Wednesday

30-04-2025 Vol 19

आंकड़ों का मकड़जाल है

भारत सरकार के तमाम आंकड़े अपने-आप में विवादित रहे हैं। वैसे विश्व बैंक ने नव-उदारवादी दौर में गरीबी मापने के लिए रोजाना खर्च क्षमता का जो पैमाना दुनिया भर में प्रचारित किया, वह अपने-आप में विवादास्पद रहा है।

विश्व बैंक ने भारत में गरीबी के बारे में अपना आकलन जारी किया है। इससे आम सूरत यह उभरी है कि भारत में गरीबी घटी है। विश्व बैंक ने आधार भारत सरकार के उपभोग सर्वेक्षणों को बनाया है। 2011-12 और 2022-23 के घरेलू उपभोग खर्च सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों की तुलना करते हुए विश्व बैंक इस नतीजे पर पहुंचा कि उपरोक्त दशक में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में भारी गिरावट आई। चरम गरीबी (2017 में परचेजिंग पॉवर पैरिटी के अनुरूप 2.15 डॉलर की रोजाना खर्च क्षमता के पैमाने पर) 16.2 से घट कर 2.3 फीसदी पर आ गई।

गरीबी में गिरावट, विषमता में उछाल

निम्न मध्य वर्गीय गरीबी रेखा (3.65 डॉलर पीपीपी) की कसौटी पर ये आंकड़ा 61.8 से घट कर 28.1 प्रतिशत पर आ गया है। जबकि बहुआयामी गरीबी (उपलब्ध बुनियादी सेवाओं) की कसौटी पर आंकड़ा 53.8 से घट कर 15.5 फीसदी पर आया है। मगर दिक्कत यह है कि उपरोक्त दोनों उपभोग खर्च सर्वेक्षणों में सैंपल चुनने और सर्वेक्षण करने की विधियां बदल दी गई थीं।

इस बीच भारत सरकार के तमाम आंकड़े अपने-आप में विवादित रहे हैं। वैसे विश्व बैंक और आईएमएफ ने नव-उदारवादी दौर में गरीबी मापने के लिए रोजाना खर्च क्षमता का जो पैमाना दुनिया भर में प्रचारित किया, वह अपने-आप में विवादास्पद रहा है।

उसके पहले मान्य पैमाना था कि प्रति व्यक्ति प्रति दिन न्यूनतम अनिवार्य कैलोरी युक्त भोजन कर पाता है या नहीं।

कुछ अर्थशास्त्रियों के मुताबिक उस पैमाने पर आज भारत की तीन चौथाई तक आबादी गरीबी रेखा के नीचे आएगी। वैसे विश्व बैंक ने गरीबी के इन आंकड़ों के साथ भारत में बढ़ी आर्थिक गैर-बराबरी पर भी रोशनी डाली है। उसके मुताबिक आमदनी आधारित विषमता का गिनी को-इफिशिएंट (गैर-बराबरी मापने की कसौटी) 52 से बढ़ कर 62 हो गई है। 2023-24 में टॉप 10 प्रतिशत आबादी की जो आय थी, वह निचले दस प्रतिशत की तुलना में 13 गुना ज्यादा थी। तो कुल मिला कर विश्व बैंक के आंकड़ों ने (उन्हें सीधे स्वीकार कर लिया जाए, तो) सरकार को अपनी सफलता दिखाने का आधार दिया है, वहीं विपक्ष को उसकी आलोचना का आधार भी मुहैया कराया है।

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Pic Credit : ANI

NI Editorial

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