nayaindia Democracy Index Report समस्या बहुत गंभीर है

समस्या बहुत गंभीर है

Social political issue
Social political issue

लिबरल डेमोक्रेसी के पैरोकारों के लिए यह गंभीर आत्म-मंथन का विषय होना चाहिए। उन्हें विचार इस सवाल पर करना चाहिए कि लिबरल डेमोक्रेसी जन आकांक्षाओं को पूरा करने में क्यों विफल रही, जिससे लोगों की निगाह में इसका आकर्षण घट गया है?

जब कोई घटना इक्का-दुक्का ना रह कर व्यापक रूप से होती दिखे, तो फिर उसकी वजह को सतही तौर पर नहीं समझा जा सकता। ऐसी परिघटना को प्रेरित करने वाले कारणों की जड़ें कहीं गहरी होती हैं। आज की एक परिघटना यह है कि उदार लोकतंत्र दुनिया भर में कमजोर हो रहा है। इस घटनाक्रम पर नजर रखने वाली संस्थाओं के सूचकांक इस बात की गवाही देते हैं। वेरायटी ऑफ डेमोक्रेसीज (वी-डेम) की हालिया रिपोर्ट से यह जाहिर हुआ।

हाल के वर्षों में अमेरिकी संस्था फ्रीडम हाउस भी अपनी रिपोर्ट में यही निष्कर्ष बताती रही है। अब एक जर्मन संस्था ने कहा है कि दुनिया में लोकतांत्रिक सरकारों की संख्या घट रही है। बर्टल्समान फाउंडेशन की रिपोर्ट में लोकतंत्र की स्थिति का अंतरराष्ट्रीय विश्लेषण पेश किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल 63 देशों में लोकतांत्रिक सरकारें हैं, लेकिन 74 ऐसे देश ऐसे हैं, जहां तानाशाही प्रवृत्ति की सरकारें हैं। लोकतांत्रिक देशों में तीन अरब लोग रहते हैं, जबकि तानाशाही सरकारों का लगभग चार अरब लोगों पर राज है।

बर्टल्समान की इस साल रिपोर्ट का शीर्षक हैः दुनिया में लगातार घट रही है लोकतंत्र की जमीन। इसमें बताया गया है कि विभिन्न देशों में किस तरह का बदलाव आ रहा है। खास तौर पर राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, चुनावों की निष्पक्षता, आंदोलन और विरोध करने की आजादी, अभिव्यक्ति और मीडिया की स्वतंत्रता आदि मामलों में विभिन्न देशों में लोगों के अधिकार सिकुड़ रहे हैं। राजसत्ता की शक्तियों के विभाजन के सिद्धांत को अब अधिक नजरअंदाज किया जा रहा है।

साथ ही सिविल सोसायटी के लिए जगह सिकुड़ रही है। पिछले दो सालों में ही 25 देशों के चुनाव पहले से कम निष्पक्ष हुए। 32 देशों में आंदोलन करने के अधिकारों में कटौती हुई, जबकि 39 देशों में अभिव्यक्ति की आजादी कम हुई। तो प्रश्न वही है कि ऐसा क्यों हो रहा है? लिबरल डेमोक्रेसी के पैरोकारों के लिए यह गंभीर आत्म-मंथन का विषय होना चाहिए। उन्हें विचार इस सवाल पर करना चाहिए कि लिबरल डेमोक्रेसी आम जन की आकांक्षाओं को पूरा करने में क्यों विफल रही, जिससे लोगों की निगाह में इसका आकर्षण घट गया है?

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