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31-07-2025 Vol 19

“घर का जोगी जोगड़ा…. आन गांव का सिद्ध”…?

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भोपाल। “घर का जोगी जोगड़ा…. आन गांव का सिद्ध”…. यह एक मालवी भाषा की प्रसिद्ध कहावत है जिसका भावार्थ है कि “किसी भी शख्स के अपने परिवार और गांव में इतनी कदर नहीं होती, जितनी कि बाहर वाले उसकी इज्जत करते हैं”, यह मालवीय कहावत आज हमारे प्रिय प्रधानमंत्री जी नरेंद्र भाई मोदी पर अक्षरश: सही साबित हो रही है, क्योंकि आज पूरी दुनिया मोदी जी को जगत प्रसिद्ध लोकप्रिय नेता मान चुकी है, जबकि हमारे अपने देश में उनकी ऐसी पहचान नहीं है, पिछले 9 साल से मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं और उनके प्रधानमंत्रीत्व काल का दूसरा चरण अगले कुछ महीनों में ही पूरा होने वाला है और देश ने अभी से न सिर्फ पंडित नेहरू इंदिरा जी के डेढ़ दशक के कार्यकालो से उनके शासनकाल की तुलना शुरू कर दी है और इस तुलना के दौरान समय और परिस्थिति के अनुसार मोदी के अब तक के कार्यकाल को कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताओं से ‘श्रेष्ठ’ माना है।

मोदी जी के बारे में मेरे इस तर्क का ताजा उदाहरण आज ही के अखबारों ने प्रस्तुत किया है, जिसमें दुनिया के महान शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडन ने मोदी जी से उनके ‘ऑटोग्राफ’ देने का आग्रह किया है तथा एक अन्य देश पापुआ न्यूगिनी के प्रधानमंत्री जेम्स भारापे को शासकीय ‘प्रोटोकॉल’ तोड़कर मोदी जी के पैर छूते दिखाया गया है, मोदी जी की इस अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता ने हमारे देश में उनके दुश्मन ज्यादा पैदा कर दिए। खासकर हमारा पड़ोसी देश चीन के शासक मोदी जी की लोकप्रियता से सर्वाधिक परेशान है। जबकि हमारे प्रधानमंत्री जी विश्व के किसी भी देश के साथ वैमनस्य या दुश्मनी रखने के पक्ष में कभी नहीं रहे, उन्होंने हमेशा हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े देश के साथ ‘मैत्रीपूर्ण’ संबंध रखने की ही पैरवी की है तथा स्वयं ने उसका ईमानदारी से पालन भी किया है और आगे भी यही सब करने की उनकी अपनी नीति है।

इन दिनों मोदी जी “जी 7” देशों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए जापान व अन्य देशों की यात्रा पर हैं, इस यात्रा के दौरान चश्मदीदों ने मोदी जी की लोकप्रियता को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नेता की यात्रा बताई है, विदेशों में उनके स्वागत से हमारे देश की विपक्षी दलों को छोड़ पूरा विश्व अति प्रसन्न है।

यद्यपि मोदी जी के 9 साल के प्रधानमंत्रीत्व काल के बाद अब देश में यह अफवाह तेजी से फैलाई जा रही है कि मोदी जी की लोकप्रियता उनके अपने ही देश में घटती जा रही है और 2024 के चुनाव में उनकी सरकार का तीसरा चरण शुरू होना मुश्किल है, किंतु वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है, मोदी विरोधी कर्नाटक के चुनाव परिणामों का उदाहरण प्रस्तुत कर पंजाब आदि अन्य राज्यों की भी बात करते हैं, यहां तक कि कहा जा रहा है कि 6 महीने बाद मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा सरकार की पुनरावृत्ति होने वाली नहीं है, किंतु यह मोदी भाजपा आलोचक इस प्रश्न का जवाब भी नहीं दे पा रहे हैं कि “मोदी के बाद कौन….?” क्यों कि प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस सहित किसी भी राजनीतिक दल में फिलहाल इतनी ताकत शेष नहीं बची है कि वह मोदी के रहते भाजपा का मुख्य विरोधी दल बन सके? क्योंकि कांग्रेस के अलावा किसी भी दल को राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त नहीं है और यदि नितीश कुमार का “प्रतिपक्ष जोड़ो” अभियान चलता भी है तो उससे मोदी जी या उनकी लोकप्रियता पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ने वाला नहीं है, क्योंकि भारत का इतिहास उठाकर देख ले यहां प्रतिपक्षी दल जब भी एकजुट हुए हैं वह डेढ़-दो साल में फिर बिखर गए हैं और कांग्रेस तथा भाजपा का कोई भी प्रति पक्षी दल एकजुट होकर भी मुकाबला नहीं कर पाया है।

….और यही स्थिति आज भी यथावत है, केंद्र में चाहे भाजपा की सरकार हो या कि कांग्रेस की, इन दोनों दलों की सिर्फ सत्ता में रुचि है देश की सेवा और सार्वजनिक हित की नहीं, इसलिए यहां आजादी के बाद कांग्रेस को छोड़कर कोई भी दल दीर्घ सत्ताधारी घोषित नहीं हो पाया और कांग्रेस भी इसीलिए क्योंकि आजादी के बाद उसका कोई विकल्प नहीं था?

….और अब क्योंकि इतने अंतराल के बाद भाजपा भी सरकार के दांव पेंच सीख गई है और उसके अब तक के प्रयोग भी सफल रहे हैं, इसलिए फिलहाल मोदी सरकार को “दीर्घ जीवी” होने का जन आशीर्वाद मिल सकता है।

ओमप्रकाश मेहता

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