nayaindia Indias household consumption यह खुशहाली तो नहीं

यह खुशहाली तो नहीं

Indias household consumption
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साल 2011-12 में सर्वेक्षण के लिए अपनाई गई विधि को 2022-23 के सर्वे में बदल दिया गया। इसलिए ताजा रिपोर्ट के बारे में यह तो कहा जाएगा कि यह आज की हकीकत को बताती है, मगर 2011-12 से उसकी तुलना करना तार्किक नहीं होगा। Indias household consumption 

घरेलू उपभोग खर्च सर्वे की 2022-23 की रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया यह धारणा बनती है कि 2011-12 की तुलना में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आम उपभोग खर्च बढ़ा है। लेकिन ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि 2011-12 में सर्वेक्षण के लिए अपनाई गई विधि को 2022-23 में हुए सर्वे में बदल दिया गया। इसलिए ताजा सर्वे रिपोर्ट के बारे में यह तो कहा जाएगा कि यह आज की हकीकत को बताती है, मगर 2011-12 से उसकी तुलना करना तार्किक और वाजिब नहीं होगा। Indias household consumption

ताजा सर्वे में अधिक वस्तुओं पर किए गए खर्च को शामिल किया गया, सर्वे में शामिल किए गए 2,61,746 परिवारों के पास सर्वेक्षक कई बार गए जबकि पहले वे सिर्फ एक बार उनका इंटरव्यू करते थे, और इस बार इंटरव्यू में कंप्यूटर की सहायता ली गई जबकि पहले प्रत्यक्ष रूप से कलम-कागज पर आंकड़े दर्ज किए जाते थे। इसके अलावा 80 करोड़ लोगों को हर महीने दिए जा रहे पांच किलो अनाज और अन्य मुफ्त सरकारी सेवाओं के कारण घरेलू खर्च पैटर्न में हुए बदलाव को जारी व्यय आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है। Indias household consumption

लाजिमी तौर पर उससे हुई बचत को परिवारों ने किसी और मद में खर्च किया है, जिससे समान आमदनी के बावजूद उपभोग खर्च का बढ़ा दिख सकता है। बेशक यह परिवारों के बढ़े उपभोग को जाहिर करता है, लेकिन यह परिवारों की माली स्थिति का ठोस संकेत नहीं है। परिवारों की बेहतर स्थिति का अंदाजा तब लगेगा, जब परिवारों की आमदनी की स्थिति भी सामने आएगी। Indias household consumption

इस संदर्भ में यह ताजा आंकड़ा गौरतलब है कि 2011-12 की तुलना में 2023-24 की दूसरी तिमाही तक जीडीपी की तुलना में घरेलू ऋण बढ़ कर 26.7 से 38.3 प्रतिशत तक पहुंच गया। वैसे भी सूरत यह उभरी है कि ग्रामीण इलाकों में सबसे धनी पांच प्रतिशत परिवार औसतन हर महीने 10,501 और शहरी इलाकों में 20,824 रुपये उपभोग खर्च कर सकने की स्थिति में पहुंचे हैं। टॉप 10 फीसदी परिवारों को छोड़ दें, तो बाकी 90 फीसदी परिवारों की स्थिति दयनीय नजर आती है। क्या इसे खुशहाली की तस्वीर कहा जाएगा? इसलिए इनको लेकर खुशफहमी पालना अनुचित होगा। Indias household consumption

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