राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

मुंहदेखे रुख से मुश्किल

केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिकी टिप्पणी के बाद उसके प्रति भारत का संभावित रुख चर्चा में आ गया है। अपेक्षा यह होगी कि ऐसे मसलों पर भारत सरकार एक सुसंगत, स्पष्ट और सुपरिभाषित नजरिया अपनाए। मुंहदेखा रुख ठीक नहीं है।

यह सवाल चर्चा में है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिकी टिप्पणी पर भारत की प्रतिक्रिया कैसी रहेगी। भारत सरकार के रुख को लेकर यह शिकायत गहराती चली गई है कि वह समान मुद्दे पर अलग-अलग देशों की टिप्पणियों पर अलग प्रतिक्रिया दिखाती है। इससे सवाल खड़ा हुआ है कि क्या घरेलू मसलों और भारत की प्रतिष्ठा से जुड़े मुद्दों को लेकर भारत का कोई सुपरिषाभित नजरिया नहीं है?

अतीत में विदेशी जमीन पर खालिस्तानी आतंकवादियों की हत्या/ हत्या की कोशिश के मामले में भारत के रुख में अंतर को तब रेखांकित किया गया था, जब कनाडा और अमेरिका के आरोपों पर भारत की प्रतिक्रिया बिल्कुल अलग रही। नागरिकता संशोधन कानून के मामले में भी प्रतिक्रिया के तेवर में अंतर पर विश्लेषकों का ध्यान गया। अब केजरीवाल का मामला सामने आया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि अमेरिका ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की खबरों पर नजर रखी हुई है। अमेरिका सरकार “मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए एक निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध कानूनी प्रक्रिया” पर अमल के लिए भारत सरकार को प्रोत्साहित करेगी।

इसके पहले बीते शुक्रवार को जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेबेस्टियन फिशर ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा था कि किसी भी अन्य आरोपी की तरह केजरीवाल भी एक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष मुकदमे के हकदार हैं। उन्होंने यह भी कहा था- “जर्मनी को उम्मीद है कि इस मामले में न्यायपालिका की स्वतंत्रता के मानक और मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांत लागू किए जाएंगे।”

भारत सरकार ने इस बयान पर कड़ी नाराजगी जताई। इतना ही नहीं, भारत स्थित जर्मनी के उप-राजदूत जॉर्ज एन्ज्वाइलर को विदेश मंत्रालय बुलाकर विरोध जताया गया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में जर्मनी की टिप्पणी को “पक्षपातपूर्ण और भारत की न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप” बताया। यह भी कहा गया कि जर्मनी की टिप्पणी भारत की “न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने” की कोशिश जैसी है। इसीलिए अमेरिकी टिप्पणी के बाद उसके प्रति भारत का संभावित रुख चर्चा में आ गया। अपेक्षा यह होगी कि ऐसे मसलों पर भारत सरकार एक सुसंगत, स्पष्ट और सुपरिभाषित नजरिया अपनाए। मुंहदेखा रुख ठीक नहीं है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *