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ब्रह्म-वाक्य का प्रश्न नहीं

निश्चित रूप से मीडिया जो कहता है या जो भंडाफोड़ करता है, वो ब्रह्म-वाक्य नहीं होते, जिन्हें हर हाल में स्वीकार कर लिया जाए। लेकिन उससे जो संदेह पैदा होता है, उससे संबंधित प्रकरण की निष्पक्ष और प्रभावी जांच के सूत्र अवश्य मिलते हैँ।

अडानी समूह से संबंधित हिंडनबर्ग और मीडियाकर्मियों के समूह ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) की रिपोर्टों के बारे में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये रिपोर्टें ब्रह्म-वाक्य नहीं हैं। ना ही किसी विदेशी वित्तीय अखबार में छपी रिपोर्ट ऐसा सच है, जिसे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को अनिवार्य रूप से स्वीकार कर लेनी चाहिए। इस वर्ष जनवरी में अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर आरोप लगाया था कि विदेश में बनाई गई फर्जी कंपनियों के जरिए उसने भारतीय शेयर बाजार में अपनी कंपनियों के मूल्य बढ़ाए। इसके बाद कई विदेशी अखबारों और फिर ओसीसीआरपी ने भी इस आरोप के समर्थन रिपोर्टें दीं। अब उन्हीं रिपोर्टों के बारे में प्रधान न्यायाधीश ने उपरोक्त टिप्पणी की है। अभी इस मामले में कोर्ट का फैसला नहीं आया है, इसलिए इस बारे में कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। बेहतर नजरिया न्यायालय के निर्णय का इंतजार करना होगा। बहरहाल, कोर्ट की टिप्पणियों पर जरूर बहस की जा सकती है। इसलिए कि ऐसी टिप्पणियां भविष्य के लिए नजीर बन जाती हैँ।

मुद्दा यह है कि समाज में मीडिया की क्या भूमिका होनी जानी चाहिए? निश्चित रूप से मीडिया जो कहता है या जो भंडाफोड़ करता है, वो ब्रह्म-वाक्य नहीं होते, जिन्हें हर हाल में स्वीकार कर लिया जाए। लेकिन उससे जो संदेह पैदा होता है, उसकी निष्पक्ष और प्रभावी जांच के सूत्र अवश्य मिलते हैँ। दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में ऐसी जांचों से बड़ी-बड़ी गड़बड़ियां पकड़ी गई हैं। इसलिए ऐसी टिप्पणियां विवादास्पद हैं, जो मीडिया रिपोर्टों के प्रति अपमान-भाव को बढ़ा सकती हैं। ऐसे मामलों में बेहतर नजरिया यह होगा कि हर ऐसी रिपोर्ट को विश्वसनीय जांच के लिए एक प्रथम-दृष्टया साक्ष्य के रूप में लिया जाए। यही लोकतंत्र का तकाजा है। जहां तक हिंडनबर्ग की बात है, तो अपने भंडाफोड़ के साथ उसने अडानी ग्रुप को चुनौती दी थी कि वह उसके खिलाफ अमेरिका में मुकदमा करे। अगर ऐसा होता, तो हिंडनबर्ग की जवाबदेही बेहतर ढंग से तय हो सकती थी। अगर उसने शरारतपूर्ण रिपोर्ट दी है, तो उसे उसकी सजा भी मिल पाती। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

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