हुआ है, सत्ता के प्रतिरोध का सिम्बल बना था। तबसे ही तियानमेन नरसंहार चीन में संवेदनशील और विवादस्पद मुद्दा है। चीन ने इस घटना को अपने देश के लोगों की यादों से गायब करने के भरपूर प्रयास किये हैं। नंबर 64 (जैसा कि इस घटना को कहा जाता...

  • उत्तर कोरिया जब चाहे बढ़ा देगा घबराहट!

    अभी एक दिन पहले, चीखते सायरनों की आवाज़ से दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल के रहवासियों की देर रात नींद टूटी। लोगों से कहा जा रहा था कि वे सुरक्षित जगहों पर चले जाएं। अफरातफरी और अराजकता का माहौल बन गया। सरकार ने यह चेतावनी इसलिए जारी की थी क्योंकि उत्तर कोरिया में सेटेलाइट छोड़ने की तैयारी की भनक लगी थी। फिर पता चला कि उसकी कोशिश असफल हुई है। इसके बाद चेतावनी वापस ले ली गई और लोगों से कहा गया कि वे अपने रोज़मर्रा के काम शुरू कर सकते हैं। परन्तु इसके बाद भी लोगों में घबड़ाहट कम...

  • रूसियों में पहली बार, अब जंग का खौफ!

    रूसियों को पहली बार, अब अहसास हो रहा होगा कि वे एक जंग के अधबीच हैं। यूक्रेन-रूस युद्ध शुरू होने के डेढ़ साल बाद, मंगलवार को पहली बार मास्को पर ड्रोन हमला हुआ।फिर दूसरी जगह, बुधवार को एक रिफाइनरी पर ड्रोन हमले की खबर। स्वभाविक जो रुसियों में अब भय और चिंता है। गार्डियन में छपी एक रिपोर्ट मास्को के एक रहवासी के हवाले से कहती है, “दनादन विस्फोटों की आवाजें सुनायी पड़ रही थीं। ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ था।” अब तक रूस और विशेषकर मास्को के रहवासियों को लग ही नहीं रहा था कि उनका देश एक...

  • ‘युद्ध अपराधी’ असद की अरब लीग में वापसी!

    करीब बारह साल पहले, सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद से दुनिया ने किनारा कर लिया था। अपने देश के नागरिकों को कुचलने के लिए उन्हें जम कर लताड़ा गया। सीरिया पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगे। उनकी दमनकारी नीतियों के चलते सीरिया में बर्बर गृहयुद्ध हुआ। बशर अल-असद ने सत्ता में बने रहने के लिए रासायनिक बमों, वैगनर समूह के भाड़े के सैनिकों और ईरान-समर्थित निजी सेनाओं का जम कर उपयोग किया। सीरिया के हजारों नागरिक उनकी बेरहमी का शिकार होकर अपनी जान से गए। सीरिया की आबादी के करीब आधे अर्थात 1.3 करोड़ लोगों को अपना घरबार छोड़ना पड़ा। ऐतिहासिक इमारतें...

  • अर्दोआन की जीत, पश्चिम में मायूसी!

    तुर्की में मुकाबला आशा और अपरिहार्यता के बीच था। और आखिर में लोगों ने अपनी मजूबरी, अपरिहार्यता राष्ट्रपति अर्दोआन को वापिस जीताया। पश्चिमी देशों का नेतृत्व मन ही मन उम्मीद लगाये बैठा था कि राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन का 20 साल का मनमानीपूर्ण राज ख़त्म हो जायेगा। उदारवादियों में से जो प्रजातंत्र के हामी हैं, उन्हें भी उम्मीद थी कि तुर्की को अर्दोआन की तानाशाही से मुक्ति मिलेगी। परन्तु उम्मीदें तो उम्मीदें होती हैं। वे पूरी हो भी सकतीं हैं और नहीं भी। और इस बार वे फिर पूरी नहीं हुईं। गत 28 मई को तुर्की के राष्ट्रपति चुनाव के...

  • किसिंजर तो केवल एक!

    हेनरी किसिंजर 100 साल के हुए। निसंदेह उनके लिए यह जश्न का मौका है। इसलिए नहीं क्योंकि इस धरती पर वे एक सदी गुज़ार चुके हैं बल्कि इसलिए क्योंकि उनकी ज़िंदगी से कोई भी रश्क, ईर्ष्या कर सकता है। वे एक यहूदी हैं, जिसे नाज़ी जर्मनी से भाग कर अमरीका में पनाह लेनी पड़ी थी।लेकिन आगे चलकर वे दुनिया के वे नेता, कूटनीतिज्ञ बने जिनके कारण चीन का अछूतपना खत्म हुआ। किसिंजर-निक्सन के ही हाथ रखने से कम्युनिस्ट देश दुनिया की फैक्ट्री बना। साम्यवाद लाल पूंजीवाद में बदला। किसिंजर ने अतीत को देखने की नयी दृष्टि दी और एक नए...

  • इमरान बिना पार्टी के अकेले न रह जाएं?

    पाकिस्तान की सियासी स्क्रीप्ट से इमरान खान का रोल आउट हो सकता है। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से इस्तीफों की झड़ी लग गई है। पार्टी के बड़े नेताओं में से एक और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने पार्टी छोड़ दी है। ट्विटर पर उन्होंने कहा कि वे राजनीति से ब्रेक ले रहे हैं। अब वे इमरान खान के साथ नहीं हैं। इमरान का साथ छोड़ने वाले फवाद दूसरे पूर्व फ़ेडरल मंत्री हैं। इसके पहले मंगलवार (23 मई) को पूर्व मानवाधिकार मंत्री शिरीन मज़ारी ने दो बार गिरफ्तार होने के बाद ‘स्वास्थ्य कारणों’ से राजनीति को अलविदा किया था।...

  • ट्रंप को बड़ी चुनावी चुनौती!

    राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनना अब डोनाल्ड ट्रंप के लिए आसान नहीं होगा। फ्लोरिडा के दक्षिणपंथी गवर्नर रोन डेसांटिस उनके खिलाफ मैदान में उतर आए है।उन्होने पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के अपने अभियान की शुरुआत एकदम नए, मॉडर्न अंदाज़ में की है। वे ट्विटर के अरबपति मालिक एलन मस्क के साथ ट्विटर स्पेसेस पर लाइव हुए। एलन मस्क ने कहा कि चुनाव अभियान की यह शुरूआत अपनी तरह की एकदम अनोखी है। ट्रंप में राह में केवल डेसांटिस ही रोड़ा नहीं है। भले ही जन सर्वेक्षणों में ट्रंप अपने प्रतिद्वंदियों से 30 पॉइंट आगे हों परन्तु...

  • न जेलेंस्की-पुतिन थकेंगे, न युद्ध खत्म होगा!

    यूक्रेन-रूस में चल रहे युद्ध का अंत दूर-दूर तक दिखलाई नहीं दे रहा है। रूस का दावा है कि उसने बखमुत शहर पर कब्ज़ा कर लिया है परन्तु वह उसी क्षेत्र में और सैनिक भेज रहा है। इसके उलट यूक्रेन कह रहा है कि इस पूर्वी शहर पर कब्ज़े के लिए एक साल से जारी भीषण युद्ध में “दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचा है”।ऐसा लगता है कि न तो कोई जीत रहा है और ना ही कोई हार रहा है। इसलिए युद्ध चलता जा रहा है। परन्तु दोनों पक्ष कूटनीति की बिसात पर अपनी-अपनी चालें चल रहे हैं। यूक्रेन के...

  • श्रीनगर में जी-20 की बैठक

    श्रीनगर से श्रुति व्यास: श्रीनगर में आज की मीटिंग शुरू हुई। जम्मू-कश्मीर और श्रीनगर में आज जी-20 देशों की टूरिज्म वर्किंग ग्रुपकी वैश्विक बैठक शुरू हुई। कश्मीर में इस तरह की बैठक पहले कभी नहीं हुई। डल लेक के किनारे शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में 22 मई से 24 मई की तीन दिनों की बैठक में चीन सहित 5 देश हिस्सा नहीं ले रहे हैं। चीन के अलावा सऊदी अरब, तुर्किये, इंडोनेशिया और मिस्र इस बैठक में शामिल नही हुए। बहरहाल, सोमवार की सुबह श्रीनगर पहुंचे अन्य विदेशी प्रतिनिधियों का हवाईअड्डे पर पारंपरिक वेशभूषा में कश्मीरी युवतियों ने स्वागत किया। जी-20...

  • जी-7 के दिखे जलवे, किशिदा की वाह!

    यूक्रेन-रूस युद्ध ने सात देशों के समूह जी-7 को नया जीवन और नए आयाम दिए है। पिछले कुछ वर्षों में भू-राजनैतिक परिवर्तनों और नए साझा खतरों जैसे क्लाइमेट चेंज और आतंकवाद के उभरने से जी-20, जिसके सदस्यों में चीन और भारत सहित कई विकाशील देश शामिल हैं, जी-7 से ज्यादा महत्वपूर्ण बन गया था। दुनिया के सबसे बड़े और सबसे धनी प्रजातान्त्रिक देशों के जमावड़े जी-7 की पूछ-परख कुछ कम हो गई थी। वह पुराना और आउट ऑफ़ डेट लगने लगा था। परन्तु इस साल जी-7ने अपने पुराने जलवे दिखाए। जी-7 का गठन सन 1970 के दशक के पहले ‘ऑयल...

  • तैयार रहे, तापमान तो बढ़ेगा!

    दुनिया का हर जानकार कह रहा है कि यदि धरती को बचाना है तो दुनिया के औसत तापमान में 1.5 डिग्री की बढ़ोत्तरी की सीमा को कतई पार नहीं होने दे। लेकिन कहना है और टारगेट बहुत कठिन। विशेषकर इसलिए क्योंकि आबादी, माल और सेवाओं की मांग और भू-राजनैतिक तनाव - तीनों बढ़ रहे हैं। सही है कि दुनिया के देशों ने समस्या की गंभीरता को समझा हुआ है। सन 2015 में पेरिस समझौते पर दस्तखत करके संकल्प भी लिया था कि औद्योगिक क्रांति से पूर्व दुनिया का जो औसत तापमान था, उसमें 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि...

  • अमीर अमेरिका में खजाना खाली!

    अमेरिका क़र्ज़ के भंवर में है। और यह संकट काफी गंभीर है – इतना गंभीर कि इसके कारण राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी आगामी विदेश यात्राएं रद्द कर दीं हैं। उन्होंने हिरोशिमा में जी7 देशों की बैठक में भाग लेने के बाद अमेरिका वापस लौटने का निर्णय लिया है। क्वाड देशों के नेताओं की शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए उनकी ऑस्ट्रेलिया यात्रा रद्द हो गई है। वे अब पापुआ न्यू गिनी भी नहीं जा रहे हैं, जो कि किसी भी अमरीकी राष्ट्रपति की प्रशांत महासागर में स्थित इस आइलैंड नेशन की पहली यात्रा होती। अमेरिका का खजाना खाली...

  • थाईलैंड में युवा जोश, लौटा लोकतंत्र!

    रविवार, 14 मई का दिन दुनिया के लिए अहम रहा। मानो बदलाव का, दुनिया को नया आकार देने की जद्दोजहद का दिन। जहां तुर्की में तानाशाह शासक से मुक्ति पाने के लिए वोट पड़े वही थाईलैंड की जनता ने सैनिक शासन और राजतंत्र का अंत करने के लिए मतदान किया। तुर्की में तो सफलता नहीं मिली लेकिन थाईलैंड की जनता को जबरदस्त कामयाबी मिली। एक दशक से चले आ रहे सैनिक शासन के अंत की शुरुआत हो गयी। थाई लोगों ने ऐसी दो विपक्षी पार्टियों को जीताया जिन्होंने कहा है कि वे देश के लिए मुसीबत बन चुके सेना और...

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