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इजराइल की दरकती जमीन

संयुक्त राष्ट्र की जांच समिति ने पिछले हफ्ते कहा कि गज़ा में जारी इजराइली कार्रवाई ‘मानव संहार’ की श्रेणी में आती है। इसके पहले हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय अपने अंतरिम निर्णय में इजराइली कार्रवाइयों को ‘मानव संहार जैसा’ बता चुका है।

ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और पुर्तगाल ने स्वतंत्र फिलस्तीनी राज्य को मान्यता प्रदान कर दी है। सात अन्य देश कह चुके हैं कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की मंगलवार से शुरू हो रही उच्चस्तरीय चर्चा के दौरान वे फिलस्तीन को मान्यता दे देंगे। इनमें फ्रांस, बेल्जियम, न्यूजीलैंड और लग्जमबर्ग शामिल हैं। मान्यता देने की इच्छा तो जापान ने भी जताई थी, लेकिन अमेरिकी दबाव के कारण उसने फिलहाल इरादा बदल लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते की ब्रिटेन यात्रा के दौरान वहां कि कियर स्टार्मर सरकार पर भी दबाव डाला था कि वह मान्यता के एलान से बाज आए। मगर ब्रिटेन ने नाफरमानी की। उससे कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का हौसला बढ़ा। संभावना है कि न्यूजीलैंड भी इन तीन देशों के नक्शे-कदम पर चलेगा।

ये सभी एंग्लो-सैक्सन मूल के देश हैं, जिनका किसी महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मसले पर अमेरिका से ऐसा मतभेद शायद ही कभी उभरता है। लेकिन फिलस्तीन का सवाल अब सामान्य नहीं रहा। इजराइल ने अपने बेलगाम और उच्छृंखल व्यवहार से विश्व जनमत को झकझोर रखा है। यूरोप और अमेरिका में लाखों लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं। उनका जो इल्जाम है, उसकी पुष्टि पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र की जांच समिति ने भी कर दी। कहा कि गज़ा में जारी इजराइली कार्रवाई ‘मानव संहार’ की श्रेणी में आती है। इसके पहले हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय अपने अंतरिम निर्णय में इजराइली कार्रवाइयों को ‘मानव संहार जैसा’ बता चुका है।

तो अब कुछ करते दिखना उन देशों की भी मजबूरी बन गई है, जिन्होंने गुजरे 37 वर्षों से टाल-टोल का नजरिया अपनाए रखा था। डॉनल्ड ट्रंप अभी भी विश्व एवं एक बड़े अमेरिकी जनमत को ठेंगे पर रखते हुए बेंजामिन नेतन्याहू सरकार के ‘मानव संहारी’ व्यवहार का समर्थन कर रहे हैं, तो यही कहा जाएगा कि अपने देश के सॉफ्ट पॉवर को वे अपूरणीय क्षति पहुंचा रहे हैँ। गज़ा मानव अधिकारों के प्रति वचनबद्धता को मापने का एक पैमाना बन चुका है। नतीजतन, फिलस्तीनी इलाकों में नेतन्याहू सरकार भले अपना दबदबा बढ़ा रही हो, मगर विश्व जनमत के नजरिए में वह रोज हार रही है। फिलस्तीन को ताजा मान्यताएं इसका प्रमाण हैं।

By NI Editorial

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