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गेम और गैम्बलिंग

गेम

समाज पर ऑनलाइन सट्टेबाजी और फैंटेसी गेम्स का बहुत खराब असर हो रहा है। ऐसे ऐप्स की लत का शिकार लोगों की आर्थिक हालत के साथ-साथ उसके निजी संबंध भी प्रभावित होते हैं। ‘गैंबलिंग डिसऑर्डर’ बड़ी समस्या बनता जा रहा है।

आईपीएल का सीजन शुरू होते ही भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी और फैंटेसी गेम्स की लत के कारण पारिवारिक तनाव की खबरें आने लगी हैं। लत के शिकार लोग कर्ज लेकर भी सट्टा लगाते हैं। भारी नुकसान के कारण कुछ व्यक्तियों के खुदकुशी करने की खबरें भी पहले आ चुकी हैं। सरकार इस मामले में कड़ी कार्रवाई का दावा करती है, लेकिन जिस तरह ऐसी गैम्बलिंग का खुलेआम इश्तहार किया जाता है, उससे जाहिर है कि सरकार ने पर्याप्त इच्छाशक्ति नहीं दिखाई है।

इसके अलावा कुछ कानूनी पेचीदगियां भी हैं। कई गैर-कानूनी सट्टेबाजी ऐप्स के सर्वर भारत के बाहर छोटे द्वीपों पर हैं, जहां जुआ वैध है या उनके प्रति नियम ढीले है। एक गैर-सरकारी संस्था के मुताबिक भारत में ऑनलाइन गैम्बलिंग के लगभग 14 करोड़ यूजर्स हैं, जो रोजाना सट्टेबाजी में भाग लेते है।

ऑनलाइन गेम या सट्टेबाजी? बढ़ता खतरा और चुनौतियां

कभी-कभी यह संख्या 35 करोड़ से ऊपर पहुंच जाती है। ऑनलाइन सट्टेबाजी के अलावा फैंटसी गेमिंग ऐप्स भी तेजी से लोकप्रिय हुए हैं। ड्रीम-11, माय-11 सर्कल और एमपीएल जैसे ऐप्स यूजर्स को अपनी काल्पनिक टीम बनाने का मौका देते हैं। असल मैच में उन खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें पॉइंट्स मिलते हैं। ऐसे सैकड़ों ऐप्स हैं, जिन्हें चलाने वाली कंपनियों को 85 फीसदी का मुनाफा क्रिकेट से और बाकी अन्य खेलों से आता है।

एक अनुमान के मुताबिक भारत से हर साल लगभग 100 अरब डॉलर का लेन-देन गैर-कानूनी सट्टेबाजी बाजार में होता है। बेशक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रसार और स्मार्टफोन के बढ़े इस्तेमाल से इस उद्योग को बढ़ावा मिला है।

मशहूर क्रिकेटरों सहित अन्य सेलिब्रिटीज ने इनकी ब्रैंडिंग में हिस्सा लिया है, जिससे इन गेम्स की लोकप्रियता बढ़ी है। मगर समाज पर इनका बहुत खराब असर हो रहा है। मनोवैज्ञानिक आगाह करते रहे हैं कि ऐसे ऐप्स की लत का शिकार व्यक्ति लगभग हर समय सट्टेबाजी के ख्याल में डूबा रहने लगता है, जिससे उसकी आर्थिक हालत के साथ-साथ उसके निजी संबंध भी प्रभावित होते हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक ‘गैंबलिंग डिसऑर्डर’ भारत में एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इसलिए इस बारे में अब खानापूर्ति की नहीं, बल्कि इसे रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।

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Pic Credit : ANI

By NI Editorial

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