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कूटनीतिक हल की जरूरत

कनाडा उसी लाइन पर जांच आगे बढ़ा रहा है, जिसका संकेत पिछले सितंबर में निज्जर कांड में भारत सरकार पर इल्जाम लगाते हुए वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने दिया था। यहां स्पष्ट कर लेना चाहिए कि इस मामले में कनाडा अकेला नहीं है।

कनाडा में खालिस्तानी उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में हुई तीन गिरफ्तारियों ने पश्चिम के साथ भारत के रिश्ते को लेकर एक नई परिस्थिति पैदा कर दी है। तीनों गिरफ्तार आरोपी भारतीय हैं, जिन्हें कनाडा के शहर एडमंटन में हिरासत में लिया गया। अब कनाडा पुलिस ने तीन अन्य हत्याओं को इस प्रकरण से जोड़कर जांच आगे बढ़ाने का एलान किया है। साथ ही संकेत दिया है कि जल्द ही कुछ और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। अनौपचारिक ब्रीफिंग में कनाडाई अधिकारियों ने यह टिप्पणी की है कि पकड़े गए “तीनों आरोपी एक संगठित अपराधी नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो भारत सरकार और उसकी खुफिया एजेंसियों की तरफ से काम कर रहा था”। जाहिर है कि कनाडा उसी लाइन पर मामले को आगे बढ़ा रहा है, जिसका संकेत पिछले सितंबर में निज्जर कांड में भारत सरकार पर इल्जाम लगाते हुए वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने दिया था।

यहां स्पष्ट कर लेना चाहिए कि इस मामले में कनाडा अकेला नहीं है। अमेरिका ने आरंभ में ही कह दिया था कि इस मामले में वह कनाडा के साथ है। दरअसल, इन दोनों देशों के अलावा ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खुफिया सूचनाएं साझा करने का फाइव आईज नाम से करार है। समझा जाता है कि पांचों देश सभी ऐसे संवेदनशील मामलों में इत्तेफाक रखते हैं। अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नू मामले के खुलासे के बाद अमेरिका ने भी भारत सरकार पर खासा दबाव बना रखा है। स्पष्टतः इन प्रकरणों से भारतीय विदेश नीति के आगे गंभीर चुनौती खड़ी हुई है। वर्तमान भारत सरकार ने अमेरिकी धुरी के साथ संबंध प्रगाढ़ करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रखी है। इसमें काफी सफलता भी मिली। मगर इन मामलों में अमेरिका और उसके साथी देश लगातार भारत पर अविश्वास जता रहे है। यह आत्म-निरीक्षण का विषय है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ- खासकर उस समय जब चीन की घेरेबंदी में विशेष उपयोगिता के कारण वे देश भारत को अपने साथ बनाए रखने के लिए आतुर रहे हैं? बेहतर होगा कि इस मसले का कूटनीतिक हल निकाला जाए। कनाडा से टकराव का रास्ता फलदायी नहीं रहा है।

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