यह अच्छी खबर है, क्योंकि भारत में ट्रंप का दूत एक ऐसा व्यक्ति होगा, जो उनका खास विश्वस्त है। मगर पेच यह है कि ट्रंप ने गोर को दक्षिण और मध्य एशिया के लिए विशेष दूत भी बना दिया है।
डॉनल्ड ट्रंप ने अपने निजी विश्वस्त और मागा (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) आंदोलन के प्रमुख संगठनकर्ताओं में से एक सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का राजदूत मनोनीत किया है। एक नजरिए से यह अच्छी खबर है, क्योंकि भारत में उनका दूत एक ऐसा व्यक्ति होगा, जो सीधे उनसे फोन मिलाने की हैसियत रखता है। मगर पेच यह है कि ट्रंप ने साथ ही गोर को दक्षिण और मध्य एशिया के लिए विशेष दूत भी नियुक्त कर दिया है। यानी उन्होंने भारत को इन क्षेत्रों से संबंधित देशों के साथ एक समूह में रखा है। मतलब यह कि उनकी रणनीति में भारत इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है कि वहां के लिए एक विशिष्ट राजदूत की नियुक्ति की जाए।
सर्जियो गोर के कार्यक्षेत्र में जो देश आएंगे, उनमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी हैं। ऐसी चर्चा है कि ट्रंप इस क्षेत्र की अपनी सुरक्षा रणनीति में पाकिस्तान को खास अहमियत दे रहे हैं, क्योंकि वे उसकी अफगानिस्तान में स्थिरता लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका देखते हैं। इसके अलावा ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान का उपयोग ईरान और चीन से अंदरूनी संपर्क बनाए रखने के माध्यम रूप में भी करना चाहता है। ऐसे में आशंका यह है कि सर्जियो गोर भारत और पाकिस्तान को समान पलड़े पर रखने की नीति पर चल सकते हैं। इससे भारत की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। जहां तक आर्थिक मामलों में अमेरिका से संबंध बेहतर करने में गोर की भूमिका का प्रश्न है, तो बेशक ट्रंप तक उनकी सीधी पहुंच इस दिशा में सहायक हो सकती है।
मगर मुश्किल यह है कि ट्रंप ने टैरिफ वॉर विश्व व्यापार और विश्व भू-राजनीतिक संतुलन को पुनर्संगठित करने के मकसद से छेड़ा है। भारत उसका अधिक शिकार हुआ है, तो उसकी वजह ट्रंप प्रशासन का यह आकलन है कि भारत के पास जवाबी कार्रवाई कर अमेरिका को क्षति पहुंचाने की ताकत नहीं है। अब ये साफ हो चुका है कि ट्रंप की पूरी विदेश नीति ताकत दिखाने और ताकतवर से तालमेल बनाने पर आधारित है। ऐसे में इन अटकलों का आधार है कि सिर्फ राजनयिक संवाद या कूटनीतिक संदेशों से ट्रंप प्रशासन की नीति को प्रभावित करना बेहद मुश्किल है।