राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

एक उपलब्धि, एक चुनौती

दुनिया में चावल का लगभग 40 फीसदी हिस्सा अब भारत में पैदा हो रहा है। चावल पैदावार में भारत नंबर वन बन गया है। मगर विशेषज्ञों ने देश को मिली इस सफलता के साथ पेश आईं चुनौतियों से भी आगाह किया है।

भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। अमेरिका के कृषि मंत्रालय के आकलन के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में भारत ने इस मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया, जब अपने यहां चावल की पैदावार 14 करोड़ 91 लाख टन तक पहुंच गई। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन का अनुमान है कि दुनिया में चावल का लगभग 40 फीसदी हिस्सा भारत में पैदा हो रहा है। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने दो करोड़ टन चावल का निर्यात किया, जो 2023-24 से 23 फीसदी ज्यादा है। इस निर्यात से भारत को 1.05 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई। बहरहाल, विशेषज्ञों ने भारत को इस सफलता के साथ पेश आईं चुनौतियों से आगाह किया है।

ध्यान दिलाया गया है कि बेशक कुल उत्पादन के मामले में भारत चीन से आगे निकल गया है, मगर प्रति हेक्टेयर उत्पादकता के मामले में अभी भी काफी पीछे है। चीन में ये उत्पादकता दर 7.1 टन है, जबकि भारत में 4.3 टन। फिर बात इतनी ही नहीं है। भारत को ये सफलता दाल और तिलहन की कीमत पर मिली है। धान की फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदारी के आश्वासन के कारण किसानों ने कई इलाकों में अरहर या सोयाबीन की खेती छोड़ धान पैदा करना शुरू कर दिया है। नतीजतन, पिछले वित्त वर्ष में भारत का दलहन आयात 49 प्रतिशत बढ़ गया।

ये आयात 46,428 करोड़ रुपये का रहा। उधर खाद्य तेलों का आयात 1.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। तो जो लाभ चावल से हुआ, उसे तेल और दालों बराबर कर दिया। फिर समस्या यह भी है कि धान की खेती में दहलन या तिलहल की तुलना में चार से पांच गुना अधिक पानी की जरूरत पड़ती है। अतः भारत जैसे भू-जल की किल्लत वाले देश में धान की एक सीमा से ज्यादा खेती नई मुश्किलें खड़ी कर सकती है। तो क्या उपाय दलहन और तिलहन के लिए भी अधिक एमएसपी देना है? जाहिर है, सफलता से साथ एक असंतुलन पैदा हुआ है। नीतिकारों के सामने चुनौती संतुलन कायम करने की है।

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *