पुतिन से वार्ता के बाद ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेन्स्की के अलावा फ्रांस, जर्मनी, इटली, और फिनलैंड के शासनाध्यक्षों को भी इस बारे में जानकारी दी। मगर क्या ये देश युद्ध रुकवाने की ट्रंप की इच्छा में सहभागी बनेंगे?
यूक्रेन युद्ध रुकवाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से दो घंटे तक बातचीत की। वार्ता कितने सद्भावपूर्ण माहौल में हुई, इसे बताने के लिए ये सूचना लीक की गई है कि पूरी वार्ता के दौरान ट्रंप पुतिन को व्लादीमीर और पुतिन ट्रंप को डॉनल्ड कह कर संबोधित करते रहे। फिर दोनों में कोई अपनी ओर से फोन रखने को तैयार नहीं था!
बाद में ट्रंप ने कहा- ‘मेरी राय में बातचीत बहुत अच्छी रही। रूस और यूक्रेन अविलंब सीज़फायर, और उससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण युद्ध की समाप्ति के लिए बातचीत शुरू करेंगे।’ ट्रंप ने यह संकेत भी दिया कि वार्ता का अगला दौर वेटिकन में होगा।
ट्रंप- पुतिन वार्ता के बाद जैसी प्रतिक्रियाएं रूसी और यूक्रेनी स्रोतों से आई हैं, उससे नहीं लगता कि दोनों देश अपने इस रुख पर कोई समझौता करने को तैयार हैं। रूस की राय है कि 30 दिन के सीज़फायर का मतलब यूक्रेन को फिर से बल जुटाने का अवसर देना होगा। उधर रूस की जो मुख्य शर्तें हैं, वो यूक्रेन को मंजूर नहीं हैं।
इनमें रूसी कब्जा में गए इलाकों पर से यूक्रेन का दावा छोड़ना, नाटो में ना शामिल होने का वादा और आगे तटस्थ विदेश नीति का पालन शामिल हैं। यूक्रेन के समर्थक यूरोपीय देशों को भी ये शर्तें मंजूर नहीं हैं। इसे समझते हुए ही पुतिन से वार्ता के तुरंत बाद ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेन्स्की के अलावा फ्रांस, जर्मनी, इटली, और फिनलैंड के शासनाध्यक्षों को भी इस बारे में जानकारी दी।
क्या ये देश युद्ध रुकवाने की ट्रंप की इच्छा के सहभागी बनेंगे? क्या जेलेन्स्की और यूरोपीय देशों को रूस की शर्तें मंजूर होंगी? इसकी संभावना कमजोर है। इसीलिए ट्रंप-पुतिन वार्ता के बावजूद अमन का लक्ष्य अभी दूर मालूम पड़ता है।
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