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31-07-2025 Vol 19

सुखबोध की बात नहीं

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किसी विकास यात्रा के आगे बढ़ने का अपना क्रम होता है। भारत को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में छह दशक लगे, लेकिन उसके बाद सात-सात साल में उसमें एक-एक ट्रिलियन और जुड़े। अब चार साल बाद अगला ट्रिलियन जुड़ा है।

भारत की सकल घरेलू अर्थव्यवस्था के 4.3 ट्रिलियन डॉलर होने संबंधी आईएमएफ का आंकड़ा आने के बाद से सत्ता समर्थक हलकों में सुखबोध की लहर दिखी है। खुद प्रधानमंत्री ने विस्मय भरे लहजे में पूछा है कि आजादी के बाद पहले 70 वर्ष में भारत 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था बना, तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि गुजरे पांच-सात साल में वह पांचवें स्थान पर पहुंच गया है!

आईएमएफ के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा- भारत अकेली बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसने गुजरे दस साल में अपनी जीडीपी को दोगुना किया है।

मगर यह बात संदर्भ से कटी हुई है। किसी विकास यात्रा के आगे बढ़ने का एक क्रम होता है। भारत को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में छह दशक लगे, लेकिन उसके बाद सात-सात साल में उसमें एक-एक ट्रिलियन और जुड़े। अब चार साल बाद अगला ट्रिलियन जुड़ा है।

आर्थिक विकास या सुखबोध में असमानता की बढ़ती खाई?

यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। वैसे, मानव विकास के पैमानों पर देखें, तो इन ट्रिलियनों का साधारण महत्त्व ही है। इसे और बड़े संदर्भ में देखना हो, तो इसी हफ्ते जारी हुए हुरून ग्लोबल रिच लिस्ट पर ध्यान देना चाहिए। उसके मुताबिक पिछले वर्ष भारत के कुल 284 अरबपतियों का धन दस प्रतिशत बढ़ कर 98 लाख करोड़ रुपये हो गया।

यह भारत की जीडीपी का एक तिहाई हिस्सा है। उत्पन्न धन का बंटवारा इस तरह हो रहा हो, तो आम खुशहाली के नजरिए से उसे उपलब्धि के बजाय समस्या के रूप में अधिक देखा जाएगा। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि उनके कार्यकाल में जीडीपी में तीव्र बढ़ोतरी के कारण 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाया गया। मगर, ये बात एकांगी है, जिसे अर्थव्यवस्था की मौजूदा दिशा के पैरोकारों ने अपनी सुविधा से तैयार किया है।

उपभोग एवं जीवन स्तर में सुधार के मामले में खुद सरकारी आंकड़ों पर गौर करें, तो ऐसे तमाम दावे कठघरे में खड़े दिखने लगते हैँ। वैसे अब दुनिया में जीडीपी आंकड़ों को विकास के सीमित पैमाने के रूप में ही देखा जा रहा है। इसलिए बेहतर होगा कि जीडीपी आंकड़ों पर बेमतलब इतराने के बजाय मूलभूत आर्थिक परिस्थितियों पर अधिक ध्यान दिया जाए।

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Pic Credit : ANI

NI Editorial

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