nayaindia arms importer india आत्म निर्भरता के बावजूद!

आत्म निर्भरता के बावजूद!

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हाल के दशकों में रक्षा उत्पादन क्षेत्र के निजीकरण का खूब प्रचार हुआ है। अनेक बड़े उद्योगपतियों ने इस क्षेत्र में कदम रखा है। मगर हकीकत यह है कि हथियारों के मामले में विदेशी कंपनियों पर भारत की निर्भरता बनी हुई है। arms importer india

भारत में जारी जोरदार चर्चा एक यह है कि भारत ना सिर्फ हथियारों के मामले में आत्म-निर्भरता की दिशा में बढ़ा है, बल्कि अब वह महत्त्वपूर्ण अस्त्रों का निर्यात भी कर रहा है। अक्सर सरकार की तरफ से ऐसे आंकड़े जारी किए जाते हैं, जिनको लेकर भारत से हथियारों से बढ़ते निर्यात के बारे में मोटी सुर्खियां बनती हैं। तो यह सवाल अहम हो जाता है कि 2019 से 2013 के दौरान उसके पहले की पांच साल की अवधि (2014-18) की तुलना में हथियारों के भारत के अपने आयात में 4.7 फीसदी इजाफा कैसे हो गया?

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स्वीडन की संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने इस बार की अपनी रिपोर्ट में हथियारों के कारोबार के पांच साल के ट्रेंड पर रोशनी डाली है। इससे सामने आया है कि 2019-23 की अवधि में भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बना रहा। गौरतलब है कि पिछले एक फरवरी को 2024-25 के लिए पेश भारत के अंतरिम बजट में रक्षा मंत्रालय को 6.2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। इसमें पूंजीगत निवेश- यानी नई खरीदारियों के लिए 1.72 लाख करोड़ रुपये रखे गए हैँ।

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यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 5.78 प्रतिशत ज्यादा है। वैसे अगर मुद्रास्फीति को ध्यान में रखें, तो ये बढ़ोतरी मामूली ही मालूम पड़ेगी। अब प्रश्न है कि क्या देश में ऐसी रक्षा कंपनियां हैं, जो भारतीय सेना की जरूरतों के लायक हथियार, युद्ध उपकरण और गोला-बारूद की बिक्री कर पाएं? हाल के दशकों में रक्षा उत्पादन क्षेत्र के निजीकरण का खूब प्रचार हुआ है।

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अनेक बड़े उद्योगपतियों ने इस क्षेत्र में कदम रखा है। मगर हकीकत यह है कि हथियारों के मामले में विदेशी कंपनियों पर भारत की निर्भरता बनी हुई है। ऐसे में अधिक-से-अधिक यही कहा जा सकता है कि रक्षा उत्पादन के मामले में भारतीय रक्षा उद्योग को अभी लंबा सफर तय करना होगा। फिलहाल इस बारे में एक दो टूक आकलन की जरूरत है। आत्म-निर्भरता अच्छी नीति है। लेकिन इसको लेकर देश में निराधार सुखबोध बनाने का कोई लाभ नहीं होगा। आवश्यकता यह है कि आत्म-निर्भर बनने के लिए संकल्पबद्ध और पारदर्शी कदम उठाए जाएं।

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