• घर में लागि आग और गुहार दिल्ली तक…!

    भोपाल। जी हाँ भोपाल मे मंत्रालय के ‘सतपुड़ा की सात मंिजला इमारत में सोमवार को लगी आग अनेक कारणों से गिनीज़ बुक ऑफ रेकॉर्ड में दर्ज की जाएगी ! पहला कारण तो यह है कि इतनी बड़ी सरकारी इमारत में अग्नि शमन के आवश्यक इंतेजाम नहीं थे जो बहुमंजिला भवनों के लिए कानूनी रूप से जरूरी है ! यानि कि स्प्रिंकलर और आग लगने पर आपातकालीन निकलने की व्यवस्था। जो सरकार टाउन अँड कंट्री प्लानिंग के नियमों के अनुसार नहीं बने भवनों को जमीदोज़ करने के लिए बुल्ल्डोज़र का इस्तेमाल करे वह खुद की इमारतों में मनमाने ढंग से निर्माण...

  • राहुल अकेले, न थके, न डरे और न निराश हुए!

    राहुल का कोई इलाज है नहीं। भाजपा और गोदी मीडिया के साथ कांग्रेसियों के पास भी नहीं। ऐसी शख्सियतें कुदरत खुद बनाती है। और उसमें वे साफ्ट और हार्ड वेयर होते हैं जो बदलते नहीं। गोदी मीडिया रोज पूछता था राहुल का प्रोग्राम खत्म हो गए अब वे क्या कर रहे हैं। राहुल ने खुद ही बता दिया कि वे भारत के बाद अब अमेरिका में ट्रकों में घूम रहे हैं। राहुल जिस तरह देश को और देश को लोगों को जानने की कोशिश कर रहे हैं। उससे कुछ पुराने लोगों के नाम याद आ जाते हैं। लेकिन यह कोई...

  • उनके, हमारे जीने का फर्क

    बाल कल्याण एजेंसी का आरोप था कि सागरिका अपने बच्चों की परवरिश करने के लायक़ सही माँ नहीं है। क्योंकि वह अपने छ महीने की बेटी और चार साल के बेटे को छुरी-काँटे से नहीं बल्कि हाथों से ख़ाना खिलाती है। उनका आरोप था कि शरारत कर रहे अपने बच्चे को सागरिका डाँटती है और उसे थप्पड़ भी दिखाती है। सागरिका इन बच्चों के माथे पर काला टीका (नज़रबट्टू) लगाती है। सन् 2011 में देश भर के अख़बारों में एक खबर थी। उस खबर परचौक गए थे। खबर ही ऐसी थी कि जो कोई पढ़ता अचंभित हो जाता। अब तक...

  • भाजपा में भाषणों से बोरियत, कांग्रेस में संवादों से रौनक…

    भोपाल। इस दफा न काहू से बैर का आगाज मशहूर शायर हसरत मोहानी के एक शेर से कर रहे हैं- “कुछ लोग थे कि वक्त के सांचे में ढल गए कुछ लोग थे जो वक्त के सांचे बदल गए...” अब सियासी दलों में सांचे बदलने वाले नेता- कार्यकर्ता दुर्लभ हो गए हैं। हालात के हिसाब से भाजपा के एक नेता राज चड्डा की एफबी पर यह टिप्पणी काफी कुछ बयां करती है- मुझ से पहले सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग- न तू पहले जैसा रहा, न मेरी दीवानगी... सोशल मीडिया पर उनके इस शायराना अंदाज़ पर आने वाली टिप्पणियों...

  • प्रदेश में दिग्गजों के दौरे

    भोपाल। वैसे तो पूरा वर्ष ही अब चुनावी वर्ष के रूप में आने वाला है। आधा दर्जन राज्यों और फिर मई तक लोकसभा के चुनाव भी हो जाएंगे लेकिन प्रमुख दलों के दिग्गज नेताओं का फोकस इस समय देश के ह्रदय प्रदेश मध्य प्रदेश पर बना हुआ है। दिग्गज नेताओं के ताबड़तोड़ दोनों से सियासी पारा दिन प्रतिदिन हाई हो रहा है। दरअसल, कई मायनों में प्रदेश में विधानसभा 2023 के चुनाव अभूतपूर्व होने जा रहे हैं जिसमें प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस सरकार बनाने के लिए तो बेताब है ही, आप, बसपा, सपा, जयस और भारत राष्ट्र पार्टी भी...

  • सवाल विपक्षी एकता के एजेंडे का

    मुद्दा यह है कि भारत को बीजेपी-आरएसएस के उस शासन से कैसे मुक्ति मिले, जिसकी वजह से समाज में नफरत और विभेद बढ़ रहे हैं तथा कमजोर तबकों पर शासक वर्ग का शिकंजा और अधिक कसता जा रहा है? यह समझ बिल्कुल ठीक है कि विपक्षी दलों की जोड़-तोड़ इस लिहाज से “पर्याप्त” नहीं है। बल्कि इस मकसद में उसका नाकाम साबित होना तय है। इसलिए चिंतिन शिविर में किसी वैकल्पिक दृष्टि पर बात करने का विचार सटीक है। मगर यह वैकल्पिक दृष्टि क्या है? कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी मौजूदा अमेरिका यात्रा की शुरुआत 31 मई को सैन...

  • पहलवानों को अब इंतजार ही करना है!

    असली मुद्दा तो जस का तस है। पहलवान तो सिर्फ ब्रज भूषण की गिरफ्तारी पर अड़े हैं लेकिन एक बड़ा तबका कह रहा है कि उन्हें शायद घेर घोट कर फंसा लिया गया है। यदि ऐसा है तो अब तक की लड़ाई का कोई मायने नहीं रह जाएगा। आंदोलकारी पहलवानों और सरकार के बीच बढ़ते लाड प्यार को देखते हुए देश के कुश्ती पंडित हैरान नहीं है। कारण, उन्हें मालूम है कि विवाद का कोई स्वीकार्य हल इसलिए संभव नहीं है क्योंकि ब्रज भूषण शरण सिंह पर आरोप अबी साबित कहा है? पहलवानों ने धरना प्रदर्शन, कैंडल मार्च, पार्लियामेंट तक...

  • बाथरूम का हैंडल बने फ़िल्म पुरस्कार

    लंबे समय तक हिंदी फिल्मों में फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों की धूम रही।...नसीरुद्दीन शाह ने हद कर दी। उन्होंने अपने फॉर्महाउस के बाथरूम के दरवाजे में हैंडल की जगह वही प्रतिमाएं लगवा रखी हैं जो उन्हें इस पुरस्कार में मिली थीं।...किन्हीं भी पुरस्कारों के लिए सबसे मुश्किल काम अपनी साख बनाना और उसे बरकरार रखना है। ऐसी साख कि कोई उसे बाथरूम का हैंडल बनाने से पहले कई बार सोचे। सुभाष घई और अशोक पंडित को समझना चाहिए कि नसीरुद्दीन शाह को चुप करा देने से यह साख वापस नहीं आएगी। उसके लिए तो पुरस्कार देने वालों और सिनेमा उद्योग दोनों को...

  • प्रियंका गांधी के शंखनाद से कमल नाथ की वापसी

    कमल नाथ की सियासी शैली को भी मैं ने चार दशक में निजी तौर पर नज़दीक से देखा है। इतने सुव्यवस्थित तरीके से राजनीति के सकल आयामों का प्रबंधन करने वाला कांग्रेस में उन सरीखा अब शायद ही कोई है।… चुनाव अभियान में प्रियंका की सक्रिय भागीदारी मध्यप्रदेश के लिए बहुत बड़ी सौगात साबित होने वाली है। उन की क्रियाशील मौजूदगी कांग्रेस की रही-सही भीतरी दरारों को एकबारगी ही पाट देने की ताक़त रखती है। दो दिन बाद, सोमवार को, प्रियंका गांधी मध्यप्रदेश की विधानसभा के नवंबर-दिसंबर में होने वाले चुनाव के लिए जब जबलपुर से कांग्रेस के प्रचार अभियान...

  • माउथ पब्लिसिटी ने बदला माहौल… बदलेगी सल्तनत…!

    भोपाल। मध्यप्रदेश में कर्नाटक की जीत से उत्साहित कांग्रेस के हौसले बुलंद तो भाजपा में ऑल इज वेल नहीं यह स्थिति काफी हद तक माउथ पब्लिसिटी के कारण बनी है.. भाजपा कांग्रेस के कार्यालय उनके नेताओं के बंगले पर भीड़भाड़ से जो माहौल बना है उससे यही संदेश निकल कर आ रहा कि कांग्रेस में जोश तो भाजपा में टांग खिंचाई के साथ डैमेज कंट्रोल को पार्टी के नीति निर्धारक मजबूर नजर आ रहे.. संघ, भाजपा कॉन्ग्रेस के निजी और सरकारी सर्वे से छन छन कर आ रही अपुष्ट खबरों ने कांग्रेस को निर्णायक बढ़त भले ही नहीं दिलवाई लेकिन...

  • एफ़आइआर पर सुप्रीम कोर्ट का अंहम फैसला

    इस ऐतिहासिक फ़ैसले से देश भर की जानता, अदालतों और पुलिस विभाग में एक सकारात्मक संदेश गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फ़ैसले में एक महत्वपूर्ण बात यह बताई थी कि यदि किसी पक्ष को यह लगता है कि उसके ख़िलाफ़ कोई एफ़आइआर बदले या बदनामी की भावना से दर्ज कराई गई है तो उसे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत रद्द करवाया जा सकता है। एक पुरानी कहावत है, ‘जब घी सीधी उँगली से न निकले तो उँगली टेढ़ी करनी पड़ती है’ यानी जब कभी भी आपका कोई काम आसानी से न हो रहा हो तो आप...

  • राजद्रोह कानून और विधि आयोग की रिपोर्ट…।

    भोपाल। इन दिनों राजद्रोह कानून को लेकर विधि आयोग द्वारा सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट सरकार के सिर दर्द का कारण बनी हुई है, राजद्रोह कानून की धारा 124ए को सरकार का एक वर्ग हटाना चाहता है, जबकि विधि आयोग इस प्रस्ताव से सहमत नहीं है। विधि आयोग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में सरकार से राजद्रोह कानून कुछ संशोधनों के साथ कायम रखने की सिफारिश की है। विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट हाल ही में केंद्र सरकार को सौंंपी है, जिस पर संसद के मानसून सत्र में चर्चा संभावित है। यद्यपि कानूनी विशेषज्ञों का एक वर्ग विधि आयोग की...

  • क्रांतिदर्शी बिरसा मुंडा

    1894 में मानसून के छोटानागपुर में असफल होने के कारण भयंकर अकाल और महामारी फैली, तो बिरसा ने पूरे मनोयोग से अपने लोगों की सेवा की। बिरसा ने लोगों को किसानों का शोषण करने वाले ज़मींदारों के विरुद्ध संघर्ष करने की प्रेरणा भी दी। अवसर आते ही 1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर बिरसा ने अंग्रेजों से लगान माफी के लिए आन्दोलन शुरू कर दिया। 9 जून को बिरसा मुंडा बलिदान दिवस झारखण्ड के अमर स्वाधीनता सेनानी और क्रांतिदर्शी बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 ईस्वी में राँची के उलीहातू गाँव...

  • कश्मीर में हालात बेहतर, पर चुनाव दूर!

    जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए इंतज़ार अभी और लंबा हो सकता है।सवाल लगातार पूछा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में देरी किस बात की है। जबकि सरकार से लेकर सरकार के आलोचक तक यह मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति बहुत अधिक समान्य है और शांति स्थापित हो चुकी है। लगता है किविधानसभा चुनाव के लिए इंतज़ार अभी और लंबा हो सकता है। वर्ष 2023 भी आधा बीतने को है मगर विधानसभा चुनाव का इंतज़ार कर रहे जम्मू-कश्मीर के लोगों का इंतज़ार फिलहाल समाप्त होता दिखाई नही देता। विधानसभा चुनाव कब होंगे? किसी को कुछ नही पता। चुनाव...

  • समुद्र बिना जीवन संभव नहीं, पर इनकी सुरक्षाकी चिंता कहां?

    8 जून को विश्व महासागर दिवस पृथ्वी के 71प्रतिशत भाग पर जल ही जल है। मीठे पानी के नदी, झील व अन्य जलाशय हैं, तो खारे जल के अथाह समुद्र हैं, बड़े -बड़े महासागर हैं। यही कारण है कि धरती को नीला ग्रह की संज्ञा से संज्ञायित किया जाता है। महासागर हमारी पृथ्वी पर न सिर्फ जीवन का प्रतीक है, अपितु पर्यावरण संतुलन में भी प्रमुख भूमिका निभाता है। पृथ्वी पर जीवन का आरंभ महासागरों से माना जाता है। महासागरीय जल में ही पहली बार जीवन का अंकुर फूटा था। आज महासागर असीम जैव विविधता का भंडार है। हमारी पृथ्वी...

  • महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न और अमित शाह का कानून

    भोपाल। गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह को कुश्ती फेडरेशन से हटाने और उनके विरुद्ध मुकदमा चलाने की मांग को लेकर आन्दोलन कर रहे ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवानों से मुलाक़ात कर कह दिया कानून को अपना काम करने दीजिये ! पास्को एक्ट लगने के बाद नाबालिग पहलवान जिसने झारखंड के रांची में नेशनल जूनियर रेस्लिंग चैंपियनशिप में गोल्ड पदक जीतने वाली लड़की को कंधे से नीचे जकड़ कर कहा तुम मुझको सपोर्ट करो मैं तुमको सपोर्ट करूंगा ! तब उस बालिका पहलवान ने जवाब दिया कि मैं अपने बलबूते पर यहां पहुंची हूँ और...

  • हर मनुष्य के लिए कब मुमकिन अच्छा भोजन, सही सेहत?

    लोगों को खाद्य सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व भर में 7 जून को प्रतिवर्ष विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। खाद्य सुरक्षा, खाद्य सामग्री के उपभोग से पूर्व फसल के उत्पादन, भंडारण और वितरण तक खाद्य श्रृंखला के प्रत्येक चरणों अर्थात हर स्टेप के पूर्ण रूप से सुरक्षित होने की सुनिश्चितता प्रदान करती है। हर वर्ष इस दिन के लिए एक थीम यानी विषय तय किया जाता है। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के लिए इस वर्ष 2023 की थीम तय की गयी है -सुरक्षित भोजन, बेहतर स्वास्थ्य अर्थात सेफ़र फ़ूड बेटर हेल्थ। 7 जून- विश्व खाद्य...

  • मोदी नरेटिव से ही जीतते हैं तो इसी से हराओं!

    कहानी जो मोदी के इर्द गिर्द घूम रही है उसे विपक्षी एकता के आसपास लाना होगा। अब जो दूसरी तारीख सम्मेलन के लिए हो उसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। वही एक ऐसा हथियार है जिससे विपक्ष मोदी का मुकाबला कर सकताहै। बाकी सब मुर्खों की कल्पनाओं जैसी बाते हैं। 2014 और 2019 ऐसे हीबिना तैयारी के हारे। और इस बार भी अगर पूरी तैयारी और विपक्षी एकजुटतानहीं होगी तो मोदी जी विपक्ष को खर पतवार की तरह काटते हुए निकल जाएंगे। क्या विपक्ष की समझ में अभी भी नहीं आ रहा कि उसकी हार के क्या कारण...

  • हिंदुत्व की तेज होती चाल

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा हो या कांग्रेस दोनों को हिंदुत्व की पिच रास आ रही है। एक तरफ जहां भाजपा और उसकी सरकार जिहादियों की जद से संस्थाओं को बाहर निकालने की कोशिश कर रही है और प्रखर हिंदुत्ववादी छवि बनाने की कोशिश कर रही है वहीं अब कांग्रेसी भी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर तेजी से बढ़ रही है। दरअसल, देश में हो या प्रदेश में चुनावी मौसम में धर्म और राजनीति का तड़का थोक में वोट की व्यवस्था कर देता है। सो, अपने-अपने हिसाब से राजनीतिक दल ऐसे मुद्दों पर फोकस बनाने लगते हैं।...

  • संघ परिवार: निर्बलता का प्रसार

    संघ-परिवार के नेताओं का छलपूर्ण तर्क यह बनता है कि जब कांग्रेस सत्ता में हों, तब तो हिन्दू-हितों की दुर्गति के लिए राजसत्ताधारी जिम्मेदार हैं! लेकिन जब भाजपा सत्ता में हो, तब हिन्दू समाज ही जिम्मेदार है। यदि ऐसी मतिहीनता और स्वार्थपरता देश के करोड़ों संघ-भाजपा सदस्यों में भरी गई है, तो निश्चय ही संघ-परिवार ने केवल निर्बलता सह डफरता का प्रसार किया है। आखिरकार, हिन्दू ज्ञान परंपरा ने केवल सत्य को ही शक्ति का स्त्रोत बताया है। मिथ्याचार, मिथ्याभाषण, मिथ्याडंबर को नहीं।...अतः संघ-भाजपा अपने आई.टी. सेल द्वारा सोशल मीडिया पर, तथा अपने संगठन-पार्टी के सदस्यों के बीच जो भी...

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