Poverty

  • हाल इतना बदहाल है!

    देश में लगभग 42 फीसदी आबादी इस हाल में नहीं है कि वह तीनों वक्त भोजन कर सके। इन लोगों को सुबह के नाश्ते या दोपहर और रात के भोजन में से किसी एक को छोड़ पड़ रहा है। कुछ समय पहले घरेलू उपभोग खर्च सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। यह सर्वे भारत सरकार की तरफ से कराया जाता है, इसलिए इससे सामने आए आंकड़ों को कम-से-कम आधिकारिक रूप से चुनौती नहीं दी जा सकती। आम चुनाव के प्रचार के समय उस सर्वे के कुछ सुविधाजनक आंकड़ों को खुद भारत सरकार ने प्रचारित किया था। लेकिन उसी रिपोर्ट में...

  • गलत दवा से इलाज

    बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर दिखावटी कदमों से इस गंभीर समस्या का समाधान संभव नहीं है। कर्नाटक सरकार ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके पारित होने पर राज्य के बाशिंदों के लिए प्रबंधकीय नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधकीय नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बेरोजगारी जिस हद तक बढ़ गई है, उसके मद्देनजर समझा जा सकता है कि सरकारों पर इस समस्या को हल करते हुए दिखने का भारी दबाव है। मगर ऐसे...

  • चांद लाने जैसी बात

    चंद्र बाबू नायडू ने नायाब फॉर्मूला दिया है। सीआईआई) के एक समारोह में उन्होंने कहा कि अगर देश के सबसे धनी 10 फीसदी लोग सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों को “गोद” ले लें, तो समस्या खुद हल हो जाएगी! गरीबों को पहले तो चंद्र बाबू नायडू का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि उन्होंने उनके वजूद से इनकार नहीं किया। जिस दौर में नीति आयोग जैसी सरकारी संस्थाओं और सरकार प्रायोजित विशेषज्ञों के बीच होड़ गरीबी का प्रतिशत कम-से-कम बताने की लगी हो, उन्होंने इतना तो माना कि भारत में लगभग 20 फीसदी आबादी अभी गरीबी रेखा के नीचे है। यह बात...

  • महंगाई कम दिखाने का नायाब नया तरीका

    केंद्र सरकार के पास हर कमी को ढक देने का कोई न कोई नुस्खा है। जैसे कोई बड़ी वैश्विक हस्ती आती है तो झुग्गी बस्तियों को दिवार खड़ी करके ढक दिया जाता है। उसी तरह महंगाई कम दिखाने का नायाब नुस्खा सरकार ने निकाल लिया है। अब हर बार आंकड़े में महंगाई कम दिखती है। लोग हैरान परेशान होते हैं कि महंगाई से उनकी जान निकल रही है और दूसरी ओर सरकार कह रही है कि महंगाई कम है। एक तरफ वस्तुओं और सेवाओं की कीमत आसमान छू रही है और दूसरी ओर सरकार के आंकड़ों में महंगाई दर लगातार...

  • भारतः अरबपति राज का उदय

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः आज जो सूरत है, वह किसी संयोग की वजह से नहीं है। आम चुनाव से ठीक पहले पेरिस स्थित मशहूर इनइक्वैलिटी लैब ने भारत में तेजी से बढ़ी आय एवं धन की गैर-बराबरी के बारे में देशवासियों को आगाह किया है। विषमता को वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्थशास्त्रियों के इस मंच ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक ‘अरबपति...

  • हममें इंसानियत खत्म होती जा रही!

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः आज जो सूरत है, वह किसी संयोग की वजह से नहीं है। आम चुनाव से ठीक पहले पेरिस स्थित मशहूर इनइक्वैलिटी लैब ने भारत में तेजी से बढ़ी आय एवं धन की गैर-बराबरी के बारे में देशवासियों को आगाह किया है। विषमता को वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्थशास्त्रियों के इस मंच ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक ‘अरबपति...

  • यह खुशहाली तो नहीं

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः आज जो सूरत है, वह किसी संयोग की वजह से नहीं है। आम चुनाव से ठीक पहले पेरिस स्थित मशहूर इनइक्वैलिटी लैब ने भारत में तेजी से बढ़ी आय एवं धन की गैर-बराबरी के बारे में देशवासियों को आगाह किया है। विषमता को वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्थशास्त्रियों के इस मंच ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक ‘अरबपति...

  • चुनावी मकसद से चर्चा?

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः आज जो सूरत है, वह किसी संयोग की वजह से नहीं है। आम चुनाव से ठीक पहले पेरिस स्थित मशहूर इनइक्वैलिटी लैब ने भारत में तेजी से बढ़ी आय एवं धन की गैर-बराबरी के बारे में देशवासियों को आगाह किया है। विषमता को वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्थशास्त्रियों के इस मंच ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक ‘अरबपति...

  • भारत की दो हकीकतें

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः आज जो सूरत है, वह किसी संयोग की वजह से नहीं है। आम चुनाव से ठीक पहले पेरिस स्थित मशहूर इनइक्वैलिटी लैब ने भारत में तेजी से बढ़ी आय एवं धन की गैर-बराबरी के बारे में देशवासियों को आगाह किया है। विषमता को वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्थशास्त्रियों के इस मंच ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक ‘अरबपति...

  • पांच वर्ष में 13.5 करोड़ भारतीय गरीबी मुक्त

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः आज जो सूरत है, वह किसी संयोग की वजह से नहीं है। आम चुनाव से ठीक पहले पेरिस स्थित मशहूर इनइक्वैलिटी लैब ने भारत में तेजी से बढ़ी आय एवं धन की गैर-बराबरी के बारे में देशवासियों को आगाह किया है। विषमता को वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्थशास्त्रियों के इस मंच ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक ‘अरबपति...

  • भारत में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः आज जो सूरत है, वह किसी संयोग की वजह से नहीं है। आम चुनाव से ठीक पहले पेरिस स्थित मशहूर इनइक्वैलिटी लैब ने भारत में तेजी से बढ़ी आय एवं धन की गैर-बराबरी के बारे में देशवासियों को आगाह किया है। विषमता को वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्थशास्त्रियों के इस मंच ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक ‘अरबपति...

  • भारतः सब कैसा एक्स्ट्रीम!

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  • कार्यबल में घटती महिलाएं

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  • गरीबी, बेरोजगारी बरदाश्त करने की अंतहीन सीमा!

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः आज जो सूरत है, वह किसी संयोग की वजह से नहीं है। आम चुनाव से ठीक पहले पेरिस स्थित मशहूर इनइक्वैलिटी लैब ने भारत में तेजी से बढ़ी आय एवं धन की गैर-बराबरी के बारे में देशवासियों को आगाह किया है। विषमता को वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्थशास्त्रियों के इस मंच ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक ‘अरबपति...

  • ताजा तीन इंडेक्स का भारत सत्य

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  • अब प्रश्न औचित्य का

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  • भारत में गरीबी-अमीरी की खाई

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः आज जो सूरत है, वह किसी संयोग की वजह से नहीं है। आम चुनाव से ठीक पहले पेरिस स्थित मशहूर इनइक्वैलिटी लैब ने भारत में तेजी से बढ़ी आय एवं धन की गैर-बराबरी के बारे में देशवासियों को आगाह किया है। विषमता को वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्थशास्त्रियों के इस मंच ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक ‘अरबपति...

  • आरक्षण का आधार सिर्फ गरीबी हो

    साल 1980 के आसपास विषमता अपने सबसे निचले स्तर पर थी। लेकिन उसके बाद ट्रेंड फिर पलट गया। 2015 के बाद से गैर-बराबरी में पहले से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ोतरी हुई है। स्पष्टतः आज जो सूरत है, वह किसी संयोग की वजह से नहीं है। आम चुनाव से ठीक पहले पेरिस स्थित मशहूर इनइक्वैलिटी लैब ने भारत में तेजी से बढ़ी आय एवं धन की गैर-बराबरी के बारे में देशवासियों को आगाह किया है। विषमता को वैश्विक चर्चा के एजेंडे पर लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्थशास्त्रियों के इस मंच ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक ‘अरबपति...

  • 140-170 करोड़ लोगों में कमाने वाले और खाने वाले!

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  • बेरोजगार नौजवानों से बरबादी के खतरे!

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